Book Title: Harshapuriyagaccha Aparnam Maldhari Gaccha ka Sankshipta Itihas Author(s): Shivprasad Publisher: Z_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf View full book textPage 7
________________ नरचन्द्रसूरि नरेन्द्रप्रभसूरि (वि.सं. १२८२/ई. सन् १२२६ में अलंकारमहोदधिवृत्ति के रचनाकार) न्यायकंदलीपंजिका:यह मलधारगच्छीय प्रसिद्ध आचार्य राजशेखरसूरि द्वारा वि.सं. १३८५/ई. सन् १३२९ में रची गयी है। इसकी प्रशस्ति९ में उन्होंने अपनी लम्बी गुरू-परम्परा दी है, जो इस प्रकार है : अभयदेवसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि देवप्रभसूरि नरचन्द्रसूरि पद्मदेवसूरि श्रीतिलकसूरि राजशेखरसूरि (वि.सं. १३८५/ ई. सन् १३२९ में न्यायकंदलीपंजिका के रचनाकार) संगीतोपनिषत्सारोद्धार :यह मलधारगच्छीय वाचनाचार्यसुधाकलश द्वारा वि.सं. १४०६/ई. सन् १३५० में रची गयी ६१० श्लोकों की रचना है। यह ६ अध्यायों में विभक्त है। इसकी प्रशस्ति में ग्रन्थकार ने अपनी लम्बी गुरू-परम्परा का परिचय न देते हुए अपने पूर्वज अभयदेवसूरि तथा उनकी परम्परा में हुए श्रीतिलकसूरि एवं उनके शिष्य राजशेखरसूरि का अपने गुरू के रूप में उल्लेख किया है हर्षपुरीयगच्छ अपरनाम मलधारीगच्छ का संक्षिप्त इतिहास १६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24