Book Title: Gyan Pradipika tatha Samudrik Shastram
Author(s): Ramvyas Pandey
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara

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Page 130
________________ ज्ञानप्रदीपिका। शुभोदये तु पूर्वाह्न यायिनो विजयो भवेत् । शुभोदये तु सायाह्न स्थायी विजयमाप्नुयात् ॥८॥ लग्न में शुभ ग्रह हों तो पूर्वाह्न में आक्रमणकारी को विजय और शुभ लग्न में ही अपराह्न में स्थायो की विजय. बताना। छत्रारूढ़ोदये वापि पुंराशौ पापसंयुते । तत्काले पृच्छतां सद्यः कलहो जायते महान् ॥६॥ छत्र आरूढ़ के उदय में या पुरुष राशि के पापयुत होने पर यदि कोई पूछे तो शीघ्र ही कलह बताना चाहिये। पृष्ठोदये तथारूढ़े पापैयक्तेऽथ वीक्षिते । दशमे पापसंयुक्ते चतुष्पादुदयेऽपि च ॥१०॥ कलहो जायते शीघ्र संधिः स्याच्छभवीक्षिते । आरूढ़ यदि पृष्ठोदय राशि हो और पाप से युत या दृष्ट हो दशम में पाप ग्रह हों या लग्न में चतुष्पद राशि हा तो शाघ्र कलह होगा पर यदि शुभ ग्रह देखते हों तो संधि होती हैं। उदयादिषु षष्ठेषु शुभराशिषु चेत् स्थिताः ॥११॥ स्थायिनो विजयं ब्रूयात् तवं चेद्रिपोर्जयम् । लग्न से लेकर छ: भावों में शुभ राशियों में यदि ग्रह हों तो स्थायो की भन्यथा आक्रमणकारी की विजय होतो है। पापग्रहयुते तद्वाग्मित्रे (?) संधिःप्रजायते ॥१२॥ उभयत्र स्थिताः पापाः बलवन्तः सतोजयम् । यदि उन्हीं ६ राशियों में पाप ग्रह हों तो संधि और यदि दोनों बलो पाप ग्रह हों तो यायी और स्थायो में जो सजन हो उसी को विजय बतानी चाहिये । . तुर्यादिराशिभिः षभिः स्थायिनो बलमादिशेत्॥१३॥ एवं ग्रहस्थितिवशात पूर्ववत्कथयेद बुधः । Aho ! Shrutgyanam

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