Book Title: Gyan Pradipika tatha Samudrik Shastram
Author(s): Ramvyas Pandey
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara

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Page 153
________________ यस्य मीनसमा रेखा दृश्यते करसंतले धर्मवान् भोगवाँश्चैव बहुपुत्रश्च जायते ॥२५॥ जिसके हाथ में मछली की रेखा हो वह धर्मनिष्ठ, भोगवान् और अनेक पुत्रों वाला होता है। तुला यस्य तु दीर्घा च करमध्ये च दृश्यते । वाणिज्यं सिध्यते तस्य पुरुषस्य न संशयः ॥ १६ ॥ जिसके हाथ में लंबी तराजू के आकार की रेखा हो वह पुरुष निश्चय ही उत्तम व्यापारी होता है। अंकुशो वाऽथ चक्र वा पदमवज्रो तथैव च । तिष्ठन्ति हि करे यस्य स नरः पृथिवी-पतिः ॥ २७ ॥ जिसके हाथ में अंकुश, चक्र, कमल अथवा वज़ का चिह्न हो वह मनुष्य पृथ्वी का मालिक ( राजा.) होता है। शक्तितोमरबाणञ्च यस्य करतले भवेत् । विज्ञेयो विग्रह शुरः शस्त्रविद्यौव भिद्यते ॥ २८ ॥ शक्ति, तोमर, बाण के चिह्नों से अंकित हाथ वाला पुरुष युद्ध में शूर होता है, वह शल विद्या को भेदने वाला होता है। रथो वा यदि वा छत्रं करमध्ये तु दृश्यते । राज्यं च जायते तस्य बलवान् विजयी भवेत् ॥ २६ ॥ जिसके हाथ में रथ, छन का चिह्न हो वह बलवान् और राज्य का जीतने वाला होता है । वृक्षो वा र्याद वा शक्तिः करमध्ये तु दृश्यते । अमात्यः स तु विज्ञेयो राजश्रेष्ठी च जायते ॥ ३०॥ जिसके हाथ में वृक्ष या शक्ति का चिह्न हो वह मंत्री और राजा का सेठ होता है । ध्वज वा ह्यथवा शंखं यस्य हस्ते प्रजायते । तस्य लक्ष्मीः समायाति सामुद्रस्य वचो यथा ॥३१॥ जिसके हाथ में ध्वज यो शंख का चिह्न हो उसके पास, सामुद्रशास्त्र के कथनानुसार बल्मी जाती है। Aho! Shrutgyanam

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