Book Title: Dhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ ध्यानयोग : प्रथम और अंतिम मुक्ति 217. संभोग में कंपना 219. प्रेम का आत्म-वर्तुल चौथा खंड ध्यान में बाधाएं 223. दो कठिनाइयां 223. अहंकार 228. वाचाल मन 232. झूठी विधियां 232. ध्यान एकाग्रता नहीं है 234. ध्यान आत्मपरीक्षण नहीं है 236. मन की चालबाजियां 236. अनुभूतियों के द्वारा मत ठगे जाओ 236. मन पुनः प्रवेश कर सकता है 237. मन तुम्हें छल सकता है पांचवां खंड ओशो से प्रश्नोत्तर 242. केवल साक्षी ही वास्तव में नृत्य कर सकता है 246. स्वीकार और साक्षी से मन का अतिक्रमण 249. शिखर पर खड़ा द्रष्टा 252. मन को भटकने दो तुम बस देखो 256. द्वंद्वों का निर्द्वद्व साक्षी 258. सब मार्ग पर्वत शिखर पर मिल जाते हैं 260. रेचन के बाद सहज मौन और सृजन 265. संक्रमणकालीन अनिश्चितता और असुरक्षा 268. होश के क्षणों का संबल 272. द्रष्टा को स्थूल से सूक्ष्म की ओर गहराओ 275. साक्षित्व के बीज और अ-मन के फूल 279. साक्षित्व पर्याप्त है * इन ध्यान विधियों के लिए संगीत कैसेट साधना फाउंडेशन, 17 कोरेगांव पार्क, पुणे, महाराष्ट्र में उपलब्ध हैं।

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 320