Book Title: Gadyachintamani
Author(s): Vadibhsinhsuri, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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________________ परिनियानि 112 सौखरात्रिक-रात्रि सुलसे बीती? स्पर्शन-स्पर्श, दान 179 / 270 यह पूछनेवाला 185 / 278 स्फीतफलस्तवक-बड़े-बड़े फलोंसौरमेयी-गाय 205:304 के गुच्छे 1620245 सौबिदरुक-अन्तःपुरमें काम रफीतपरिकर्म-भारी सजावटः / करनेवाला वृद्ध कंचुकी 35172 103 / 169 साहित्य-तृप्ति 54 / 101 / / स्फुटित पाटलीकुसुम-फूल हुए सृणि-अकुश 2661 123 / 192 स्कन्धाबार राजधानी 94 / 153 स्मयापस्मार-अहंकाररूपी स्तनित-मेघ गर्जना 207 / 387 मिरगीका रोग 585106 रतवरकनिचोक-आवरा वा वस्त्र स्याद्वादवज्र-अनेकान्त वादरूपी 46 / 89 4487 स्थपुटित-नतोन्नत 3572 स्वन्त-अच्छे फलबाला 24158 स्थलपुण्डरीक-सफेद गुलाब हरिदन्तराल-दिशाओंका मध्या वकाश हरिदिभ-दिमाज 1171184 हरिविष्टर-सिंहागन 235 / 347 हर्षकष्ट कित-दर्षसे रोमांचित 38 / 78 हर्षकाष्टा-हर्षको चरमसीमा 148 / 224 हस्तिपक-महावत 238350 हाटकपतद्ग्रह-सोने का पीकदान 121519. हिमानीबिन्दुदन्तुरित-ओसकी बूंदोंसे व्याप्त 1831275 हीरारि-रस्सी अथवा जंजीर 215 / 321 स्नुषा-पुत्रवधू 268 / 400 स्निन्धा-स्नेहयुक्त, चिकनी 179 / 270 हरिताश्व-सूर्य 44 / 86 हरिताश्वोदयहरित-पूर्वदिशा 44186

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