Book Title: Epigraphia Indica Vol 12
Author(s): Sten Konow
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 392
________________ सिद्धि ॥ संहार का लहर दिदि देव का सुप महाग हा लाल किल विकराल प्यापदा, व (कॅरकृतिबू काय या ॐः ॥ दुवा र वा हर াियादवराव 2 समूह पर यादया व द्रवरुप या उदेवि पि ॥ बाकुल यकलल पाल बोलिमालाई डियन लवलवाद क • यकु / विदिशा साविक सीता का का मानो यमा कशा लगू • नया हिदास विकृष्ट हाल कान विकतच कार का का का ककस सं विषुवृदि 10 लबदल के लवाइवल : चट्रल कमल मीलाल कुरु सकल विद अवध एवम व काना समया, का मद्दत ] कदी मंदुका 2 4 8 12 a म वाथ वावटु चरुवालु ममायरामा नाधिकयादवल मलकुल दिल का दल व कुली लूलीमलूल वि द्वार रामका कुमार मा राम वाटूल भाव द निकाल रुक्षायामादियाकिसभा दि 87 यहिया नियम विदिन म सुरुवतो ।। 5वा दिया विषयसंमृङ्गः का व शिव : शिमाचेयः स विवि अशा যবभा हथा सलिलवा गाय र सरल विवि । दिन निका यविध्वा शिवरायालायको सवाद्य वासुदेव सुना 2. अधिलमुले सिरसा से विवविद्या विवादि मृणावदेव दिया दिया दिव्याकुला वनाई लयाव द्वावव वववधाकाका विद्यान विल विद्या 14 16 S 18 दिव 22 24. 26 28 30 32 ith. Baud plates of Ranabhanjadeva.-54th year. असियाधराष्ट्रवचन व लालविरुद्ध वाचन के नवं सूल्यम चिवावा कपल दिः सगरा दिये साथ साथ सुमन मारू चीर दिया विवाः सदा वायल मान रहा ललता अनुभव द वाचकलित कवि लाव । लालः क दिवस के लिए, यादवि या मायाको दिवस विषयमा सहय व: ॥ जेवि सं विष मिश्रा पर मिलाप क माया दिया व व घमय विषयका किना का साबुदामा भाषा का काहि चाय साध कवि के निकला। वकार के वाद 3 युद्ध SCALE 05 दुधাক-এজৗप यस वह सिसुवा चा चाल W. GRIGGS & SONS, PHOTO-LITH. 4 8 10 12 1-4 16 18 20 22 24 26 28 30 32

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