Book Title: Gnata Dharmkathangam
Author(s): Chandrasagarsuri
Publisher: Siddhchakra Sahitya Pracharak Samiti

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Page 9
________________ RAGICHAVA FI उपसंहारजा आ ग्रन्थने प्रकाशन करवानी प्रथमतः पहेल करनार तरीके वडोदरा शहेरना श्रीसंघना आर्थिक सहायकोनो, हस्तलिखित ग्रन्थनी | प्रतिओ साथे मेळवबाचें काम करनार पू० उपा० श्रीदेवेन्द्रसागरगणीवरना शिष्य पू० मुनिश्रीदोलतसागरजी म. नो, प्रेस | मेटर तैयार करवानु, प्रेस प्रूफो संशोधन करवानु, परिशिष्टो तैयार करवानुं अने शुद्धिपत्रक तैयार करवानु शुभ कार्य करनार पू. मुनिश्रीचन्दनसागरजी म. नो, बनती त्वराए सुन्दर काम करी आपनार प्रेस मालीक शा गुलाबचन्द लल्लुमाईनो, तेमज तेओश्रीना प्रेसना कंपोझीटर वगेरेनो अने संशोधननु तथा अन्य सम्पादन- सर्वोत्तम कार्य प.पू. आ. श्रीचन्द्रसागरपरिजीनी | पुनित नजरतळे थयेल होवाथी तेओश्री आदिनो हार्दिक आभार मानुं छु. वांचको-विचारको अभ्यासको वांचवा पहेलां शुद्धिपत्रकथी | अशुद्धस्थलो शुद्ध करीने वांचे-विचारे अने परिशीलन करे एज एक शुभेच्छा... . . निवेदक:२२४ शेखमेमणस्ट्रीट पानाचन्द रूपचन्द झवेरी. मुंबाइ नं. २ श्रीसिद्धचक्र-मासिकना तन्त्री तथा २००८ सौभाग्य पञ्चमी. श्रीसिद्धचक्र-साहित्य-प्रचारक-समितिना प्रधान-संचालक. MERABARKARAN

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