Book Title: Dhamil Charitra Bhashantar Part 01
Author(s): Shravak Hiralal Hansraj
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 8
________________ शोजतो हतो. // 25 // समुद्र खारो ने कमल कादवमा उत्पन्न थयेवू बे, चंद्र कलंकी ने,अनेवि. पणु उग बे एवं जाणीने तेज प्रत्ये नाखुश थयेली लक्ष्मी निर्दोष एवा जे राजाने हर्षयी नजती हतो. // 26 // जे राजानी कीर्तिरुपी वेलडी वैरिजना समूहोथी नदि कचडायेली तया दानरूपी जलथी पुष्ट थयेली जगतरूपी मंझप नपर तुरत विस्तार पामी हती. // 27 // रणसंग्राममां जेना धनुष्ये शत्रु प्रत्ये पोतानी पीठ देखाडी त्यारे तेनी स्पोथीज जाणे होय नहि तेम नाशता शत्रन. ए पण तुरतज पोतानी पीठ यापी (देखाडी) / ते राजाने शीलरूपी अलंकारने धारण करनारी ! मधुरवचनरूपी अमृतनी नहेर समान, अने चक्षुनी मनोहर शोगाने धारण करनारी धारिणी जामनी पत्नी (राणी) हती // 15 // सारी रीते गोठवेली मोतीनी माळा जाणे निर्मलपणानोयन्यास | . PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust

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