Book Title: Devgadh ki Jain Kala
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 11
________________ विषयानुक्रम 21-37 21 1. पृष्ठभूमि 1. विषय-प्रवेश (अ) कला का सांस्कृतिक महत्त्व। (ब) देवगढ़ : ऐतिहासिक पृष्ठभूमि । (स) देवगढ़ की कला के अध्ययन के प्रयत्न : 1. शासकीय प्रयत्न : 1. अलेक्जेण्डर कनिंघम, 2. डॉ. ए. फुहरर, 3. इंपीरियल गजेटियर, 4. श्री पूर्णचन्द्र मुखर्जी, 5. झाँसी डिस्ट्रिक्ट गजेटियर, 6. सर जॉन मार्शल, 7. श्री एच. हारग्रीब्ज़, 8. भारतीय पुरातत्त्व विभाग तथा रायबहादुर दयाराम साहनी, 9. डॉ. डी.बी. स्पूनर । 2. सामाजिक प्रयत्न : 1. श्री विश्वम्भरदास गार्गीय, 2. ब्र. शीतलप्रसाद, 3. श्री परमानन्द बरया, 4. भा.दि. जैन तीर्थरक्षा समिति, 5. श्री देवगढ़ मैनेजिंग दि. जैन कमेटी, 6. श्री नाथूराम सिंघई, '7. पं. जुगलकिशोर मुख्तार, 8. पं. के. भुजबली शास्त्री, 9. अन्य प्रयत्न। 3. आधुनिक शोधकार्य : 1. पं. माधवस्वरूप वत्स, 2. श्रीमती माधुरी देसाई, 3. डॉ. ज्योतिप्रसाद जैन, 4. डॉ. उमाकान्त प्रेमानन्द शाह, 5. डॉ. कामताप्रसाद जैन, 6. डॉ. हीरालाल जैन, 7. डॉ. क्लाज़ ब्रून, 8. पं. परमानन्द शास्त्री, 9. प्रो. कृष्णदत्त वाजपेयी। 2. स्थिति 3. नाम 1. लुअच्छगिरि, 2. कीर्तिगिरि, 3. देवगढ़-सम्भावनाएँ, किंवदन्तियाँ, शोधकर्ता का मत। 4. इतिहास 1. प्रागितिहास काल से मौर्ययुग तक, 2. शुंग-सातवाहन काल, 3. गुप्तयुग, 4. वर्धन साम्राज्य से आयुध वंश तक, 5. गुर्जर-प्रतिहार शासन, 6. चन्देल शासन, 7. मुगल, मराठा और अँगरेजी शासन, 8. वर्तमान रूप। 27 28 32 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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