Book Title: Gadyachintamani
Author(s): Vadibhsinhsuri, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 492
________________ १५३ गद्यचिन्तामणिः यावक-महावर, रिवाया गेम लगाया जानेवाला साल २२।५६ - योग्या-अभ्याग १९७२९४ रंग रक्ता-अनुरागस युः, लालवर्थ रजनीमुख-तका प्रारम्भ गाग रणजिका-उत्कण्टा ५९.१०८ श्योगमिथुन-यात्रा चकवी स्थयूबर-रयका धुग रथक त्या-रथों का समूह ३।२२ भोजनास्थानमण्डप-भोजन- महाह-महामन्य ३७१७७ शालाका स्थान ५२।९८ महावाहिनी-बड़ी सेनाए, बड़ी नदियाँ २३१६४१ बापता-प्राणता मखाशन-देव १०९.१४७ मणिबन्ध-कलाई १२४।१९३ अत्यधिक शक्तिसे युक्त मणिपरिहार्य-मगियोंके आभूषण होना ५९:१०७ ३.११ महिषी-- मुव रानी, विजया मणीचक निचय-भारतीक ३६१७६ फूओं का समूह १०५।१७१ महीक्षित्-राजा १०९।१७६ मण्डलाम-तलवार २०६५ महीपत्य नुमरण-राजाके पंछे मत्त काशिनी-पुन्दरी ६०११० मरना ३४।७० मदिराक्षी-मादक नेत्रों से युक्त माधवी-मधुकामिनीलता ११० १३२।२०४ मानसौकस्-हंस १८०२७२ मधुकर मन्नुशि अत मुखरित- मार-कामदेव ६८।१२० भ्रमरों की सुन्दर इनफारसे माय-चिकनाई ५९५१०८ शब्दायमान १२६।१९२ मीमांसा-मीमांसकमत, विचारमधुकरनिकुरम्ब-नमरसह शवित ९९।१६२ मुकारत-दूर हुआ १८ मथुप-भौंरा, मदिरा पीनेवाला __मूछना-स्वराका आरोहाबरोह १५१२४३ १०९।१७६ मधुलिह -भ्रभर १२७:१९२ मूपिकावड-चुहियाका विष मनसिजविजयभागावली-सम २०१।३०० देवकी विजय प्रशस्ति १.९ मृगमद-कस्तूरी १९१२८९ मनुमहिम्ना-मन्त्र की महिमा से, मंखलाबन्ववन्धुर करधनीकी कमसे ऊँचे-नीचे १२४११९३ मन्प्रिकृय-मन्त्रवादियों का कार्य, मंच किंज-श्यामवर्ण १२१४१८९ मन्त्रियों का कार्य ६२१११३ मदुरित-वृद्धिंगत १।११ मन्द्रघोष-जोरदार शब्द ३।२२ मोहतिक-ज्योतिषो ९८।१६१ मन्दप्राण-परणोन्मुख यमधर-मुनि मन्दरमहीभृत-मेरुपर्वत ५.२७ यन्त्रकलापिन्-मयूगकार यन्त्र मन्दाक्ष-लज्जा १२२.१९० जो आकाशमें उड़ता था मन्दारगरिमा कलरवृक्षका गौरव २०१५४ ५।२८ यामिकयुवति जन-पहरेपर रहने मस्त-हवा, देव १६२।२४५ वाली स्त्रियाँ १३।४४ मलख-अग्नि १५०।२२७ यामिनीनगयिन-चन्द्रमा मलयजस्थासक-वन्दनका तिला १८४.२७६ यामिनीस्वामिन-चन्द्रमा मलिम्लु-चोर १८०१२१३ १५९।२४१ राजहंस-बड़े-बड़े राजा, जिनके चांच और पांव लाल हा एनेस ५/८२ राजभाव-राजपना,चन्द्रपना ६२१११३ राजपरिवह-राजाके उपकरण राजन्वती-योग्य राजासे युक्त राजन्य-गजकुमार ४.२५ रुन्द्रस्वन-जोरदार शब्द १२९।२०० रुरुगण-मृगोंका गड १६८०२५५ रोलम्धकदम्ब-श्रमर समूह १४२१२१५ लरह-मुन्दर ११११८५ लव्धव-विद्वान् १२७।१९८ लालाटिक-संवक २०५३०४ लोकोत्तर-सर्वश्रेष्ठ १५७२३९ तिलक ८४ वक्रित-दो वदन शोधु-मुख मदिरा ६०।११०

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