Book Title: Dhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 2
________________ मेरे मन में ओशो के लिए अगाध प्रेम है। बुद्ध के बाद वे ही एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्होंने चेतना के अंतिम स्तर -महापरिनिर्वाणात्मक स्तरका स्पर्श किया है। उनके साथ जुड़कर मैं स्वयं को धन्य मानता हूं। महाकवि नीरज मनोविज्ञान, मनोविश्लेषण, दर्शन और धर्म के चौराहे पर ओशो सबसे महत्वपूर्ण और सबसे सफल शिक्षक हैं। डा. गाई एल. क्लेक्सटन, डी. फिल. (आक्सफर्ड) शिक्षा मनोविज्ञान के व्याख्याता यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन, यू. के. भगवान श्री रजनीश अब केवल 'ओशो' नाम से जाने जाते हैं। ओशो के अनुसार उनका नाम विलियम जेम्स के शब्द 'ओशनिक' से लिया गया है, जिसका अभिप्राय है सागर में विलीन हो जाना। 'ओशनिक' से अनुभूति की व्याख्या तो होती हैं, लेकिन वे कहते हैं कि अनुभोक्ता के संबंध में क्या? उसके लिए हम 'ओशो' शब्द का प्रयोग करते हैं। बाद में उन्हें पता चला कि ऐतिहासिक रूप से सुदूर पूर्व में भी 'ओशो' शब्द प्रयुक्त होता रहा है, जिसका अभिप्राय है: भगवत्ता को उपलब्ध व्यक्ति, जिस पर आकाश फूलों की वर्षा करता है।

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