Book Title: Gadyachintamani
Author(s): Vadibhsinhsuri, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 490
________________ १५२ गचिन्तामणिः - निचुलित-आवृत ९३।१५१ प परिवादपवि-निन्दारूपी वज्र नितान्तजनन-तोतवेग पङ्कजासना लक्ष्मी २०१५ २४१५८ ९१११४७ पचेकिमफक-पर्व फल ३१७ परिवादिनी--पीणा १००११६६ निद्राण सोते हुए ११३ परिष्कृत-शोभित पनवाणलीला-कामक्रोडा४।२६ निरस्त नीरदावस्थ-दात रहित - पञ्चशाख-हाथ १८२०२७४ परिष्का -घिरी हुई ३३१७ अवस्यासे दूर, मेघोंको स्थितिपञ्चानन-सिंह परिसर-निकट २०१५ से रहित १९७१२९३ परतवास-शान ३५१७४ पटवास-पबासित चूर्ण निळूण-निर्दय ९१४९४८ पल्ल वापी-नवीन कोरलोंका १९२ २८९ निर्वापित-वुझा हुआ १८५१ पटह-नगाड़ा १।१० १९१:२८६ समूह नियूह-छज्जा ३।२२ पजविन-द्धिगत १०२।१६८ पटिष्ट-प्रत्यन्त चतुर २४०५७ निलिम्पग्रामणी-इन्द्र पीरपङ्क-घिसा हुआ चन्दन । परी-अहीरोंको बस्ती ८१.१३५ १०१।१६६ १४०।२१३ पक्षधर-लया १८७१२८३ निशान्त-अन्तःपुर १३११२०३ पण्य योषिद्-वेश्या ५७२ निशामन-अवलोकन परनपथ-आकाश ९१।१४७ पतङ्ग-सूर्य १६४।२४७ पवनसख-अग्नि ८०११३४ १३१।२०२ पतङ्गमाव-सूर्यकान्तमणि निशित-तीक्षण पवित्रकुमार-जीवघर २६०६१ १६२।२४५ १९११२८७ निशितशेमुषी-तीक्ष्णबुद्धि पत्रल-पत्तोंसे युक्न १६२१२४५ पाककपिशकणिशभर-पकनेसे ४४८७ पत्रिन्-बाण २४७१३६६ - निशीथिनी-रात्रि १२१४३ पीली बालोंका समूह १।११ पद्मिनीसहचर-सुर्य २९६६३ - पाल-हाधीकाज्यर १४३।२१६ निषङ्ग-तरकश ७९५१३४ परमपरिट-शेषनाग ९।४० निषादिन्-महावत १४४।२१७ पाकशालिता-निष्ठा-मर्यादासे पयोधर-स्तन, मेघ ९५।१५४ शोभितपना ६३० निष्कपनिषाद-निर्दय भील परभृत-कोयल ३१७ २४४५८ पाशासन-इन्द्र २९।६३ पराकान्त-शत्रुके आक्रमणसे निष्कण्टकता-क्षुद्र शत्रुओंसे पाकशासनसरासन-इन्द्रधनुष युक्त १८०।२७३ ५०१९५ रहितपना ६।३१ परागपटल-धूलिका समूह १।१४ निष्णासा-निपुणा १८६।२८० पाटल-कुछ लाल ३८१७७ पराचीन-चराङमुख १८०.२७३ निष्प्रतिघ-निविरोध२४८।३६७ ।। पाटली-गुलाब परिकर्मविकल-आभूषणोंके । निसृष्टार्थ-राजदूत २४५३३६३ पाणिगृहीतो-कन्या १७३।२६२ प्रकार १३९४२१२ निहत नियन्तृक-जिनका सारथि पाश्रीराशि-समुद्र १११ परिक्षेप-घेरा १८ पाद-किरण, पैर ५२९ मारा गया है. ७५।१२७ परिजिहो-दूर हानेको इच्छा पायस-दूधसे बने हुए पेड़ा नीराजन-आरती ११० आदि ५४११०० नीरन्धित-ध्याप्त ३२० परिदेवननिदान-विलापका पार्थिव-राजा २५.६० नीवी-स्त्रीके अधोवस्त्रको गाँठ कारण १६६०२५१ पार्थिव-क्षत्रिय १०९.१७७ परिणत-परिपक्व १९५२ नृकरोटिकपर-मनुष्य के शिरको पिच्छिल-कोच मे युक्त-गोला परिणमन-विवाह १४२१२१५ ३।१७ खोपड़ी ३५१७३ परिवुभूषा-तिरस्कारकी इच्छा पिटातक-दुल्दोका चूर्ण ३५।७२ नैरात्म्यवादिन्-मात्माकी सत्ता पुण्डरीकासना- लक्ष्मी १८ को नहीं माननेवाला ५५।१०२ परिमल-सुगन्धि ११३ पुनरमिहित-गुन रुक्त न्यक्कस-तिरस्कृत १८६।२७९ परिवाद-निन्दा १०९:१७६ १२२।१९०

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