Book Title: Gyanarnava Prakaranam Gyanbindu Prakaranam Savivaranam
Author(s): Yashovijay Gani
Publisher: Gulabchandra Devchandra

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra जं भासह तंपि ओ भन्ने मन्नंति मह भावसुआभावाओ १५३ २० १७ ११४ २२ १४ १११ २२ १६ कप्पेज्ज व सो भाव ११६ २२ २३ असुक्खरपरिणामा १५७ २२ २४ इह जेणाहिगओ १५८ २२ णय दव्वभावमेत्तेवि ११८ २३ मह वग्गा सुबत्तण ११९ ३३ अह उवयारो कीरइ १६० २३ भावसुवं तेण मह १६१ २३ भन्ने अणक्खरक्खर १६२ २३ २५ जइ मरणक्खरश्चिय १६३२३ २७ सुयनिस्सियघयणाओ १६४ २४ ५ ७ ९ 4 २६ ४ www.kurth.org अह सुयओ वि विवेगं १६९२४ मइकाले वि भइ सुयं १६६ २४ अइ सुयनिस्सियमक्खर १६७२४ भरनित्थरणसमत्या ९४३ २४ जइसे सुयेण ण तओ १६८ २१ पुवि सुपरिकम्मि १६९ २५ उभयं भावक्खर भो १७० २५ १७१ २६ १६ ३ १७२ २६ ५ १७३ २६ ६ १७४ २६ २७ १७१ २६ २८ १७६ २७ २४ स परपश्चायणओ सुयकारणं ति सद्दो न परपवोहाई दव्वसुभयसाहारण सा वा सद्दत्यो थिय मसुमनाण विसेसो For Private And Personal Use Only २० २२ २४ २८ ५ ७ उग्गहवाओ य अस्थाणं उग्गहणं सामण्णत्थावग्गहण सामनविसेसस्स वि हा संसयमेत्तं जमणे गत्यालंबण तं चिय सत्हेऊ केइ तयन्नविसेसा १८५२९ ३ कासह तयन्नवइरेग १८६ ३० सव्यो वि य सोवाओ १८७ ३० काणुवओगंमि धिई १८८ ३० न साऽवाय महिया १८९ ३१ तं इच्छंतरस तु १९० ३१ १२ 8 २८ ९ ७ १७८ २८ १७९ २८ १५ १८० २८ १७ १८१ २८ २५ १८२ २९ २ ५ १८३ २९ १८४ २९ % ६ २७ Acharya Shal Kalassagarsun Gyanmandir

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