Book Title: Gyanarnava Prakaranam Gyanbindu Prakaranam Savivaranam
Author(s): Yashovijay Gani
Publisher: Gulabchandra Devchandra

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra -৬AR २० सिमिणे वि सुरयसंगम २२८ ४४ सो अञ्झवसाणकओ २२९ ४४२१ सुरयपडिवत्ति रइसुह २३० ४४ १२ न सिमिणगमवि कोइ २२१४४ पुण विनाणं तप्फलं २३२ ४४ देहप्फुरणं सहसोइयं च २३३ ४४ सिमिणमिव मन्नमाणस्स २३४४५ पोग्गलमोअगदन्ते २३१ ४७ जह देहत्थं चक्खु २३५ ४७ विसयम संपत्तरस वि २३७ ४७ समयेमु मणोव्वाई २३८ ४७ देहावणिग्गयस्स वि २३९ ४७ गिज्झरस भणाणं २४० ४८ २२ २९ ६ १ ५ १९ २० २७ ३ www.khatirth.org सचिंत होन २४१ ४८ समये समये गिन्हइ २४२ ४८ होइ मणोवावारो २४३ ४८ नेयाउ श्चिय जं सो २४४ ४९ जह नयणिदियमपत्त २४५ ४९ विषयपरिमाणमनियय २४६ ४९ अत्थगहणेसु मुज्झइ २४७ १०. कम्मोदयओ व सह । २४८ ९० सामत्याभावाओ तोए ण मग पिव २४९ ५० २५० ५० २५१ ५१ द भाणं पूरिय सामन्नमणिदेसं सदेति भइ बत्ता २५२ ५१ २५१ ११ For Private And Personal Use Only १३ २१ २३ १२ २१ २६ ६ ११ १९ २८ ५ ११ २० सहबुद्धिमेत्तय थोत्रमियं नावाओ २५४ ५२ २५५ ५२ इय सुवणादि काले २५६ १२ किं सो किमसो २१७ ५२ किं तं पु गहि १ १३ १८ अहव मइव्वं चिय २६३ १४ अत्थि तयं अव्वत्तं २६४ ५४ अत्योति बिसयगहणं २६५ ५४ जे जत्थोग्गहकाले २६६ ५४ २४ २९८ १३ १९ अत्थोग्गहओ पुब्वं २५९ १३ जइ सोत्ति न गहियं २६० ६३ सव्वत्थ देसयतो २६१ ५३ अहसुए चिय भणियं २६२ ५३ २४ २० १ ६ 6. १३ २० Acharya Shal Kalassagarsun Gyanmandir

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