Book Title: Hindi Jain Sahityame Rahasya Bhavna
Author(s): Pushplata Jain
Publisher: Sanmati Prachya Shodh Samsthan

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Page 470
________________ 454 हिन्दी जैन साहित्य में रहस्यभावना ११९. हिन्दी पद संग्रह, द. ३६। १२०. वही, पृ.३६-३७। १२१. वही, बनारसीदास, पृ. ५९। १२२. जैंसे कोऊ जन गयों धोबीकै सदन तिन, पहिरयौ परायौ वस्त्र मेरी मानि रह्यौ है। धनि देखि कह्यौ भैयच यह तो हमारौ वस्त्र, तैसें ही अनादि पुद्गलसौं संजोगी जीव, संग के ममत्व सौं विभाव तामैं ब्रह्मौ है। भजदज्ञान भयौ जब आपौ पर जान्यौ तब, न्यारौ परभावसौं स्वभाव निज गह्यौ के। नाटक समयसार, जीवद्वार, २। १२३. नाटक समयसार, अजीवद्वार, १४. पृ. ६४। १२४. वही, संवरद्वार, ३ पृ. १८३। १२५. वही, संवरद्वार, ६, पृ. १२५ । १२६. वही, निर्जराद्वार, ९, पृ.१३५। १२७. वही, पृ. २१०। १२८. बनारसी विलास, ज्ञानवावनी, पृ.७२-९०। १२९. वही, नवदुर्गा विधान, पृ.७, पृ. १६९-७०। १३०. ब्रह्मविलास, शत अष्टोत्तरी, ३४। १३१. वही, परमार्थपद पंक्ति, १४ पृ. ११४। १३२. वही, शतअष्टोत्तरी, ६४। १३३. वही, गुणमंजरी, २-६, पृ.१२६। १३४. हिन्दी पद संग्रह, पृ.। १३५. अध्यात्म पदावली, ४७, पृ.३५८। १३६. मनमोदनपत्र, ७६, पृ.३६। १३७. सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः तत्त्वार्थ सूत्र १,१। १३८. नाटक समयसार, उत्थानिका, ७, पृ.७। १३९. वही, कर्ताकर्म द्वार, २८, पृ.८७।। १४०. वही, निर्जराद्वार, ८, ९, १९ संवर द्वार५। १४१. वही, निर्जराद्वार, ३८, ६०। १४२. दौलतराम, ३.११-१५। .

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