Book Title: Hemchandra Kosh
Author(s): Hemchandracharya,
Publisher: Jaina Publishing Company
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हेमचन्द्र मानार्थ १६७
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वीरतरोवीरश्रेष्ठेशवे वीरतरंपुनः ॥ २८० ॥ वीरवीतिहोत्रस्त दि बाल रहुताशयोः ॥ शतपत्रोदा बघा देशज की रम्यूरयेोः ॥ २८ ॥ श तपत्र राजीव संप्रहारोगतौ रणे ॥ सहचरः पुनर्द्वित्यां वयस्येप्रति बन्धके ॥ समाहाररत से सेव एकत्र करणेऽपिच॥ समुद्रारुर्या हमे दे सेतुबन्धेतिमिंग ले॥ २८३ ॥ सालसारस्त्रौ हि जोसुकुमारतु कौमले। पुंडे को सूत्रधारस्त शिल्पभेदेनरेन्द्रयोः॥ ॥ चतुः ररान्ताः अतिबलःस्यात्सबलेऽतिबला तु बलाभिदि॥ अक्षमाला त्वक्षसूत्रेवसिष्ठस्यचयेोषिति॥ २८५॥ अंकपाली परीरभेस्याको ट्यामुपमातरि ॥ उलूखले गुग्गुलोदुम्बरे कलकलः पुनः॥३६॥ को लाइलेसर्जरसेकन्दरा लोज द्रुिमे ॥ भाण्डेय कमण्डलपर्क टिकण्डिके॥२८॥ कुतूहलंस्ते डुते खत मालो बलाहके
गण्डशैलोऽद्रिच्युतस्थूलामभालयोः ॥ २॥ मन्धफलीत यौ चषकस्य चकोर के ॥ जलाञ्चलन्तुशैवाले स्वतश्वजलनिर्ग मे॥ २६९॥ ट्लामलंपुनर्दमन के मरुब के पिच।। ध्वनिना लातुरह क्यांवेणु का हल पोरपि ॥ २९०॥ परिमलो विमर्दोत्थे हृद्यगन्धेवि मह
पोटगलोनले कामषे बहफलः पुनः ॥ २९१ ॥ नी बदफ लौ भस्म तूलं पुनर्हि ॥ ग्रामकुटेपानुवर्षे भद्रकाल्यैौषधीभिदिर९२ गन्धोल्पा हरण त्यांचमहाकाल महेश्वरे। किंपा के गणभेदेचमदक लाम दद्विपे ॥ २९३ ॥ मदेना व्यक्तवचने महानीलोभणे भिदि ॥ नामभे देभृङ्गराजे महाबलोबलीयसि ॥२९४॥ वायौ महाबलंसी से महाब सावला भिदि॥ मणिमालाहारे स्त्रीणां दर्शन क्षतभिद्यपि॥ २९५॥ क्ताफलंघनसारे मौक्तिके लवलीफले ॥ मृत्युफलाम हा का लेमृत्युफली कदल्पथ ॥ २९६ ॥ यवफलामा सिकायां कुटजत्व चिसारयोः ॥ वायुफ लं तुजल दोपले शक्र शरासने ॥ २९ ॥ वातकेलिः कलालापेविद्वानां दन्तलेखने। विचि किलोमन के मल्यामथर हन्नलः ॥ २९॥महा पोटगले पार्थेस ट्राफल उदुम्बरे । नालि केरे स्कंध फले हस्तिमलु सुरद्विपे ॥ २९९॥ विप्रेशे हलाहल स्तुभालेह ले विषेष वृष्याचेह
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