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जिस पुरुष को लिंग ( जननेन्द्रिय ) लंबा हो वह दरिद्र, मोटा हो वह निर्धन, पतला हो वह सौभाग्यशोल एवं छोटा हो वह राजा होता है।
कनिष्ठिकाप्रदेशाद्या रेखा गच्छति तर्जनीम् ।
अविच्छिन्नानि वर्षाणि तस्य चायुविनिर्दिशेत् ॥१७॥ कनिष्ठा अंगुली के नीचे से जो रखा जाती है वह यदि तर्जनी तक चली गई हो तो समझना चाहिये कि इसकी आयु पूर्णायु अर्थात् १२० वर्ष को है।
कनिष्ठिका प्रदेशाधा रेखा गच्छति मध्यमाम।
अविच्छिन्नानि वर्षाणि अशीत्यायुर्विनिर्दिशेत् । वही रेखा यदि मध्यमा अंगुली तक गई हो तो उसकी आयु विना बाधा के अस्सी वर्ष जानना।
कनिष्ठिकांगुलेदेशादेखा गच्छत्यनामिकाम ।
अविच्छिन्नानि वर्षाणि षष्ठिरायुर्विनिर्दिशेत् ॥१६॥ वही (कनिष्ठा के अधः प्रदेश से जाने वाली) रेखा यदि अनामिका तक गई हो तो पुरुष की आयु, बे खटके ६० वर्ष की होती है ।
कनिष्ठिकांगुलेदेशात रेखा तत्रैव गच्छति ।
अविच्छिन्नानि वर्षाणि विंशत्यायुर्विनिर्दिशेत ॥२०॥ वही (कनिष्ठा के अधः प्रदेशवाली) रेखा यदि कनिष्ठा के मूल तक जाकर ही रह जाय तो आयु के वर्ष बीस (वर्ष) होंगे।
ललाटे यस्य दृश्यन्ते पंच रेखा अनुत्तराः ।
शतवर्षाणि निर्दिष्टं नारदस्य वचो यथा ॥२१॥ जिस पुरुष के ललाट पर पांच रेखाये, एक दूसरे के बाद, दिखाई दें, उसकी आयु, नारदमुनि के कथनानुसार, सौ वर्ष होनी चाहिये।
ललाटे यस्य दृश्यन्ते चतूरेखाः सुवर्णितम् ।
निर्दिष्टाशीतिवर्षाणि सामुद्रवचनं यथा ॥२२॥ जिस पुरुष के ललाट पर चार रेखायें, खूब अच्छी तरह से दिखाई पड़ें, इस शास्त्र के अनुसार उसकी आयु अस्सी वर्ष की होगी।
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