Book Title: Deepratnasagars Ssaahity Yaatraa Of 585 Publications 2017
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
Folder - 14 आगमसूत्राणि सटीकं 2 (प्रताकार)Net कुल किताबें 79 भाषा-प्राकृत, संस्कृत कुल पृष्ठ 2561 |
इस चौदहवे फोल्डर में हमने 9 प्रकाशनों को सम्मिलित किया है जिस में भगवती, आवश्यक, नन्दी और अनुयोगद्वार ये चार आगमो की वृत्तियो को आठ प्रतोमें प्रिन्ट करवाया है और नववीं प्रत कल्पसूत्र सुबोधिका वृत्ति की है |
पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि, भाष्य, नियुक्ति आदि भी संपादित किए है | हमने सोचा की वो प्रत/पोथीयुग था, अब पुस्तक-युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रुपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर Net publication के रूप में रख दे|
फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्रकार का क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, उद्देश, सूत्र/गाथा, नियुक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो, अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए | बाद में मल्टीकलर में वो सब मेटर net पे रख दिया | आप इसे इंटरनेट पर 'www.jainelibrary.org' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' | ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है |
-- मुनि दीपरत्नसागर Muni DeepratnaSagar's 585 Books (1,03,130 Pages]
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