Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ - धम्मि- शातनंदनः // 5 // येषु धुर्येष्विव न्यस्य / शासनस्य धुरं जिनाः // निश्चिंता नित्तिं नेजु-स्त मा मुदे गणधारिणः // 6 // जयत्यर्थपयःपूर-प्रीणितप्राणिमंडला // तत्कालजापि जैनी गौ-श्वरं ती विश्वगोचरे // 7 // इह विश्वजनप्रेय-गयानां सर्वशर्मणां // धर्मोऽनुपहतो हेतु-बीजं - 3 मीरुहामिव // 7 // निःशेषदतनदात्र-चक्रे चक्रेश्वरः श्रिया // यचंऽमायितं धत्ते / तधर्मस्य वि जूंजितं / / // सुरांगनासमारब्ध-संगीतप्रीतलोचनः / दिवींद्रो देवसंसेव्यो / जन्यते पुण्यतेजनपर तेम जेना पर शासननी धुरा स्थापीने जिनेश्वरो निश्चिंतपणे मोक्षपाम्याचे ते गणधरो हर्षमाटे ( थान ). // 6 // तत्कालजन्मेली एवी पण जैनी वाणी (गाय) जगतमां फरती अने अ. र्थरूपी दूधना समूहथी लोकोना मंडलने खुशी करतीयकी जय पामे // 7 // सर्वलोकोने पा. नंदकारी छायावाळां वृदोनो हेतु जेम बीज तेम या जगतमा सर्वसुखनो अनिवार्य हेतु धर्म बे. // सघन दत्रियरूपी नदात्रोना समूहमां चक्रवर्ती (राजा) शोनाथी जे चंद्रपणाने पामेले ते धर्मनुंज माहात्म्य . // // पुण्यना प्रकाशथीज देवलोकमां रहेलो इंद्र पण अप्सराए करेला | गायनोमां प्रीतियुक्त नेत्रवाळो देवोने सेववालायक थायजे. // 10 // जिनेश्वर प्रण पूर्वे करेला - P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gunala hak Trust

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 173