Book Title: Gyanankusham
Author(s): Yogindudev, Purnachandra Jain, Rushabhchand Jain
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 128
________________ ******** li[श! ******** * स्थान है। अतः वृत्तियों को उभार लाने के लिए यह अपना योगदान देता * A है। इतना अवश्य ध्यान रखना चाहिये कि इस के साथ विशुद्धिकेन्द्र का ध्यान करना चाहिये अन्यथा वासना के उद्दाम वेग को रोक पाना असंभव * होगा और साधनाच्युत होना पड़ेगा। *6. मस्तक : मस्तिष्क में सहस्त्रार नामक चक्र होता है। योगशास्त्र * में इस चक्र का अत्यधिक महत्व है। इसी को ही योगशास्त्र में ब्रह्मरन्ध्र . कहते हैं। - यह शान्तिकेन्द्र का स्थान है। नाड़ीसंस्थान व अन्तःस्त्रावी ग्रन्थिसंस्थान का संगम स्थल होने से यह शरीर का नियन्त्रण कक्ष है। * इस पर ध्यान करने से चिन्तामुक्ति. दुःखविनाश, शान्ति की प्राप्ति आदि ** * फल मिलते हैं। किन्ही योगविदों ने मस्तिष्क व ज्ञानन्द्र कहा है। अल* * स्मरणशक्ति के विकास के लिए इस केन्द्र का ध्यान सर्वश्रेष्ठ है। * *. हृदय : ध्यानशास्त्रों ने हृदय में अनाहतचक्र को स्वीकार किया है। * * आत्मस्थता की प्राप्ति में इस चक्र का सहयोग मिलता है तथा वह * * समस्त यौगिक उपलब्धियों का प्रदाता है। यहाँ जो केन्द्र है, उसको * * आनन्दकेन्द्र कहते हैं। यह थायमस ग्रंथि का प्रभाव क्षेत्र है। यह ग्रंथि काम को सक्रिय नहीं होने देती, मस्तिष्क के साम्यविकास में सहयोग * करती है तथा लसिका कोशिकाओं के विकास में अपने स्त्रावों द्वारा मदत* *कर रोगों का विरोध करती है। इस केन्द्र पर ध्यान को केन्द्रित करने से * * साधक बाह्य जगत से अपना सम्पर्क तोड़कर आत्मानन्द प्राप्त करता है। * *१. तान्नु : यहाँ संयमकेन्द्र है। यूँ भी किसी को क्रोध आ रहा हो और * *वह जीभ को उलट कर लालु पर लगा लेवे, तो क्षणार्द्ध में क्रोध का * विनाश हो जायेगा। इतना ही नहीं, यही प्रयोग चिन्ता के समय पर * करने पर चिन्ता समाप्त हो जायेगी और भावधारा में पूर्ण परिवर्तन आ जायेगा। अतः मानसिक एकाग्रता, विषय-नियमन, कषायोपशमन तथा * आवेगों के रोधन में इस का महत्त्वपूर्ण योगदान है। १०. श्रूयुगान्ध : दोनों भृकुटियों के मध्य स्थान को भ्रूयुगान्त कहते हैं। यहाँ पर दर्शनकेन्द्र माना गया है। इस केन्द्र को पश्चिम के साधकों ने तीसरी आँख यह नाम दिया है। कुछ साधक दर्शनकेन्द्र को सर्वज्ञताकेन्द्र ********** ११८********** 茶茶杂杂杂染学杂杂杂杂杂杂学长条茶茶器茶茶茶茶茶※※※举举涂涂装涂涂卷

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