Book Title: Deepratnasagars Ssaahity Yaatraa Of 585 Publications 2017
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 25
________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स सचूर्णिक आगम-शुत्ताणि Folder - 17 सचूर्णिक आगम सूत्ताणि कुल किताबें 7 8 भाषा-प्राकृत, संस्कृत कुल पृष्ठ 2760 इस सत्तरहवे फोल्डर में हमने 8 प्रिन्टेड प्रकाशनों को सामिल किया है जिसमें हमने आचार, सूत्रकृत, आवश्यक, दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, नन्दी और अनुयोगद्वार ये सात आगमो की चूर्णियो को आठ पुस्तकोंमें प्रिन्ट करवाया है। पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि, भाष्य, नियुक्ति आदि संपादित किए है | हमने सोचा की वो प्रत/पोथी-युग था, अब पुस्तक-युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रूपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर प्रिंटिंग और Net publication दोनों प्रकार से रख दे| फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्रकार का क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, | उद्देश, सूत्र/गाथा, नियुक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो, अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए | वो सब मेटर प्रिन्टेड एवं इंटरनेट दोनों रूप से प्रकाशित कर दिए | आप इंटरनेट पर 'www.jainelibrary.org' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' | ॐ ये प्रिन्टेड एवं इंटरनेट दोनों तरह से उपलब्ध है, इंटरनेट से कोई भी इसे फ्री डाउनलोड कर के भी प्राप्त कर शकता है | - मुनि दीपरत्नसागर 'Muni Deepratnasagar's 585 Books [1,03,130 Pages] | Mobile: +91-9825967397 Email: jainmunideepratnasagar@gmail.com मुनि दीपरत्नसागर की 585.....| | Page 25 of 60 | ......साहित्य कृतियो का परिचय

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