Book Title: Dighnikayo Part 3
Author(s): Vipassana Research Institute Igatpuri
Publisher: Vipassana Research Institute Igatpuri

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Page 284
________________ (३.११.३५९-३५९) ११. दसुत्तरसुत्तं २४३ "सब्बसो विज्ञाणञ्चायतनं समतिक्कम्म “नत्थि किञ्ची"ति आकिञ्चञायतनं उपसम्पज्ज विहरति । अयं छट्ठो विमोक्खो । “सब्बसो आकिञ्चायतनं समतिक्कम्म नेवसझानासज्ञायतनं उपसम्पज्ज विहरति । अयं सत्तमो विमोक्खो। "सब्बसो नेवसञ्जानासायतनं समतिक्कम्म सञ्जावेदयितनिरोधं उपसम्पज्ज विहरति । अयं अट्ठमो विमोक्खो। इमे अट्ठ धम्मा सच्छिकातब्बा । “इति इमे असीति धम्मा भूता तच्छा तथा अवितथा अनञथा सम्मा तथागतेन अभिसम्बुद्धा। नव धम्मा ३५९. “नव धम्मा बहुकारा...पे०... नव धम्मा सच्छिकातब्बा | (क) “कतमे नव धम्मा बहुकारा? नव योनिसोमनसिकारमूलका धम्मा, योनिसोमनसिकरोतो पामोज्जं जायति, पमुदितस्स पीति जायति, पीतिमनस्स कायो पस्सम्भति, पस्सद्धकायो सुखं वेदेति, सुखिनो चित्तं समाधियति, समाहिते चित्ते यथाभूतं जानाति पस्सति, यथाभूतं जानं पस्सं निबिन्दति, निबिन्दं विरज्जति, विरागा विमुच्चति । इमे नव धम्मा बहुकारा । (ख) “कतमे नव धम्मा भावेतब्बा ? नव पारिसुद्धिपधानियङ्गानि- सीलविसुद्धि पारिसुद्धिपधानियङ्गं, चित्तविसुद्धि पारिसुद्धिपधानियङ्गं, दिट्ठिविसुद्धि पारिसुद्धिपधानियङ्गं, कढावितरणविसुद्धि पारिसुद्धिपधानियॉ, मग्गामग्गजाणदस्सन - पारिसुद्धिपधानियङ्गं, पटिपदाञाणदस्सनविसुद्धि पारिसुद्धिपधानियङ्गं, आणदस्सनविसुद्धि पारिसुद्धिपधानियङ्गं पञ्जाविसुद्धि पारिसुद्धिपधानियङ्ग, विमुत्तिविसुद्धि पारिसुद्धिपधानियङ्गं । इमे नव धम्मा भावेतब्बा। (ग) “कतमे नव धम्मा परि य्या ? नव सत्तावासा- सन्तावुसो, सत्ता 243 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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