Book Title: Dhyan Darpan
Author(s): Vijaya Gosavi
Publisher: Sumeru Prakashan Mumbai

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Page 60
________________ भारत में कवि गालिब का नाम सभी जानते हैं। एक दिन राजा बहादुरशाह ज़फर ने गालिब को अपने राजमहल में खाने पर बुलाया, परंतु कवि के पास कोई अच्छे कपड़े नहीं थे, इस कारण गालिब के दोस्त ने उनसे नए कपड़े किराए पर लाकर उन्हें पहनने की सलाह दी। यह सलाह गालिब को पसंद नहीं आई। वे उन्हीं फटे कपड़ों में राजमहल गए। उनकी यह हालत देखकर द्वारपाल ने उन्हें अंदर जाने नहीं दिया। यह सब कुछ जानकर गालिब घर लौट आए और दोस्त की सलाह उचित समझकर किराए के सुंदर कपड़े पहनकर राजमहल में फिर से पहुँचे। उनका मोहक रूप देखकर द्वारपाल ने उन्हें अंदर जाने दिया। राजा गालिब को देखकर बड़े आनंदविभोर हुए और पूछा- “इतनी देर क्यों हुई?'' गालिब ने कोई जबाब नहीं दिया, वह चुपचाप बैठा रहा। थोड़ी देर बाद खाना परोसा गया। दोनों ने खाना शुरू किया, परंतु गालिब खाना मुँह में न डालते हुए अपने नए कपड़ों पर डालते रहे और कहते रहे, “मेरे कपड़ों, यह खाना तुम्हारे लिए है, इसे ग्रहण करो।'' राजा यह देखकर हैरान हुआ। उसने पूछा- “गालिब! यह क्या कर रहे हो?'' गालिब ने कहा- “हे राजन्, परेशान न हों। इन कपड़ों के कारण ही तो मुझे अंदर आने की इजाजत मिली है, वरना मुझे कौन पूछता? मैं तो ऐसा कर इन कपड़ों का एहसान चुका रहा हूँ।'' यह सुनकर राजा बहुत लज्जित हुआ। हम भी असली चीज को नहीं जानते और फिर जीवन में गलत कदम उठाते रहते हैं। असली-नकली की पहचान होना चाहिए। आद्य शंकराचार्य कहते हैं कि इस मृत्युलोक में तीन बातें बड़ी कठिनाई से मिलती हैं- प्रथमतः, मनुष्य-जन्म मिलना बहुत कठिन है। दूसरी बात यह कि मानव-जन्म मिलने के बाद भी परमेश्वर को पाने की इच्छा होना बड़ी कठिन है। श्रीकृष्ण 58/ध्यान दर्पण Mawan R NE Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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