Book Title: Dhanna Shalibhadrano Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 7
________________ HTTARAGHA धनकुमर अने शालिनकुमर मात्र मुनिने दान देवाथी अत्यंत शक्ष्विान थs सुखो थया, 3/ तथा पाडला नवमां मात्र दाननी अनुमोदना करवायी सुन्नज्ञादिक आठे धनकुमरनी स्त्रीयो थर; तेमज धनदत्त अने धनचंद, ए त्रय नाश्योए पावला नवमां दान दश्ने त्रण वार पश्चाताप कस्यो, जेथीत्रण वखत महापुःख पाम्या. एम जागी सर्व प्राणीनए दान A देवू. पा प्रकारे दान देवाथी, देवराववाथी अने अनुमोदना करवाथी सुख संपदा तेमज मो || द देवलोकनां सुख मले ने अने दान देने पश्चात्ताप करवाथी मुख नत्पन्न थाय .ते सर्व आ रास वांचवाथी पूरेपूरी रीते समजाशे. पंमित श्री जिनकीर्तिसूरि विरचित संस्कृत चरित्र ऊपरथी पंकित श्री जिनविजय है। महाराजे सूरत शेहेरमां आ रास बनाव्यो . असल प्रतमां इष्टांतिक श्लोकोना अर्थ नदि| होवाथी तेना, तथा कठण शब्दोना अर्थ (टिप्पण तरीके) नवा कराव्या ने. आ रासनी अंदर कानो, मात्रा, मीमी विगरे जे कांश जिनाझा विरुद लखाणुं होय । अथवा प्रुफ सुधारतां जे कोइ नूल रहि गइ होय, तो तेने माटे चतुर्विध श्री संघनी साखे । हुँ मिजामिऽक्कम देन बुं. प्रसिकर्ता. in Educabona on For Personal and Private Use Only helibrary.orgPage Navigation
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