Book Title: Gyan Pradipika tatha Samudrik Shastram
Author(s): Ramvyas Pandey
Publisher: Jain Siddhant Bhavan Aara

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Page 166
________________ ( २३ ) पद्मिनी बहुकेशी स्यादल्पकेशी च हस्तिनी । शंखिनी दीर्घकेशी च वक्रकेशी च चित्रिणी ॥४७॥ बहुत केशों वाली स्त्रो को पद्मिनी, कम केशोंवाली को हस्तिनी, लंबे केशों वाली शंखिनी, टेढ़े मेढ़े केशों वाली को चित्रिणी स्त्री कहते हैं । वृत्तस्तनौ च पदमिन्याः हस्तिनी विकटस्तनी । दीर्घस्तनौ च शंखिन्याः चित्रिणी च समस्तनी ॥४८॥ पद्मिनी के स्तन गोल, हस्तिनी के विकट, शंखिनी के लंबे, और चित्रिणी के समान होते हैं । पदमिनी दन्त- शोभा च उन्नता चैव हस्तिनी । शंखिनी दीर्घदन्ता च समदन्ता च चित्रिणी ॥४६॥ पद्मिनी के दांत शोभामय हस्तिनी के ऊंचे, शंखिनी के लंबे और चित्रिणी के समान होते हैं । पदिमनी हंसशब्दा च हस्तिनी च गजस्वरा । शंखिनी रुक्षशब्दा च काकशब्दा च चित्रिणी ॥५०॥ पद्मिनी का शब्द हंस के समान, हस्तिनी का हाथी के समान, शंखिनी का रुखा और चित्रिणी का शब्द कौआ के समान होता हैं । पद्मिनी पद्मगन्धा च मद्यगन्धा च हस्तिनी । शंखिनी क्षारगन्धा च शून्यगन्धा च चित्रिणी ॥ पद्मगन्ध से पद्मिनी, मद्यगन्ध से हस्तिनी, खारी गन्ध से शंखिनी एवं शन्ध गन्ध से वित्रिणी जानी जाती है। इति सामुद्रिक शास्त्रे स्त्रीलक्षणकथनं नाम तृतीयं पर्व समाप्तम् । Aho! Shrutgyanam

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