Book Title: Desi Shabda Sangraha
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: University Granth Nirman Board

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Page 1004
________________ ૨૩૫ वेंटसुरा-वेंटसुरा-पिष्टसुरा । पिष्ट+सुरा । वेणुणास-वेणुणास-वेणुनास। वेणु+नास । नासा-नास-नासिt. वेडिकिल्ल-वेडिकिल्ल-भेदिकिल्ल। भेदिका-इल्ल । इल्ल 'भव' अर्थे । भेदिका-नीस.. गा० ६८९ वेवाइय-वेवाइय-वैवाहिक-विवाह+इक । वैवाहित। वेल्लाइय-वेल्लाइय-वेलायित । वेलाय+इत । वेला विलासे-कण्डू आदि गण। वेसक्खिज्ज-वेसक्खिज्ज-द्वेष्यखेद्य । द्वेष्य+खेद्य । वोवाल-वोवाल-गोबाल । गो+बाल । (षो.) गा० ६९०-बोकिल्ल-वोकिल्ल-व्युत्किर । वि+उत्+कृ+अ । वोज्झअ-बोझअ-वाह्यक । वह य+क । बहू प्रापणे । (५०) वोझमल्ल-बोज्झमल्ल-वाह्यमाल्य । वाह्य+माल्य । मल्+य । मल धारणे । वोमज्झ-वोमज्झ-व्यवमध्य । वि+अव+मध्य । वोरच्छ-बोरच्छ-बदराक्ष । बदराक्ष-बदर-म।२. मा२पी मोटी आमावाणी. वोद्रह-बोद्रह-वयोद्रह । वयसू+द्रह । गा० ६९१-वोहोर-चोहार-पयोहार । पयस्+हार । हृ+अ । ह हरणे । पयोहार पओहार-पृषी० पोहार-वोहार । वोरल्ली-चोरल्ली-बोरल्ली । नुमा-चोरली शह-त्रीने व गाथा 3०५ वोसेअ-वोसेअ-व्युत्सेक । वि+उत्+सेक । वोसट्ट-वोसट्ट-व्युत्सृष्ट । वि+उत्+सृष्ट । व्युत्सृत । वि+उत्+सृ+त । गा० ६९२-बोकिल्लिय-वोकिल्लिय-ब्युगिलित । वि+उत्+गिल+इत । गृ निगरणे। वोभीसण-वोभीसण-व्यवभीषण । वि+अव+भीष्+अन । वड-वड-पट Jवट वण-वण-बन । बन्+अ । बन् संभक्तो । वन । गा० ६९३-वंठ-वंठ-वण्ठ । वण्ट । वप्प-वप्प-वपुस् । (५०) व्यल्प-विशेष अल्प-तनु अथव। सपता वरना मसवान व्यात्मन्-ब्यात्मन्- विशेष आत्मा-पान । वेप्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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