Book Title: Dhyan Darpan Author(s): Vijaya Gosavi Publisher: Sumeru Prakashan Mumbai View full book textPage 6
________________ अभिनन्दन ध्यान-साधना भारतीय साधना-पद्धति में एक प्रमुख तत्त्व है। इसे मोक्ष-प्राप्ति का अन्यतम कारण माना गया। पतंजलि ने अष्टाङ्गिक योग की चर्चा करते हुए सातवें क्रम पर ध्यान और आठवें क्रम पर समाधि की चर्चा की है। जैन धर्म की परम्परा के अनुसार साधक को मोक्ष की प्राप्ति के पूर्व क्रमशः धर्मध्यान और शुक्लध्यान में प्रवेश करना होता है। शुक्लध्यान के जो चार चरण बताए गए हैं, उसमें जो साधक अन्तिम दो चरणों की साधना को सिद्ध कर लेता है, वह नियम से मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। डॉ. विजया गोसावी ने प्रस्तुत पुस्तिका में इसी बात को सिद्ध करते हुए यह बताने का प्रयत्न किया है कि ध्यान ही मोक्ष का द्वार है। वस्तुतः, ध्यान निर्विकल्प चेतना की उपलब्धि है और यह निर्विकल्प चेतना ही मोक्ष का द्वार है। चित्त को निर्विकल्प और तनावरहित बनाने का एकमात्र साधन ध्यान है। आज मनुष्य तनाव में जी रहा है। तनाव से जिसे मुक्ति प्राप्त करना है, उसे ध्यान की साधना करना होगी, क्योंकि ध्यान मन को निर्विकल्प तथा शान्त बनाता है। मन की विकल्परहित दो शान्त अवस्थाएँ हैं। दूसरे शब्दों में, जब मन 'अमन हो जाता है, तो व्यक्ति मुक्त हो जाता है। हम विश्वास करते हैं कि 'ध्यान दर्पण' नामक यह लघु पुस्तिका तनावग्रस्त मानव को आत्मशान्ति का मार्ग प्रस्तुत करेगी। इस कृति की रचना के लिए डॉ. विजया गोसावी धन्यवाद की पात्र हैं और हम अपेक्षा करते हैं कि वे ऐसी छोटी पुस्तकों के माध्यम से जन-चेतना को तनावमुक्त करने में सहायक बनेंगी। विक्रम संवत् 2065 तिथि विजयादशमी दिनांक : 09.10.2008 डॉ. सागरमल जैन प्राच्य विद्यापीठ दुपाड़ा रोड, शाजापुर (म.प्र.) 4/ध्यान दर्पण m eenasammesmarne Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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