Book Title: Gyanarnava Prakaranam Gyanbindu Prakaranam Savivaranam
Author(s): Yashovijay Gani
Publisher: Gulabchandra Devchandra

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Page 11
________________ Shri Matavir Jain Arathana Kendra एतद्ग्रन्थ स्थविशेषा भाष्यमाधानुक्रम वश्यक ॥४॥ KERASHRESS तुझं बहुअरभेया १९१ ३१ १५ | नयणमणोदजिदिय २०४ ३३ १४ | सव्वगमो ति य वुद्धी २१६ ३७ १५ | ता भिन्नलवखणा बिहु१९२ ३१ १७ जुञ्जइ पत्तविसयया २०५ ३३ २३ सव्यासव्वग्गहण २१६ ३९ ९ तत्थोग्गहो दुरूवो १९३ ३१ पाथंति सदगंधा २०५ ३३ २५ दमणो विन्नाया २१७ ४२ ७ बंजिब्बइ जेणत्यो १९४ ३२ जंते पोग्गलमइया २०६ ३४ २ करणत्तणओ तणुसं २१८ ४२ अन्नाणं सो बहिरा १९५ ३२ ६ धूमोब्ब संहरणओ २०७ ३४ २। नजइ उवघाओ से २१९ ४२ तकासंमि विनाण १९६ ३२ ९ गेइंति पत्तमत्थं २०८ ३४ २६ । | जइ दब्वमणोतिबलो २२० १२ १८ जइ वन्नाणमसंखेज २०० ३२ लोयणमपत्तविसय २.९३५ ८ नीउं आगरिसिउ बा २२२ ४२ २२ अं सम्पहा ण वीसुं २०१ ३२ डझेल पाविउ रवि २१० ३५ ९ मो पुग सयमुवधायण २३३ ४२ समुदाये जइ नाणं २०२ ३२ गंतु ण रूवदेसं २११ ३५ १. इट्ठाणिट्टाहार २२१ ४३ ८ तंतू पडोक्यारी .२०३ ३२ नइ पत्तं गेण्हेजउ २१२ ३६ १५ सिमिणो ण तहारूवो २२४ ४३ कहमव्यत्तं नाणं १९७ ३३ गंतु नेएण मणो २१३ ३७ ४ इह पासुको पेच्छइ २२५ ४३ लक्खिाइ त सिमिणा १९८ ३३ नाणुग्गहोवघाया २१४ ३७ ६ दीसन्ति कासइ फुडं २२६ ४४ जगतो विन माणइ १९९ ३३ दबं भावमणो वा २१५ ३७ ११ [न सिमिणबिन्नाणाओ २२७ ४४ RRRRROR For Private And Personal use only

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