Book Title: Gadyachintamani
Author(s): Vadibhsinhsuri, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 491
________________ Jas - पुरन्धीवात - सौभाग्यवतो स्त्रियोंका समूह १७७ २६८ पुरस्क्रिया - सत्कार १४८/२२३ पुरस्क्रिया - भेंट के समय आगे रखने योग्य ७७।१३० पुराणपुरन्ध्री-वृद्ध स्त्रियाँ ३५/७३ पुरुषोत्तम - विष्णु, श्रेष्ठ पुरुष ६०।१११ पुरुहूत पुरोधस् - वृहस्पति ८३७ पुरोनिहित पृथुतरामत्रपातितसामने रखे अत्यन्त विस्तृत पात्र में परोसा हुआ ५३१९९ पुष्कर - सूँडका अग्रभाग १४३।२१६ पुष्प रिछोली- फूलों का समूह १११० पुष्पकाबीजन - फूल तोड़नेवाली ३।१३ स्त्रियाँ पुष्पवती - फूलोंसे युक्त, रजस्वला स्त्री १५९,२४१ पूगवाटिका सुपारी बाग ११३ पूर्वज-बड़े भाई २०० २९८ पौरोगव - रसोइया ५३४९८ पृथ्वीसुर ब्राह्मण १०९/१७७ पृष्टाष्टक - पीठकी हो ११६।१८३ ८३।१३७ प्रकीर्णक- चमर प्रजा मन्त्री बादि प्रमुख वर्ग प्रजावती - भावन-गन्धर्वदता ५।२७ २००/२१९ प्रताप - तेज, प्रकृष्ट ताप- गरमी १८०/२७३ प्रतारण प्रावीण्य - ठगने की चतुराई २६५।३१८ प्रत्यासन्न - निबटस्थ २१९ ३२५ 3 परिशिष्टानि ५५।१०३ प्रत्यर्थिन् - शत्रु ५६।१०४ प्रतिवळ जलधि - शत्रुरूपी समुद्र ८.३७ ३१.६६ २४६३६४ - प्रतीक्ष्य-पूज्य १७३/२६२ प्रतीपगामिनू - उलटा चलनेवाला 1 प्रत्यासन्नभव्य निकटभव्य प्रतिभट - शत्रु प्रतिष्क-जावक २८/६२ प्रदीपादोपकोंसे युक्त अट्टःलिका १६५२५० प्रद्युम्न गरल वेग-कामरूपी विपका वेग १५७/२३८ अपा-प्याऊ १।१३ प्रभूतप्रभृत-बहुत भारी भेंट १३९/२१२ प्रकयरणिपरिषद् - प्रलयकालीन सूर्यका समूह ५८।१०६ धूमकेतु - प्रलयकालोन अग्नि ३१।६६ प्रत्रयस्-वृद्ध ९९/१६२ प्रवाल- मूंगा के दण्ड ४४।८५ प्रशस्तकर्म-हवन आदि उत्तम कार्य १०१४ १।१० प्रसर-फूल - प्रस्तुतस्तनी - जिसके स्तन से दूघ झर रहा हो ऐसी स्त्री ३७/७६ प्रस्विन्नदेह पसीना से युक्त शरीर ३१,६६ १४।४५ - प्रसृमर-फैलनेवाला प्राज्याज्य-श्रेष्ट की ५३।९९ प्रांशुपुरुष - ऊंचा पुरुष १९२१२८९ पूर्णपात्र हर्ष के समय मित्र जनोंके द्वारा जबर्दस्ती लिया हुआ उपहार प्रेक्षावत्-बुद्धिमान् प्रेतावास श्मशान ३५१७२ ९.४० ३८।७७ व ४५३ कोट- बगुला बन्धुजीवबन्धुर- दुपहरिया के १।१२ फूलों व्याप्त ३|१८ ३।१८ - बन्धुर-ऊंचे-नीचे बल निघून पुरोधस् इन्द्रका पुरोहित वृति ५८०१०६ बलभिदुप-इन्द्रनीलमणि ३.२२ बलमथन-इन्द्र ९/३९ बालेयी-गधी ९।४० बज्रवदुन- बलवान् सौड़ १११४ बहलिमा अधिकता १।१३ बहिडिम्बर- मयूरपिच्छोंका समूह ७३६ बृहद्वृती-बड़ी-बड़ी ककड़यी ५३।९९ ㄓ - कायर, झूठे योद्धा ७५/१२६ सार्थ भव्यजीवों का समूह ४४१८६ भस्मक-भस्म व्याधिनामक रोग भानुमालिन् -सूर्य भुजान्तर वक्ष स्थल ५१।९६ मागविर - भाग्यते रहित अभागा १८८।२८३ ४१२४ ३५/७२ भुजिष्य-सेवक १७३.२६२ भुजिष्या - सेविका २४१/३५४ भूनन्दन - मंगलग्रह पृथिवीको आनन्दित करनेवाला २३३३४५ भूभृत्-पर्वत, राजा ५/२८ भोगावती नागके रहने की पातालपुरी ३।१५ मोगावली - विरुदावली, कोचि गाया ६।३० भोजनामत्र - भोजन के पाश्र ५२/९८

Loading...

Page Navigation
1 ... 489 490 491 492 493 494 495