Book Title: Gadyachintamani
Author(s): Vadibhsinhsuri, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 494
________________ ४५६ शब्दशासन- व्याकरण ४८/९२ शख्य-निशाना २४५।३६२ शरगुणनिका बाण चलानेका अभ्यास २४३।३५९ पिशितमुका मांस शाखामृग-बन्दर शाणोपल सीटो शातकुम्म स्वर्ग शातकुम्भ गिरि-सुमेह १०९ १७७ ३१।६७ शांतीदरी-कृशोदरी बलतृण- हरी-हरी घास १।१३ शालिस्तम्- धान के पौधे १.११ १.११ शालेय - धान के खेत शिजित - आभूषणों का शब्द ३५७३ ३।१८ ४४१८७ ९७ । १५८ शिळीमुद्राण शिलीमुख- अमर शीकर - अधिक शुण्डाकौरस - हाथियोंके बच्चे २०४/३०३ ३।१८ १६६।२५२ ४/२६ १५१२३२ शेषा-पूजा के बाद बच्चे अक्षत घ १८५१ शोकधूमध्वज - शोकरूपी अग्नि २४३३५८ शक्तिकनिकर- मोतियोंका समूह १५२।२३१ श्वाविधू शिकारी-भोल षट्चरणचक्र-भ्रमरसमूह १५०।२२८ १६४/२४८ स विघटित - सदा खुले हुए ५१:९६ सत्-नक्षत्र, सज्जन ६२/११३ गद्य चिन्तामणिः सत्यापयामि सत्य सिद्ध करता १२७।१९८ हूँ सनामि-समान सनाभि-भाई सनीडगत - समोपमे स्थित १५९/२४१ सप्तस्वर-निषाद, ऋषभ, गान्धार, पड्ज, मध्यम, धंवत और पंचम ये सात स्वर हैं ७.३४ ३९१७९ १०२।१७६ सब्रह्मचारिन् सदृश १४/४५ समरहर्षलमदवद्दिम--युद्ध से महावी समाध्मापितम्पादककामको प्रज्वलित करने२२२३३० सम्पराय ( साम्पराय ) - युद्ध, कलह ३.१८ सम्यक्त्वधन- सम्यग्दर्शन रूपो वाला धन ४९।९४ सरसीरुहासन विलासिनी-सरस्वतो सर्वसहा- पृथिवी १७६/२६६ सलिलकर्मान्तिक-पानी पड़े १५३४८ ५३।९९ सहकार - सुगन्धित आम के वृक्ष ३०१७ सहस्ररोचिषु-सूर्य १७६।२६६ सहस्राक्षता-हजार नेत्रों युक्त१।११ संपदाभोग - सम्पत्तिका विस्तार ३।१५ पना संयुगसंनाह-युद्ध की तैयारी २००/२९९ संस्थित मृत संसृति-संसार सात्यन्धरि- जोबन्धर सानुक्रोशं दयासहित * २४८ ३६७ ९८५१ १३२।२०५ १२५/१९४ साभोगा विस्तृत, स्थूल १७९/२७ साम्प्रतिक आधुनिक आजका ९८।१६६ सायकमष्टश्रेष्ठवाण सारणी-नहर सारमेय- कुत्ता सापिंष्क - घी से बने हुए २४५/३६३ १/१२ १२५९/१९४ ५४।१०० सार्वभौम - महाराज, सत्यन्धर ३४.७० सांयात्रिक-नावका व्यापारी सांस संसर्ग - कन्धासे कन्धा ९६।१५५ मिलाकर अत्यन्त निकट १९९/२९८ सिद्धमातृका - अकारादि वर्ण माला ४४१८८ सुतसुधासूति - पुत्ररूपी चन्द्रमा ३५.७१ सुनासीरदन्तावक इन्द्रका हाथी ७/३३ सुप्रतिष्ठक-तोर्यपाश्र, ठौना सुमनस-पुष्प, विद्वान् सुरसरित-गंगा नदी ९७ १५९ ९६।१५७ सुमनस्-देव, विद्वान् ५।२८ सुरत दौर्लालित्य - सम्भोगमें अनुकूलताका अभाव २२९/३३७ सुरपतिदेशीय इन्द्रतुल्य १७३ । २६१ १२१।१८९ सुवृत्त - गोलटिपकी, सदाचार १७९।२७१ सौतिक सुखसे सोये ? यह पूछने वाला १६८२५५

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