Book Title: Dharmik Vahivat Vichar
Author(s): Chandrashekharvijay
Publisher: Kamal Prakashan

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Page 16
________________ 141 141 41 141 142 142 142 143 "उपाय क्या है ? प्र. 141 साधारण विभागमें या शुभ विभागमें आय करने के लिए सिनेमा-थियेटर वगैरह बनाये जा सकते हैं ? प्र. 142 संघका धार्मिक संचालन महात्माको बताना न चाहिए ? प्र. 143 देवताके भंडारकी, आरति आदिकी उछामनीकी रकम कहाँ जमा हो ? प्र. 144 साधारणकी आय करनेके लिए बारह मासके बारह श्रावकोंको श्रेष्ठी पद दिया न जाय ? प्र. 145 देरासरमें साधारण विभागका भंडार रखा जाय ? प्र. 146 नवकारशी, स्वामी-वात्सल्यकी बोलीकी बची रकम कहाँ जमा हो ? . . प्र. 147 साधारण विभागकी आयके आसान रास्ते कौनसे हैं ? प्र. 148 सात क्षेत्रोंका विभाजन प्रत्येक विभागमें किस प्रकार किया जाय ? प्र. 149 साधर्मिकोंके निभावके लिए कोई व्यवस्थित योजना बनायी नहीं जा सकती ? ट्रस्टीके विषयमें प्रश्रोत्तरी प्र. 150 इस पुस्तकमें किये निर्देशानुसार ट्रस्टियोंमें ट्रस्टी बननेकी योग्यता . कितने लोगोंमें है ? / प्र.. 151 जैनबैंक विषयमें आपका क्या अभिप्राय है ? 'प्र. 152 ट्रस्टी बननेवालोंको द्रव्य-सप्ततिका आदि ग्रंथोंका अभ्यास करना न चाहिए ? ... प्र. 153 शास्त्रके ज्ञाता आदि गुणवान व्यक्ति ट्रस्टी न बनने चाहिए ? प्र. 154 ट्रस्टियोंमें मतभेद होने पर कहाँ जाय ? गीतार्थ गुरुके पास या चेरिटी कमिश्नरके पास ? . प्र. 155 कमिश्नर और सखावती ट्रस्ट में बी. सी. व्यक्तिको रखनेके बारेमें क्या करना चाहिए ? खण्ड तीसरा परिशिष्ट - 1 (1) वि. सं. 2044 के देवद्रव्य व्यवस्थाके संमेलनीय प्रस्ताव क्रमांक - 13 पर चिंतन - पं. चन्द्रशेखरविजयजी प्रस्ताव (2) वि. सं. 2044 के गुरुद्रव्य व्यवस्थाके संमेलनीय प्रस्ताव . 15 pp 146 148 148 151

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