Book Title: Deepratnasagars Ssaahity Yaatraa Of 585 Publications 2017
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
વિતવાગતુતિ સંચય
Folder - 24
नमत साहित्य Printed शत्रुजय भक्ति
कुल किताबें +9 भाषा- गुहि०सं० कुलपृष्ठ 1196
મુનિ દીપનસાગર
ईस चोबीसवे फोल्डरमें 9 प्रिंटेड किताबे है, 5 गुजरातीमें, 4 हिन्दी में [1] गुजराती में [1] येत्यवान भास, [2] वित२ स्तुति, [3] शJ४य माति, [4] सिद्धायल नो साथी, [5] येत्य परिपाटी और [2] हिन्दी में [1-3] चैत्यवंदन संबंधी 3, [4] शत्रुजय भक्ति |
* यहाँ चैत्यवंदन की किताबो में 779 चैत्यवंदनो का संग्रह है, जिस में पर्वदिन तथा पर्वतिथि के चैत्यवंदन है, चोवीस जिन की चौविसी है, जिसमे दो संस्कृत चौविसी भी है, विविध तीर्थोमें बोल शके ऐसे तथा तीर्थंकरसंबंधी विविध बोलयुक्त चैत्यवंदन भी है | गुजराती में एक ही किताब में ये संग्रह है, हिन्दी में इनके लिए 3 किताबे है चैत्यवंदनपर्वमाला. चै चौविसी, चै तीर्थ-जिन विशेष |
वीतराग स्तुति में (900 गुजराती+251संस्कृत) 1151 भाववाही स्तुतियाँ है | जिसमे 24 तीर्थकर के सामने बोल शके ऐसी 10-10 स्तुतियाँ एवं विविध तीर्थोमें बोलने लायक स्तुतियाँ भी है, दुष्कृतगर्दा और शुभभावना की स्तुतियाँ भी है, ऐसी अनेक विविधता है |
'शत्रुजय-भक्ति में शत्रुजय की यात्रा के वक्त तलेटी, शांतिनाथ, रायणपगला, पुंडरीक स्वामी, आदीश्वरदादा और घेटीपगला के सामने उन स्थानों के अनुरूप ऐसी स्तुतियाँ, चैत्यवंदन, स्तवन, थोयका ये सबसे पहला संग्रह था | साथमे ऊन स्थानो की फोटो भी है।
सिद्धायसनो साथी' किताबमें 'शत्रुजयभक्ति' तो पूरी सामील कर ही दी है, साथमें 'सिद्धाचल की भावयात्रा' और 'सिद्धाचल' के उपरोक्त छह स्थानों के अनुरूप दुसरे स्तवन भी जोड़ दिए है |
'चैत्यपरिपाटी' पुस्तिका में पालडी, अमदावाद के 42 चैत्यो की यात्रा है, जिस में आप को मीलेगी प्रत्येक जिनालय में बोलने के लिए अलग-अलग 3-3 स्तुतियाँ, ताँकि प्रत्येक जिनालयमें सब साथ मिलकर परमात्मभक्ति कर शके |
- मुनि दीपरत्नसागर... |Muni Deepratnasagar's 585 Books [1,03,130 Pages] |
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