________________ डॉ. श्रीमती विजया गोसावी पी-एच.डी. पदवी से सम्मानित सौ. विजया कृष्णराव गोसावी सम्पूर्ण जैन समाज के लिये गौरवशाली हैं। दिल्ली में 20 अक्टूबर, 2005 को माननीय राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम के सान्निध्य में उन्हें पी-एच.डी. से विभूषित किया गया। उन्होंने योग और ध्यान पर जैन विश्व भारती, लाडनू से शोध कार्य किया। तीव्र रुचि, दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से 60 वर्ष की आयु में अपनी मंजिल प्राप्त कर, यह करिश्मा उन्होंने कर दिखाया। 20 साल अमेरिका में रहने के बाद जब लौटीं, तो उन्होंने जैन दर्शन का अभ्यास किया और एम.ए. जैनालॉजी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। आप एक योग-शिक्षिका हैं तथा आप एक प्रवचनकार भी हैं। अत्यन्त सुलभ, सरल भाषा में गहन तत्त्वज्ञान को समझाने तथा स्वयं प्रेरित काव्य से उसे सजाने का कार्य आप कई जगह कर चुकी हैं। आपके जैन दर्शन पर कोल्हापुर, सोलापुर, मुम्बई, नई मुम्बई, राजस्थान, मुक्तागिरी तीर्थक्षेत्र, अकोला, मूर्तिजापुर तथा अन्य क्षेत्र में प्रभावी प्रवन हुए। ज्ञान, ध्यान और वैराग्य से आज भी आध्यात्मिक उन्नति सहज साध्यहै, यह आपका कहना डॉ. सौ. गोसावी का जन्म महाराष्ट्र के मूर्तिजापुर गाँव में हुआ। उनके पिताजी जैन समाज के 'समाजभूषक' थे तथा माता भी बहुत धार्मिक थीं। उनके पति प्रो. कृष्णराव गोसावी ने भी जैन दर्शन में पी-एच.डी. प्राप्त की है। उनकी कन्या लीना मुम्बई में प्रसिद्ध आर्किटेक्ट हैं। डॉ. सौ. विजया गोसावी को अनेक सम्मान व सत्कार प्राप्त हैं। वे छोटे बालकों के लिये विविध कार्यक्रम लिखती हैं तथा करवाती हैं। वे एक समाज सेविका भी हैं। उनकी मराठी में लिखी दो किताबें-१) जैन धर्माची आळेख, 2) मुक्तीते द्वार : ध्यान, बहुत लोकप्रिय हुई। उनकी भावी प्रभावना ‘योग एक वरदान' तथा 'काव्यांजलि' जल्द ही प्रकाशित होंगी। સુબેરું Jain Education International For PrivaterasRersonal use only फोन : 0734-25www2ainelibrary.orgo