Book Title: Harshapuriyagaccha Aparnam Maldhari Gaccha ka Sankshipta Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Z_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf

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Page 5
________________ प्रशस्ति६ में उल्लिखित ग्रन्थकार की गुरू-परम्परा इस प्रकार है : अभयदेवसूरि हेमचन्द्रसूरि विजय सिंह सूरि श्रीचन्द्रसूरि मुनिचन्द्रसूरि देवानन्दसूरि देवप्रभसूरि (पाण्डवचरितमहाकाव्य की (पाण्डवचरितमहाकाव्य के रचना के प्रेरक) रचनाकार) यशोभद्रसूरि (ग्रन्थलेखन में सहायक) नरचन्द्रसूरि (ग्रन्थलेखन में सहायक) ग्रन्थकार ने ग्रन्थ की प्रशस्ति के अन्तर्गत रचनाकाल का उल्लेख नहीं किया है किन्तु श्री मोहनलाल दलीचंद देसाई ने उपलब्ध अन्य साक्ष्यों के आधार पर इसे वि.सं. १२७०/ई. सन् १२१४ के आस-पास रचित बतलाया है जो उचित प्रतीत होता है। कथारत्नसागर :यह देवप्रभसूरि के शिष्य प्रसिद्ध ग्रन्थकार नरचन्द्रसूरि की रचना है। इसकी प्रशस्ति७ में ग्रन्थकार ने अपनी गुरू-परम्परा इस प्रकार दी है : अभयदेवसूरि हेमचन्द्रसूरि श्रीचन्द्रसूरि हर्षपुरीयगच्छ अपरनाम मलधारीगच्छ का संक्षिप्त इतिहास १६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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