Book Title: Gyanarnava Prakaranam Gyanbindu Prakaranam Savivaranam Author(s): Yashovijay Gani Publisher: Gulabchandra Devchandra View full book textPage 9
________________ Sha n dra भाष्य एतद्ग्रन्थ । स्थविशेषावश्यक SAKAL गाथानुक्रमः RAMASSADORE सो ओवलद्धि नइ सुर्य ११८ १२ २४ जे सुभबुद्धिद्दिदु १२९१५ २१ । कत्तो एत्तियभेत्ता १.१८ | सोइंदिभोबलद्धी चेव १२२ १३ १ | इयरत्थवि होज सुअं १२८ १६ । | पण्णवणिज्जा भावा १४१ १८ १६ के ई बिंतस्स सुयं ११९ १३ इयरत्थवि भावसुये १३० १६ ४ जं चोद्दसपुब्वधरा १४२ १८ २५ किंवा नाणेहिगये १२० १३ १० सह उबलद्धीए वा १५११६ ५ अक्खरलंभेण समा १४३ १८ भणमओ सुणओ व सुअं १२१ १३ ११ । केइ बुद्धिहिढे १३२ १६ १७ | जे अक्खराणुसारेण १४४ १९ १ तु समुच्चयवयणाओ १२३ १३ २६ | किं सद्दो मइरुभयं १३२ १६ २४ | केइ अ भासेज्जता १४५१९१२ पत्ताइगय सुयका १२४ १४ ३ | सहो ता दव्वसुअं १३३ १६ २५ | किह मइसअनाणविउ १४६ १९ १२ भावसुअमक्खराणं १२९ १४ १३ भासापरिणइकाले १३४ १५ १ सामन्ना वा बुद्धो १४७ १९ २४ जइ सुअमक्खरकाभो १२५ १४ १६ | इयरस्थ वि मइनाणे १३६ १७ ११ । मइसहियं भावसुदं १४८ १९ २५ सो वि हु सुअक्खराणं १२६ १५ अहव मइ दव्वसुअ १३६ १७ १७ जे भासद एवं तरं १४९ २० दासु भावसुअं १२७१५ र इयरम्मि वि महनाणे १३७ १७ १९ एवं धणिपरिमाण ११. २. ७ बुद्धिढेि अत्थे १२४ १५ १३ कह महसुओवलद्धा १३८ १८ १० इयरं ति म्इन्नाणं १५१ २०१३ (पूर्वगतगाथा) | तीरंति ण बोत्तं जे १३९ १८ ११ | अभिलप्पाणभिलप्पा १५२२. ARRORESORRORK For Private And Personal use onlyPage Navigation
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