Book Title: Harshapuriyagaccha Aparnam Maldhari Gaccha ka Sankshipta Itihas Author(s): Shivprasad Publisher: Z_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf View full book textPage 6
________________ मुनिचन्द्रसूरि देवानन्दसूरि देवप्रभसूरि यशोभद्रसूरि नरचन्द्रसूरि (कथारत्नसागर के रचनाकार) इसका एक नाम कथारत्नाकर भी मिलता है। जैन धर्म सम्बन्धी कथानक सुनने की वस्तुपाल की उत्कंठा को शांत करने के लिए नरचन्द्रसूरि ने इसकी रचना की। इस कृति की वि.सं. १३१९/ई. सन् १२५३ की लिखी गयी एक ताड़पत्र की प्रति पाटन स्थित संघवीपाडा ग्रन्थभण्डार में संरक्षित है। नरचंद्रसूरि महामात्य वस्तुपाल के मातृपक्ष के गुरू थे। उनके द्वारा रचित प्राकृतदीपिकाप्रबोध, अनर्घराघवटिप्पन, ज्योतिषसार आदि कई अन्य कृतियां भी मिलती है। वस्तुपाल के गिरनार के दो लेखों के पद्यांश भी नरचन्द्रसूरि द्वारा रचित हैं और वस्तुपालप्रशस्ति भी इन्हीं की कृति है। अलंकारमहोदधि :महामात्य वस्तुपाल के अनुरोध एवं मलधारगच्छीय आचार्य नरचन्द्रसूरि के आदेश से उनके शिष्य नरेन्द्रप्रभसूरि ने वि.सं. १२८० में अलंकारमहोदधि तथा वि.सं. १२८२/ई. १२२६ में इस पर वृत्ति की रचना की । इसकी प्रशस्ति८ में उन्होंने अपनी गुरू-परम्परा का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार है: अभयदेवसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि देवानन्दसूरि देवप्रभसूरि यशोभद्रसूरि १६४ श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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