Book Title: Guptavati Yukta Durga Saptashati
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अष्टादशभुजायाः स्वतन्त्रपूजायामन्यदप्यमाह। यदा चेति / नवश तयः कवचाता: शलपत्रवादयः पौठशक्तयो वा। रुद्र इति / दक्षिणोत्तरयोरित्यर्थः / अथ करणमन्वानाह। नम इति / नमो देव्या इत्येकेन वा अथर्वशीर्षस्थ मन्त्रण। रौद्राय इत्यादिस्तोत्रमन्त्रः सर्वैरपि वा // 23 // अवतारवयेति / ... महाकाली 'वं स्वाहा त्वं स्वधतिस्तोत्रमन्महालक्ष्मी 'देव्यायया तत'मिति स्तोत्रर्मन्दमहासरस्वती 'देवि स.टी. नवास्याः शक्तयः पूज्यास्तथा रुद्रविनायकौ। नमो देव्या इति स्तोत्रैर्महालक्ष्मी समचयेत // 23 // अवतारवयार्चायां स्तोत्रमन्त्रास्तदाश्रयाः / अष्टादशभजाचैषा पूज्या महिषमर्दिनी // 24 // महालक्ष्मीमहाकाली सैव प्रोक्ता सरस्वती। ईश्वरी पुण्यपापानां सर्वलोकमहेश्वरी // 25 // प्रपवार्त्ति हरे' इति स्तोत्रमन्वैरर्चयेदित्यर्थः / इदानीं चण्डीस्तवीपासकानामष्टादशभुजायामध्यमचरित्रदेवताया महालक्ष्मया एव पूजनं नित्य काम्यञ्च, इतरयोः पूजनं कृताकृतं, महालक्ष्मया एव समष्टित्वेन तत्पूजयवान्ययोः पूजितप्रायत्वादिति ध्वननाय विस्तरेण तदेव वर्णयति / अष्टादशेत्यादिना // 24 // 25 // For Private and Personal Use Only

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