Book Title: Hindi Jain Sahityame Rahasya Bhavna
Author(s): Pushplata Jain
Publisher: Sanmati Prachya Shodh Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 473
________________ 457 संदर्भ अनुक्रमणिका २७. हिन्दीजैन भक्ति काव्य और कवि, पृ.१६-१७। २८. जसविलास-यशोविजय उपाध्याय, सज्झाय पद अने स्तवन संग्रह में मुद्रित। २९. करिये प्रभु ध्यान, पाप कटै भवभव के या मै वहोत भलासे हो।। हिन्दी पद संग्रह, पृ. १७८। ३०. अरहंत सुमरि मन बावरे।। ख्याति लाभ पूजा तजि भाई। अंतर प्रभु लौं जाव रे।। वही, पृ.१३९। ३१. वही, पृ. १३८ इसके अतिरिक्त 'सुमिरन प्रभुजी की कर ले प्रानी, पृ. १६४, अरे मन सुमरि देव जिनराय, पृ. १८७ भी दृष्टव्य है। ३२. सीमन्धर स्वामी स्तवन, १४-१५। ३३. चतुर्विशति जिनस्तुति, जैन गुर्जर कविओ, तृतीय भाग, पृ. १४७९, देखिये चेतन पुद्गल ढमाल, २९, दि. जैन मंदिर नागदा बूंदी में सुरक्षित हस्तलिखित प्रति। ३४. हिन्दी पद संग्रह, भूमिका, पृ. १६-१७। ३५. हिन्दीजैन भक्ति काव्य और कवि, पृ. १३२। ३६. तेरी ही शरण जिन जारे न बसाय याको सुमटा सौ पूजे तोहि-मोहि ऐसौ भचयौ है। ब्रह्मविलास, जैन शोध और समीक्षा, पृ.५५। ३७. आनंदघन पद संग्रह, अध्यात्मज्ञान प्रसारक मंडल बंबई, सं. १९७१, पद ९५, पृ.४१३। ३८. ब्रह्मविलास, फुटकर कविता, पृ.९१। ३९. प्रभु बिन कौन हमारी सहाई। ........... जैन पदावली, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका १५वां त्रैवार्षिक विवरण, संख्या ९५; हिन्दी जैन भक्ति काव्य और कवि, पृ. २५६। चौबीस स्तुति पाठ, दि. जैन पंचायती मंदिर बड़ौत, संभवनाथजी की विनती, गुटका नं. ४७, हिन्दीजैन भक्ति काव्य और कवि, पृ. ३३५। ४१. दौलत जैन पद संग्रह, पद १८, पृ. ११, इसी तरह का एक अन्य पद नं. ३४ भी देखिये, हिन्दी पद संग्रह-द्यानतराय, पृ. १४०। ४२. बुधजन विलास, पृ. २८-२९ ४३. हिन्दी पद संग्रह, पृ. १९।

Loading...

Page Navigation
1 ... 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516