Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 11
________________ धम्मि- प्राणनिद्रया // अश्रावि वंशश्रृंगार-पुत्रलाजमयं फलं // 40 // दधेऽथ गर्भमक्रूर-मंकूरमवनीव सा मार्ग // प्रायः स्वपश्रुतं दिव्यं / विपर्यस्यति नो वचः // 41 // सुतं प्रासूत सा काले / सीतांशुमिव पू. र्णिमा // पालोकमात्रसंप्रीत-लोकलोचनकैरवं // 42 // नाले नालीकवक्त्रस्य / बालस्यास्य जुवस्तले // निखायमाने निर्जिन-सादः प्रादुरन्निधिः // 53 // चेटैराकस्मिकप्राप्ति-तुष्टैः श्रेष्ट्यवबोधितः // योगीव ब्रह्मरंध्रे त-निधानमुदजीघटत / / 44 // दारिद्यदारुदाहाय / दवानलशिखासखं // थशे, एवीतेनीअमृतफरती वाणी तेणीए स्वप्नमां सांभळी. ॥३णा जागेलीएवी तेणीए (पो. ताना) पतिने ते स्वप्न को छते ( तेमना मुखथी) कुलना ममनरूप पुत्रलान- फळ सांजव्यु. 140 / हवे पृथ्वी जेम अंकुरने तेम तेणीए उत्तम गर्न धारण कर्यो, कारणके स्वप्नमां सांजळेली दे. ववाणी प्रायें मिथ्या थती नथी / / 41 // जोवा मात्रथीज लोकोना नयनकमळने खुशी करनारा चंडने जेम पूर्णिमा तेम तेणिए योग्यकाले पुत्रने जन्म आयो // 42 // उत्तममुखवाळा था | बाळकनी नाळ जमीनमां दाटते ते त्यां फुःख दूर करनारो धननो नंमार प्रकट थयो / // 43 // अक | स्मात् (ते निधाननी) प्राप्तिथी खुशी थयेला नोकरो मारफते खबर मलवायी योगी जेम ब्रह्मबारने | Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.

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