Book Title: Hirsundaramahakavyam Part 1
Author(s): Devvimal Gani, Ratnakirtivijay
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 4
________________ प्रकाशकीय सम्राट अकबर प्रतिबोधक, कलिकालगौतमावतार, जगद्गुरु श्रीहीरविजयसूरिदादाना ४००मा स्वर्गारोहणना वर्षे, तेमना भव्य जीवनचरित्रने वर्णवतो आ महान ग्रंथ प्रकाशित करवानुं सौभाग्य अमोने प्राप्त थयुं छे, ते बदल अमो अनहद धन्यतानो अनुभव करीए छीए. आ लाभ खंभातने मळे तेमां औचित्य ए छे के जगद्गुरुनो खंभात साथे गाढ अने ऐतिहासिक महत्त्व धरावतो संबंध हतो. तेमनो रास खंभालना ज श्रावक कवि ऋषभदासे रच्यो छे. आ पूर्वे, आ ग्रंथमालाना प्रथम ग्रंथ तरीके मुनि विद्याविजयजीकृत "सूरीश्वर अने सम्राट" ए ग्रंथना तथा तृतीय ग्रंथ तरीके "श्रीशांतिचन्द्रवाचककृत कृपारसकोश" ए ग्रंथना प्रकाशननो लाभ आ समितिने मळ्यो हतो. प्रसंगोपात्त जणावयूँ जोईए के आ ग्रंथमालाना द्वितीय ग्रंथ "अमारिघोषणानो दस्तावेज" ना प्रकाशननुं श्रेय गोधराना श्री भद्रंकरोदय शिक्षण ट्रस्टने फाळे छे. ए पछी, आ ग्रंथमाळाना चतुर्थ ग्रंथ तरीके आ महाकाव्यना प्रथम खण्डनु प्रकाशन करवानो लाभ अमने मळे छे, तेनो अमने आनंद छे. आनी पाछळ, पूज्य आचार्य श्री विजयसूर्योदयसूरीश्वरजी म. तथा तेमना शिष्य आ. श्री विजयशीलचन्द्रसूरिजीनी कृपानो मुख्य फाळो छे. ___ आ प्रकाशन माटे, खंभातना श्रीस्तंभतीर्थ तपगच्छ जैन संघना आगेवान शेठ श्री हीरालाल परसोत्तमदास श्रोफ-परिवारे, सद्गत श्री रमेशचंद्र हीरालाल श्रोफना स्मरणार्थे, ग्रंथ प्रकाशननो सघळो खर्च अर्पण करीने श्रुतभक्तिनो, गुरुभक्तिनो तेम ज सुकृतना मार्गे धन केम वपराय ते माटेनो एक उमदा दारटलो पूरो पाड्यो छे, ते बदल ते परिवार लाख लाख धन्यवादनो अधिकारी छे. पुस्तकना रूडा मुद्रणकार्य बदल क्रिश्ना प्रिन्टरी-अमदावादना हरजीभाई पटेलनो आ तके अमे आभार मानीए छीए. प्रांते, जगद्गुरुनो आ जीवनचरित्र ग्रंथ, जगद्गुरुनी ४००मी स्वर्गारोहणतिथि भा.सु.११, २०५२ ना पावन दिने, पूज्य गुरुभगवंतोनी निश्रामां, जैन संघना अग्रणी शेठ श्री श्रेणिकभाईना हस्ते, श्री भावनगर जैन श्वे. मू. तपासंघना आश्रये, विमोचन पामे छे, ते पण एक चिरस्मरणीय घटना छे. आपो लाभ अमारी समितिने वारंवार मळतो रहे तेवी भावना सह लि. जैन ग्रन्थप्रकाशन समिति-खंभात वती शनुभाई के. शाह बाबुलाल परसोत्तमदास कापडिया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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