Book Title: Dvadasharam Naychakram Part 2 Tika
Author(s): Mallavadi Kshamashraman, Sighsuri, Jambuvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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विषयानुक्रमः
विषयः
पृष्ठम् विषयः
पृष्ठम् वैशेषिकसूत्रस्य कटन्यां टीकायां
सत्तानिराकरणम्
५२०-५२३ निर्दिष्टस्य पूर्व पक्षस्य समर्थनम् ४५८-४६० द्रव्यादीनां स्वतः सत्त्वम् प्रशस्तमतिमतखण्डनम् .. ४६०-४७० समवायस्यैकत्वे दोषप्रदर्शनम् ५२३-५२७ [मालवनगरे सप्तसु वर्षशतेष्वपि
[प्रशस्तपादभाष्य-तत्त्वसंग्रहव्यतीतेषु स एव घटो वर्तत इति
पञ्जिकान्तर्गतः समवायवर्णनम्] ४६८ विचारः-टि०]
५२४-५२५ सत्तासमवायनिराकरणम् ४७१.-४७३ ।। प्रशस्तमतिमतखण्डनम् सत्ताया असत्सत्करत्व-सत्सत्कर
समवायनिरासः
५३५ त्वयोनिरासः
४७३-४८७ उभयोभयनयस्वरूपम् सत्तायाः सदसत्सत्करत्वनिरासः ४८७ वस्तुनो भावाभावात्मकत्वम् ५३६-५३८ सदसदैकात्म्योपपादनम् ४८७-४९० भावाभावान्यतरैकान्तवादनिरासः ५३९ वैशेषिकेण स्याद्वादे दूषणाभिधानम् ४९०-४९१ परस्परावबद्धभावाभावत्वसाधनम् ५४०-५४३ स्याद्वादे दूषणपरिहारः ४९१-४९५ लोकवादे क्रियाऽभावप्रदर्शनम् ५४४-५४६ वैशेषिकसूत्रस्य टीकायां प्रशस्त
अन्यापोहः शब्दार्थः ५४७ मतौ निर्दिष्टानां स्याद्वाददोषाणां
-बोद्धाचार्य दिश्नागमतस्योल्लेखः परिहारः
४९५-४९८ [दिनागमतस्य विस्तरेण कटन्दीकारविहिताक्षेपनिरासः ४९८-५०३
निर्देशः-टि०]
५४७-५४८ प्राग् निष्पत्तेरसत्कार्यवादनिरासः ५०४-५०७ प्रतिभावाक्यार्थः
५४८-५४९ निष्ठा-सम्बन्धयोरेककालत्वादिति
ऋजुसूत्रदेशत्वात् पर्यायास्तिकत्वम् ५४९ वाक्ये दोषाः ५०८-५१२ पर्यायास्तिकशब्दार्थः
५५० वैशेषिकसूत्रस्य वाक्यस्य भाष्यस्य
आर्षे निबन्धनम्
५५०-५५१ प्रशस्तमतिरचितटीकाया उल्लेखः ५१२-५१३ ०८ अष्टम उभयनियमारः ० ५५३-७३७ प्रशस्तमतिमतखण्डनम् ५१४-५१५ पूर्व नयमतदूषणम्
५५३-५५५ वैशेषिकसूत्र-वाक्य-भाष्य
स्वसम्मतोभयनियममतवर्णनम् ५५६
नामद्रव्यार्थभवनवादिनः पूर्व पक्षः ५५७-५६० प्रशस्तमतिटीकाकृतां मतस्य
नामद्रव्यार्थ नयमतम्
५६०-५६६ निरासः
नामद्रव्याथनयनिरासः ५६७-५७९ वैशेषिकमतखण्डनम्
[धैयाकरणमतखण्डनम् ]
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