Book Title: Guptavati Yukta Durga Saptashati
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुद्धिपत्रम् / पय पृष्ठः पच पृष्ठ: पंक्ति: पतिः | अशुद्धम् | याञ्चयामुये | भट्टि पहम् प्रदर्शनम् परावाक् हृदयमूर्मि: कृतिकपा चेन्यतामिव घदोन्झति शुद्धम् पापयामुये भाह दिप्रत्यये पद्माक्षी विधी अहम् शु.प. प्रवेशनम् परावाव हृदयमूर्ति: कृतिरुपा चैत्यतामधि प्रदीद्यति 'গ্র্যনি देशप्रयोग देवोत्तरिते मर्थगुरी यतीत्येव दिवाध 2 ज्येष्टा ग्याल्पान्तर सतित 10 | दिप्रत्यये पभाक्षीः तविधी 3 स्थान्तर 13 सङ्कीचित शतभेदी ध्यारेण यस्य तु दृष्टार्थ * | दैवत्व देषप्रयोग देव्योतरि. मर्थं गुरी यित्वेव दिशाध शत्यभिधी ध्याहारण तदृदृष्टा देवत्व For Private and Personal Use Only

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