Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01 Author(s): Shravak Hiralal Hansraj Publisher: Shravak Hiralal Hansraj View full book textPage 9
________________ धम्मि- ता॥ अध्येतुमिव नैर्मव्यं / सद्गुणाना ह्यसौ स्थितिः // 30 // रंगरंगनुस्तस्याः। पितुः प्रीतेर| जायत // अमित्रदमेनो नाम / वपुष्मानिव मन्मयः // 31 // चित्रं प्रगुणयन धर्म / विनाति योधः, वघ्नी // समुदत्तस्तत्रासी-दवासी मार्गणौषतः // 32 // कचिद्रत्नैः प्रवालैश्च / क्वचित् कचनमौ क्तिकैः / मेदुरं मंदिरं तस्य / समुखोदरतां गतं / / 33 / / निकाये यस्य सहाये / चिरं विश्रम्य पद्म या // नुवनभ्रमणोजूत-खेदवेदो व्यलीयत // 34 // प्रेयसि प्रेयसी नक्तिः / सूक्तिपीयूषकामधुकरवा माटेज होय नहिं तेम जे राणीना हृदयने सेवती हती, कारणके सजुणीननी एज रीती होय. // 30 // ते राणीने पितानी प्रीतिनी रंगमि सरखो बने देहधारी कामदेव जेवो अमित्रदमन नामे पुत्र थयो / // 31 // याश्चर्य जे के योधानी पेठे बाणोना समूहथी (याचकोना समू. हथी) नहि डरनारो अने दुःख विना धर्मने मेळवनारो समुद्रदत्त नामे (एक) धनवान (श्रेष्ठी) त्यां वसतो हतो ॥३शा क्यांक रत्नोथी क्यांक प्रवासायी अने क्यांक मोतीनथीचरेलु तेनं घर. समुनामध्य जागजे लागतुं हतुं // 33 / / जे शेठना उत्तम गयावान घरमां चिरकाल विश्राम बिश्ने लक्ष्मीए जगतमां जमवाथी नत्पन्न थयेला पोताना पसीनानो विनाश कर्यो॥ 34 // न. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TrustPage Navigation
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