Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 6
________________ धम्मि| धो निर्वृतिः फलं // 16 // वैरिवारिविषव्याल-व्याधिबंधादिवाधयां // तृषेव पीतपीयूषः / पीड्यते | न कृपापरः // 17 // वृणोति सकला संपत् / करुणागाजन जनं / / चरित्रं धम्मिलस्यात्र / सादा कुर्मः प्रतीतये / / 1 / / तथाहि-जंबूरित्यस्त्ययं दीपो / यः सुमेरुमहीभृता / विगार्त जगतीजिति-रेकस्तंजालयश्रियं // 10 // दीपस्यास्य सुवृत्तस्य / प्रमदावदनाकृतेः // चालशोनालयं जाति / क्षेत्रं चरतनामकं // 20 // मध्ये देशनिवेशेन / तस्यापि तिलकायितं // अस्ति वीसुवर्णश्रि। न. // 19 // दयारूपी वेलडीना आरोग्यता नाग्य सौनाग्य रूप थने राज्यादिकसंपदा पुष्पोना समूहरूप जे. तथा तेना फळरूप मोदले ॥१६॥अमृतपानकरनार जेम तृषायी तेम दयालु माणस शत्रु जल विष सर्प तथा बंधन विगेरेनी पीडाथी पीडातो नया // 17 // दयाबु माणसने सघळी संपदान प्राप्त थाय (तेनी) प्रतीति माटे यहिं अमोधम्मिलकुमार चरित्र प्रत्यद कहीये जीये. // 1 // ते कहेले जंबूनामे दीप डे के जे जगतीरूपी भीतवाळो ययोग्रको मेरुपर्वतवडे करीने एक स्तंशवाळा महेलनी शोनाने धारण करे जे // 15 // ( त्यां) जरतनामनुं क्षेत्र स्त्रीना मुखनी थाकृतिवाळा अने गोळाकार एवा या जंबूढ़ापना खराटनी शोजाने धारण करे. // 20 // P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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