Book Title: Gyanankusham
Author(s): Yogindudev, Purnachandra Jain, Rushabhchand Jain
Publisher: Bharatkumar Indarchand Papdiwal

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Page 135
________________ ****** ********* ध्यान स्थिर मनश्चेव / 23. 26 न जापेन न होमेन नास्ति ध्यान समो बन्धुः नेत्रद्वन्दे श्रवण युगले ___ -पपदस्थ मन्त्रवाक्यस्थं पक्षपात विनिर्मुक्त पदार्था ह्यन्यथा लोके परात्मा द्विविधः प्रोक्त पापकर्म परित्यज्य प्रपञ्चरहितं शास्त्रं प्रभातं योगिनो नित्यं __-भभावक्षये समुत्पन्ने - म. मतिश्रुतावधिश्चेति -थयथा च काञ्चनं शुद्ध यावनिवर्तते चिन्ता यो नरः शुद्धात्मानं 32.. 染時許於路碎碎性非华帝本修长女生中华中华东华控女女女女女攻略杂 152 वर्णातीतं कलातीतं वैराग्य तत्त्वविज्ञान ___-शशुद्धात्मानं परं ज्ञात्वा शुभाशुभात्मकं कर्म श्रुयतें ध्यानर्यागेन ___ - स - संकल्प एव जन्तूनां सम्यग्दर्शनज्ञान 98 43. * 44. | ज्ञानांकुशमिदं चित्त 44 柴柴柴※※※然杂七杂杂杂杂杂麥茶茶

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