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नमो नमो निम्मलदसणस्स श्री आनंद-क्षमा ललित-सुशील-सुधर्मसागर-गुरुभ्यो नमः
दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियाँ [ 5 भाषाए, 31 फोल्डर्स, 585 किताबे, 1,03,130 पृष्ठ ]
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मूनि दीपरत्नसागर
M.Com. M.Ed., Ph.D., श्रुतमहर्षि
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दीपरत्नसागर की 585 कृतियों का साहित्य-यात्रा काळ
October 1984 to November 2017 Email: iainmunideepratnasadar @amail.com Mobile: +91-9825967397
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दीपरत्नसागर के 585 प्रकाशनों के 31फोल्डर्स के नाम, प्रकाशन संख्या और
कुल पृष्ठ-संख्या की माहिती। फोल्डर फोल्डर का नाम बक्स कल-पृष्ठफोल्डर फोल्डर का नाम बुक्स कुल-पृष्ठ
MOREDIOSSES- SOLUULLUUUUUN
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01 आगम सुत्ताणि मूलं || 49 | 03509 17 सचूर्णिक आगम
02760 [Printed]
सुत्ताणि 02 आगमसत्ताणि मल 4502810 18 सवत्तिक आगम 08 02656 -
TEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE Neuसाणा આગમસૂત્ર ગુજરાતી | 03397
आगमिय साहित्य 04 01048 અનુવાદ
विशेष आगम-सूत्र हिंदी 47 03648 120 | तत्त्वाल्यास साहित्य | 13 | 02089 05 Aagam-Sootra 11 00410 સૂત્રાભ્યાસ સાહિત્ય
01428 English translation आगम-सूत्र सटीक 13806 122 - व्याऽ२एसाहित्य
01048 07 આગમસૂત્ર સટીક 48 10340
વ્યાખ્યાન સાહિત્ય
01218 ગુજરાતી અનુવાદ | 08 आगम-मंजूषा (मुल- 5301521 24 निमात साहित्य - 09 01196
आगम चूर्णि साहित्य | 09 02667 25 વિધિ સાહિત્ય | 04 00296 आगम संबंधी साहित्य 0901000
माराधना साहित्य - 03 00434 आगम कोसो
02392
પરિચય સાહિત્ય 04 00220 TEPATI 12 माराम थानुयोग 06 02172
तीर्थ६२ संक्षिप्त र्शन 24 00432 - 13 माराम विषय मनुइम 02 00726
પૂજન સાહિત્ય
00104 आगम सूत्राणि सटीक
પ્રકીર્ણ સાહિત્ય
00570 2 (प्रताकार) आगम सुत्राणि सटीक
17992 દીપરત્નસાગરના
00220 1 (प्रताकार)
લઘુશોધ નિબંધ सवृत्तिक आगम 140 18460
कुल किताबे एवं + 585 सत्राणि 1
.
कुल पृष्ठ सख्या ------- 1,03,130 . 1 आगम संबंधी साहित्य 500 किताबे 0,94,011 कुल-पृष्ठ संख्या 2 अन्य साहित्य
085 किताबे0,09,119 कुल-पृष्ठ संख्या । --- कुल प्रकाशन-संख्या 585 किताबे 1,03,130 कुल-पृष्ठ संख्या - मेरे 585 प्रकाशनो- कुल पृष्ठ 1,03,130 + तत्त्वार्थसूत्र विशिष्ट संकलन - कुल पृष्ठ 27,930
कुल पृष्ठ-संख्या 1,31,060 Mobile:+91-9825967397Emai
Email: jainmunideepratnasagar@gmail.com CREEEEEE
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
मुझे कुछ कहेना है...
•"मुनिश्री दीपरत्नसागरजी की साहित्य-यात्रा" का आरम्भ सन 1984 के अंत में हुआ, एक एक मुकाम आगे बढ़ते हुए आज जून 2017 तक 585 प्रकाशनो की मंज़िल को ये यात्रा पार कर चुकी है। Hd जब तक "प्रिन्टेड-पब्लिकेशन" युग था, तब तक 301 किताबें मुद्रित करवाई; फिर आरम्भ हुआ "नेट-पब्लिकेशन” युग, तब इस नए युग के साथ चलते-चलते फिर हमने भी ईसी राह पे कदम रखते हुए On-Line एडीटिंग हो सके ऐसे माइक्रोवर्ल्ड प्रोग्राम के झरीए ४५ [मूल] आगमो को कम्पोझ कर के Online [free to air] कर दिया, उसके साथ 70 वर्ष पहले पूज्यपाद् आचार्यश्री आनन्दसागर सूरीश्वरजी संपादित “आगम मंजूषा” को भी हमने किंचित् परिमार्जित करके यहाँ अलग-अलग किताबो के रूपमें स्थान दे दिया |
'आगम विषय-अनुक्रम' और ग्यारह आगमो का अंग्रेजी अनुवाद भी किया और उसे इंटरनेट पर शामिल किया, पूज्य आगमोद्धारकरी संपादित आगमो की नियुक्ति, वृत्ति, चूर्णि, सूत्र-गाथादि अनुक्रम,बृहत् विषयानुक्रम आदि को भी अतिविशिष्ठ रूप से संकलित किया, जिसमे मूल प्रत के साथ छेड़छाड़ किए बिना ही बहोत उपयोगी हो शके इस तरह परिवर्तित कर के एवं A-4 साईझमें इंटरनेट पर रख दिया | प्रत्येक तिर्थंकरो की १८५ विगतो के साथ तीर्थंकर परिचय कराते हुए 24 किताबे इंटरनेट पर रख दी है, इसके अलावा 2017 मे 25000 से ज्यादा पृष्ठोमे हमारी 61 किताबे भी प्रिन्ट हुइ है |
परिणाम स्वरुप आज दीपरत्नसागर के ये 585 प्रकाशन (1,03,130 पृष्ठो) और तत्त्वार्थसूत्र के विशिष्ट संकलन के 27,930 पृष्ठो को मिलाकर 1,31,060 पृष्ठो को आपके सामने प्रस्तुत कर रहे है।
इस तरह मुनि दीपरत्नसागरजी का प्रिन्टेड या नेट-पब्लिश्ड साहित्य इंटरनेट की परिभाषा में 1,46,80,000 KB से भी ज्यादा हो चूका है |
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क्या राझ है मुनिजी की इस विराट साहित्ययात्रा का ? अपने पूर्वाश्रममें मुनिजी भावनगर 'बी.एड.कोलेज में प्रोफ़ेसर थे, 21 साल की उम्र में 'हायर सेकंडरी' में अध्यापक हो गए, 24 वे साल में तो कोलेज के प्रोफ़ेसर, यूनिवर्सिटीमें पेपर-सेटर, परीक्षक, अभ्यासक्रम-घडतर-समिति के सभ्य हो गए, M.Com.,M.Ed.,Ph.D. और डिप्लोमा रेडियो एन्जिनियर की डिग्री को प्राप्त इस मुनिजी को धर्म भी विरासत में मिला था | मुनिजी के भैया, परदादी, बड़ेबुआ, चाचाजी, पितराई बहने आदि पहले से जैन-दीक्षा अंगीकार कर चुके थे |
ऐसी धर्म-विरासत, कालेज की उच्चतम डीग्रीयाँ, तीर्थंकर परमात्मा की असीम-कृपा, माँ पद्मावती का सांनिध्य और प्रतिदिन आठ-नव घंटे के अपने पुरुषार्थ से आज दीपरत्नसागरजी इस मुकाम पर पहुंचे है|
दीपरत्नसागरकी सफलताका दूसरा राझ है 'जप' मुनिजी नित्य त्रिकाल 108- नवकार और अन्य जाप करते है | मुनिजी ने पद्मावतीजी के 31 लाख, उवसग्गहरं के 21 लाख, लोगस्ससूत्रके 3 लाख, वर्धमानविद्याके 4 लाख, 21 दिन सरस्वतीका अनुष्ठान तप सहित दो बार, 21 साल तक हर दिवालीके तीन दिनोमें 18000 विद्यामंत्र की आराधना, चिंतामणिमंत्र 1 लाख आदि अनेक जप किये है | तथा प्रत्येक दिवाली की रात्रि और मौन एकादशी की पूर्वरात्रिमे रात्रि के पोने दो बजे से सुबह आठ बजे तक कल्याणक की सलंग आराधना करते है |
मुनिजी ने विशुद्ध भगवद्भक्ति के लिए जिनवचनरूप आगमशास्त्र को अपना जीवनमंत्र बनाकर 20 साल एकांतवास जैसे गुझारे है | ज्ञान के साथ क्रिया और तप-त्यागकी महत्ता का स्वीकार और पालन करते हुए वे अपना संयम जीवन व्यतीत कर रहे है | ऐसे संयमजीवन की फलश्रुति है ये पांच भाषाओं के माध्यम से हुई 1,03,130 पृष्ठोमें विस्तरित 585 प्रकाशनों की विराट साहित्य-यात्रा.
संपर्क: मुनि दीपरत्नसागरजी [M.Com. M.Ed. Ph.D. श्रुतमहर्षि] 'जैन देरासर, “पार्श्वविहार" फ़ोरेस्ट रेस्ट हाउस के सामने,
| Post: ठेबा [361120], Dis. जामनगर [गुजरात] Mobile:+91-982596739 Email: Jainmunideepratnasagar@gmail.com
ये सभी प्रकाशन इंटरनेट पर भी उपलब्ध है
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वर्ष
दीपरत्नसागर की साहित्य-कृतिया
585 પ્રાશનો
हमारी साहित्य यात्रा के बढते कदम..... [ वर्ष अनुसार] - 1 साहित्य
बुक्स
वर्ष
साहित्य
1984 નવકારમંત્ર નવલાખ જાપ
1984 | ચારિત્રપદ એકકરોડ જાપ
1985 અભિનવ જૈન પંચાંગ
1985 બારવ્રત પુસ્તિકા + અન્ય
1987 મમિનવ સૈમ ભધુપ્રક્રિયા
1987
વન્તમાભા
1988 શત્રુંજય ભક્તિ
1989 ચૈત્યવંદ્દન પર્વમાલા-ચોવિસીतीर्थविशेष
1990 શત્રુનય મતિ
1990 અભિનવ ઉપદેશ પ્રાસાદ
1990 ચૈત્યવંદન માળા
1990 તત્ત્વાર્થસૂત્ર પ્રબોધટીકા
1990 તત્ત્વાર્થસૂત્ર આગમઆધારસ્થાનો
1990 સિદ્ધાચલનો સાથી
1990 ચૈત્ય પરિપાટી
1991
અમદાવાદ જિનાલય-ઉપાશ્રય
આદિ ડિરેક્ટરી
1991 સમાધિમરણ
1992 સાધુ-સાધ્વી અંતિમ આરાધના
1992 શ્રાવક અંતિમ આરાધના
1992 | સાધુ-સાધ્વી કાળધર્મ વિધિ
1992 વીતરાગ સ્તુતિ સંચય 1994 તત્ત્વાર્થાધિગમસૂત્ર અભિનવટીકા
01
01
01
01
04
01
01
03
01
04
01
01
01
હવ
01
01
01
01
01
01
10
1996
45-માનમ સુત્તાળિ-મૂત્રં
1997 45_આગમ(મૂલ)ગુજરાતી અનુવાદ
1998
૪૫-આગમ મહાપૂજન વિધિ
દીક્ષા-યોગાદિ વિધિ
45-આગમ વિષય દર્શન
45-ઞાનમસૂત્ર(મૂહ) હિન્દી
1999
2000
2001
2001
45-માનમ સદ્દોસો
2002 જૈન એડ્યુકેશનલ સર્ટિફીકેટ
કોર્સ
2002
2002
2002
2003
2004 45-આગમ કથાનુયોગ
2004 પ્રતિક્રમણસૂત્ર અભિનવ વિવેચન
2005 ચોઘડિયા+હોરા કાયમીસમયદર્શિકા
2009
45-માનમ સુત્તાળિ-સટીનું
45-માનમ નામ વ તાજોસો
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વિધિ સંગ્રહ ભાગ-૧
પાર્શ્વ પદ્માવતી પૂજન વિધિ
45-આગમ સટીક ગુજરાતી
અનુવાદ
2012 45- માનમસુત્તાળિ મૂત્રં [on-line]
2013 | [on-line] માનમમંનુષા Net
2013 दीपरत्नसागरजी की साहित्ययात्रा 2013 45-આગમ વિષય અનુક્રમ
2013 Aagam English Translation
2014 તત્ત્વાર્થસૂત્ર 84 પ્રાશન-સંપુટ
बुक्स
49
48
01
01
01
47
04
01
46
01
કઠ
06
04
01
48
45
53
01
01
11
01
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2015
01.
2017
दीपरत्नसागर की साहित्य-कृतिया - 585 प्रकाशनो
हमारी साहित्य यात्रा के बढ़ते कदम.....[वर्ष अनुसार] -2 साहित्य बुक्स | | वर्ष । साहित्य
बुक्स दीपरत्नसागर की 555 साहित्य
2017 दीपरत्नसागर की 585 साहित्य 2015 कृतियो का परिचय [word-में)
कृतियो की यात्रा [word-में] _555 साहित्य-कृतियो के 25
585 साहित्य-कृतियो के 31| फ़ोल्डर का परिचय परिचय
फ़ोल्डर का परिचय 2015 आगमसूत्राणि सटीकं प्रताकार-1 | 51 2017 आगमीय साहित्य विशेष
04 555 पब्लिकेशन्स लिस्ट ओफ़
2017 दीपरत्नसागरना 585 प्राशनी | 2016 | मुनि दीपरत्नसागर
ની સૂચિ (એક્સેલ માં 2017 आगमसूत्राणि सटीकं प्रताकार-2 | 09 2017 तीर्थ5२ संक्षिप्त र्शन
24 2017 आगम चूर्णि साहित्य
अलग अलग समय पे लिखे गये आर्टीकल्स 2017 सवृतिक आगम सूत्राणि-1
मागमना प्रपर व्याज्यातायो 01 2017 आगम संबंधी साहित्य
આગમકાલીન શ્રાવકનું 2017 सवृतिक आगम सूत्राणि-2 08
કારણ કે તે સાધુ હતા 2017 सचूर्णिक आगम सुत्ताणि
શ્રુત ઉપાસકો અને સાહિત્ય 2017 माराम संक्षिप्त परिचय 01
| આગમ-યાત્રા
01
09
40
09
01
01
08
साहित्य-यात्रा [ओक्टोबर-1984 से नवेम्बर-2017]
580 किताबें + 5 आर्टीकल्स ......
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बूक्स
दीपरत्नसागर की साहित्य-कृतिया - 585 प्रकाशनो हमारी साहित्य यात्रा के बढ़ते कदम.....[भाषा अनुसार] -1 विवरण
क्रम
विवरण [A] प्राकृत भाषामें प्रकाशन - 172 01 | आगमसुत्ताणि-मूलं
| 04 आगम चूर्णि साहित्य । आगम online सीरिज़ 4505 आगम संबंधी साहित्य 03 online आगममंजूषा | 53-06 सचूर्णिक आगम सुत्ताणि
-07 आगमिय साहित्य विशेष
02
-
----
-
----------
[B] गुजराती भाषामें प्रकाशन - 153 01 माराम(भूल) गु४०
08 माराधना साहित्य 02 यागम(सटी8) ४० मनु०
09 निमति साहित्य 03 | माराम थानुयोग
10 वि साहित्य 04 | माराम विषय शन
11 ही साहित्य આગમ વિષય અનુક્રમ
12
તીર્થંકર પરિચય 06 पू४न साहित्य
13 | આગમ સંક્ષિપ્ત પરિચય : 07 | વ્યાખ્યાન સાહિત્ય
14 हीपरत्नसागरना 585 प्राशनी
ની સૂચિ /એક્સેલ માં.
05
[C] हिन्दी भाषामें प्रकाशन - 57 01 आगमसूत्र हिन्दी अनुवाद 47 | 05 प्रकीर्ण साहित्य : 02 चैत्यवंदन-3
03 06 शत्रुजय भक्ति 03 दीपरत्नसागर की 555साहित्य 01 07 दीपरत्नसागर की 585साहित्य कृतियो का परिचय [वर्ड में]
कृतियो का परिचय [वर्ड में] 04585 साहित्य-कृतियो के 31
फ़ोल्डर का परिचय
0
01
[D] गुजराती [+संस्कृत] भाषामें प्रकाशन - 16 | 01 अभिनव हैम लघुप्रक्रिया 0402 तत्त्वार्थाधिगमसूत्र
12
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दीपरत्नसागर की साहित्य-कृतिया - 585 प्रकाशनो हमारी साहित्य यात्रा के बढ़ते कदम.....[भाषा अनुसार] -2 [E] संस्कृत भाषामें प्रकाशन - 6
03 आगमिय साहित्य विशेष 02 आगम संबंधी साहित्य
कृदन्तमाला
04
46
[F] प्राकृत+संस्कृत भाषामें प्रकाशन - 154 01 आगमसुत्ताणि-सटीकं.
04 सवृत्तिक आगम सुत्राणि -
1 आगमसूत्राणि-सटीकं [प्रताकार] | 51
सवृत्तिक आगम सुत्राणि -
2 03 आगमसूत्राणि-सटीकं [प्रताकार] 09
40 08
02
05
- - -
[G] प्राकृत संस्कृत गुजराती भाषामें प्रकाशन - 5 आगम सद्दकोसो
02 आगम नामकोसो
04
[H] गुजराती [+प्राकृत+संस्कृत भाषामें प्रकाशन - 5 01 प्रतिक्रमणसूत्र अभिनव विवेचन । 04 02 जैनएड्युकेशनल सर्टीफिकेटकोर्स - 01
[I] अंग्रेजी भाषामें प्रकाशन - 11 Aagam English Translation
[]] हिन्दी +[गु+सं+अं+प्रा+म] भाषामें प्रकाशन - 1 - 01 | तत्त्वार्थसूत्र ८४ प्रकाशन-संपूट 01
--
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साहित्य-यात्रा (ओक्टोबर-1984 से नवेम्बर-2017)
580 किताबें +5 आर्टीकल्स .....
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
सनि दीपरमसागर
आगमसुत्ताणि
Folder – 01 आगम-सुत्ताणि मूलं print
कुल किताबें 7 49 भाषा- प्राकृत, कुल पृष्ठ 3509 इस पहले फोल्डर में हमने हमारे ४९ प्रकाशनों को सम्मिलित किया है, जो कि अर्धमागधी/प्राकृत भाषा में प्ररूपित मूल आगमसूत्र है।
इसमें 45 आगम 45 अलग-अलग किताबो में प्रिन्ट करवाए है, 4 वैकल्पिक आगम भी उसमे समाविष्ट किये है, इस-तरह (45+4) 49 मूल आगम यहाँ प्राप्त है
प्रत्येक सूत्र के अंतमे पूज्य सागरानंदसूरिजी संपादित 'आगममञ्जूषा' के तथा उनकी ही संपादित वृत्ति आदि की प्रत के सूत्रांक भी लिख दिए है।
हमारे इस प्रकाशनमे श्रुतस्कंध, शतक/अध्ययन/वक्षस्कार/पद/प्रतिपत्ति, उद्देशक, सूत्र/गाथा आदि स्पष्ट अलग दिखाई दे, ऐसी विशिष्ट मुद्रणकला यहाँ प्रयोजी है। __45 आगमो की प्रत्येक किताबे भी अलग-अलग एवं छोटे कद की होने से आगमो के पठन-पाठन में या उसे कंठस्थ करने में बहोत सरलता रहती है |
45 आगमो की अलग अलग किताब होने से 45 आगम पूजा, पूजन, रथयात्रा या गौतमस्वामी आदि पूजनके लिए सुविधाजनक है
हमारे इस प्रकाशन की एक और विशेषता ये है कि यहाँ प्रत्येक सूत्र के आरंभ में हमने एक नया ही अनुक्रम प्रस्तुत किया है, जो 'आगमसद्दकोसो' 'आगम नामकोसो', 'आगम विषयदर्शन' एवं आगम कथानुयोग के मूल संदर्भ देखने के लिए तथा हमारी अत्यंत उपयोगी है । ये किताबे 8.75 x 5.75 की साईझ में print हुई है ।
- मुनि दीपरत्नसागर
Muni DeepratnaSagar's 585 Books (1,03,130 Pages]
Mobile: +91-9825967397
Email: jainmunideepratnasagar@gmail.com
मुनि दीपरत्नसागर की 585..... | Page 9 of 60
| ......साहित्य कृतियो का परिचय
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नमो नमो निम्मलदसणस्स
नई गालिया
I
आयारो-१०
मुनि दीपरत्नसागर
आगमसुत्ताणि
Folder - 02 आगम-सत्ताणि मूल Net |
कुल किताबें 7 45 भाषा- प्राकृत, कुल पृष्ठ 2810 इस दुसरे फोल्डर में मूल 45 आगम ही है, परतु ये onLine आगम-सीरीझ है, हमने 'वर्ड' के प्रोग्राम में यूनिकोड में 'मंगल' फॉन्ट में ये सभी आगम कम्पोझ करके '' पर रख दिए है |
A-4 साईझ, बड़े अक्षर, मल्टी कलर में कम्पोझ इत्यादि बाह्य परिवर्तन तो है ही, साथ में 'वर्ड' के प्रोग्राम के कारण कोई भी व्यक्ति इन आगमो को कोम्प्यूटर | आदि माध्यम से स्वयं ही इसे कट-पेस्ट या एडिटिंग कर शकता है, कोई दूसरा पाठ मिले तो जोड़ शकता है, अपने मन-चाहे विषय अलग निकाल शकते है, pdf फ़ाइल बना शकता है और ऐसी बहोत सी सुविधा प्राप्त होती है |
इस सम्पादन में 'printed Edition' वाली सब विशेषता तो है ही, तदुपरांत सभी सूत्रों के अंक 'लाल कलर' में तथा गाथाओं के अंक हरे कलर' में दिए है, इस प्रकार से सूत्र एवं गाथा स्पष्टरूप से विभाजित है, प्रत्येक अध्ययन, उद्देशक आदि के आरंभ एवं अंत को भी बड़े अक्षर तथा अलग कलर में टाइप किये है, जिस से अभ्यासक एवं संशोधन या खोज करनेवाले को बहोत सुविधा रहेगी |
विश्व में सर्वप्रथम ही यह ४५ आगम का Online पब्लीकेशन हुआ है । आप अगर इसे देखना चाहे तो इंटरनेट पर 'jainelibrary.org' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' |
इस प्रकाशन में 4 वैकल्पिक आगम शामिल नहीं किये है | ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है |
- मुनि दीपरत्नसागर
Muni DeepratnaSagar's 585 Books (1,03,130 Pages]
Mobile: +91-9825967397
Email: jainmunideepratnasagar@gmail.com
मुनि दीपरत्नसागर की 585.....
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| ......साहित्य कृतियो का परिचय
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
આગમટીપ-૩
Folder - 03 આગમ-સૂત્ર ગુજરાતી અનુવાદ Net कुल किताबें + 47 भाषा- गुजराती, कुल पृष्ठ 3397
SINI
મુનિદીપરત્નસાગર
इस तीसरे फोल्डर में हमने हमारे ४७ प्रकाशनों को सम्मिलित किया है, जो | कि अर्धमागधी भाषा में प्ररूपित मूल आगमसूत्र का संपूर्ण गुजराती अनुवाद है।
हमारे मूल 45 आगम अर्धमागधी भाषामें है, जो साधु-साध्वी भाषा-ज्ञानसे वंचित है, शास्त्रीय कारण से आगम का पठन नहीं कर शकते है, आगमो की वांचना प्राप्त नही कर शकते है, इत्यादि कारणो से वे आगमिक पदार्थो के बोध को प्राप्त न हुए हो, ऐसे भव्यात्माए 'कल्पसूत्र' की तरह सरलतासे आगमो का अभ्यास कर शके या बोध प्राप्त कर शके, तथा भवभीरु आत्माए अपना जीवन मार्गानुसार बना शके ऐसा ये प्रकाशन है, जो 8.75 x 5.75 की साईझ में print हुए है।
इस संपुटमें 45 आगम मूल एवं 2 वैकल्पिक आगमो के साथ ४७ आगमो का अक्षरश: गुजराती-अनुवाद है | हमने पहले ये अनुवाद 7 भागोमें print करवाया था, अभी ये अलग-अलग 47 किताबो के रूप में इंटरनेट पर है | आप अगर इसे देखना चाहे तो इंटरनेट पर '' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' |
अंदाजित 90000 श्लोकप्रमाण मूल अर्धमागधी 45 आगमो का ये समग्र विश्व में सर्वप्रथम और एकमात्र गुजराती अनुवाद है | इस प्रकाशन की यह विशेषता है कि मूल आगम में उपयोजित क्रमांकन का ही यहाँ स्वीकार किया है, ताकि स्वाध्याय करते वक्त मूल एवं गुजराती अनुवाद साथ-साथ पढ़ सके । ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है |
- मुनि दीपरत्नसागर Muni DeepratnaSagar's 585 Books [1,03,130 Pages]
Mobile: +91-9825967397
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मुनि दीपरत्नसागर की 585..... | Page 11 of 60
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
आगमसूत्र-११
विपाक सूत्र
Folder - 04 आगम-सूत्र हिन्दी अनुवाद Net कुल किताबें - 47 भाषा- हिन्दी, कुल पृष्ठ 3648
मुनिटीपरलमार
इस चौथे फोल्डर में हमने हमारे ४७ प्रकाशनों को सम्मिलित किया है, जो कि अर्धमागधी भाषा में प्ररूपित 90000 श्लोकप्रमाण मूल 45 मूल आगमसूत्र का संपूर्ण हिन्दी अनुवाद है ।
45+2 आगमो के गुजराती अनुवाद के बाद हमने उसी 47 आगमो का हिन्दीअनुवाद भी किया था, जो 12 भागो में print करवाया था, उसी प्रकाशन को अब अलग-अलग 47 किताबो के रूपमें इंटरनेट पर अपलोड कर दिया है | आप अगर इसे देखना चाहे तो इंटरनेट पर '' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' |
गुजराती-अनुवाद के अनुभव को नजर के सामने रखकर हमने हिन्दी अनुवाद करते समय अर्थ का विस्तार और पेरेग्राफो में आवश्यक वृद्धि कर दी, परिणाम स्वरुप यहाँ 287 पेज बढ़ गए |
हिन्दीभाषी महात्मा भी आगम के पदार्थज्ञान से वंचित न रहे, ऐसे आशय से तैयार किया गया ये सम्पुट साहित्यिक मूल्यवाला तो है ही, साथमें गुजराती-भाषी आगमरसिको के लिए भी ये प्रकाशन महत्वपूर्ण सन्दर्भशास्त्र बन चुका है, क्योंकि मूल-आगम, गुजराती-अनुवाद और हिन्दी अनुवाद तीनो में सूत्र-क्रमांकन एक समान ही है, जिस से एक साथ तिन भाषा में आप सरलता से 45 आगम देख शकते है |
ये किताबे 8.75 x 5.75 की साईझ में print हुई है। ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है |
- मुनि दीपरत्नसागर
|Muni DeepratnaSagar's 585 Books [1,03,130 Pages] |
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नमो नमो निम्मलदसणस्स
Folder - 05
Veerstava
Meaning with Details
Aagam Sootra English Translations.Net कुल किताबें +11 भाषा- अंग्रेजी कुल पृष्ठ 410
MAIN MUNI DEEPRATNASAGAR
इस पांचवे फोल्डर में हमारे 11 प्रकाशनों को सम्मिलित किया है और A-4 की साईझ में, वर्ड के प्रोग्राम में तैयार किया हआ एक Net publication है |
आप अगर इसे देखना चाहे तो इंटरनेट पर '' | खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी | प्रकाशन 'टोटल फ्री'। * हमने 'Aagam-Sootra English Translations' नाम से इस सीरीझ का आरंभ किया था, 45 आगम के इंग्लिश-अनुवाद कार्यमें मै 11 आगम का अनुवाद कार्य कर शका हूं, ईसीलिए अभी 11 Publications ही मैंने Net पर रक्खे है, शरीर का साथ मिला तो बाकी आगमो का Translation भी करने की भावना है ।
मैने English Translations करते वक्त एक मर्यादा का अनुभव किया है - जैन पारिभाषिक-शब्दों का मूल भाव न बिगड़े इस तरह अनुवाद करना कभी कभी मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन होता है, ऊस वक्त मूल शब्द को ही अवतरण चिह्न या इटालिक टाइप में रखना पड़ता है, कहीं कहीं तो ऐसा भी महेसुस हुआ | है की सांस्कृतिक तफावत के कारण हम दूसरी भाषावालो को यथायोग्य सूत्र-भाव पहुंचा ही नहीं शकते है | इन सभी कारणों से आगे का कार्य रुक गया है, English में सुव्यवस्थित परिभाषाए प्रस्तुत करने के बाद ही अब ये कार्य संपन्न हो शकता है हालांकि वर्तमानयुगमें 'आगम-अंग्रेजी-अनुवाद' का होना आवश्यक है ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
Folder - 06 आगमसुत्ताणि सटीक कुलकिताबें - 46 भाषा- संस्कृत,प्राकृत कुलपृष्ठ 13806
आयामलाण
(सटीक) आवारा सूर्व- सटीक
मानापसनसागर
* इस छढे फोल्डर में हमने हमारे ४६ प्रकाशनों को सम्मिलित किया है, जो कि अर्धमागधी भाषा में प्ररूपित मूल आगमसूत्र पर संस्कृत या प्राकृत भाषा में वृत्ति या चूर्णि रूप से विवेचन स्वरूप है ।
'आगम-सुत्ताणि सटीकं' नाम के इस प्रकाशन में 45+1 वैकल्पिक आगम मिलाकर 46 आगम सामिल किए है | इन आगमो में 38 आगमो की वृत्ति या चूर्णि का सम्पादन किया है, जिस के साथ साथ उपलब्ध नियुक्ति एवं भाष्यों को भी स्थान दिया है, 2 आगमो की अवचूरी प्राप्त हुई है, शेष 5 पयन्ना की संस्कृत छाया प्रकाशित करवाई है, महानिशीथ पर कोई भी वृत्ति आदि उपलब्ध न होनेसे उसे मूल-रूपसे रखा है।
हमने 30 भागोंमे इसे print करवाया था, वे अब 46 किताबो के रुपमें हमने इंटरनेट पर अपलोड किए है | आप '' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' |
समग्र विश्वमें 'पुस्तकों' के रुपमे 45 आगम टीका सहित प्राप्त हो ऐसा यह पहेला और एकमात्र प्रकाशन है । मूल-आगम, गुजराती-अनुवाद, हिन्दी-अनुवाद, आगम-सटीकं, इन सभी संपुटो में एक समान सूत्रांक होने से अभ्यासको को अपने पठन-पाठन, खोज-संशोधन आदिमें सूत्र-पाठ मिलाने तथा अर्थ या वृत्ति देखने की बहोत सुविधा रहती है | ये किताबे 8.75 x 5.75 की साईझ में print हुई है। ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है |
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नमो नमो निम्मलदसणस्स
આગમસૂત્ર
Folder - 07 मारामसूत्र सटी गुराता मनुवाE Net कुल किताबें - 48 भाषा- गुजराती कुल पृष्ठ 10340
diatima
इस सातवे फोल्डर में हमने हमारे ४६ प्रकाशनों को सम्मिलित किया है, जो कि अर्धमागधी भाषा में प्ररूपित मूल आगमसूत्र पर संस्कृत या प्राकृत भाषा में वृत्ति या चूर्णि रूप से विवेचन स्वरूप है ।।
'आगम-सुत्ताणि सटीकं' नाम के इस प्रकाशन में 45+1 वैकल्पिक आगम मिलाकर 46 आगम सामिल किए है | इन आगमो में 38 आगमो की वृत्ति या चूर्णि का सम्पादन किया है, जिस के साथ साथ उपलब्ध नियुक्ति एवं भाष्यों को भी स्थान दिया है, 2 आगमो की अवचूरी प्राप्त हुई है, शेष 5 पयन्ना की संस्कृत छाया प्रकाशित करवाई है, महानिशीथ पर कोई भी वृत्ति आदि उपलब्ध न होनेसे उसे मूल-रूपसे रखा है।
हमने 30 भागोंमे इसे print करवाया था, वे अब 46 किताबो के रुपमें हमने इंटरनेट पर अपलोड किए है | आप '' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' |
समग्र विश्वमें 'पुस्तकों' के रुपमे 45 आगम टीका सहित प्राप्त हो ऐसा यह पहेला और एकमात्र प्रकाशन है । मूल-आगम, गुजराती-अनुवाद, हिन्दी-अनुवाद, आगम-सटीकं, इन सभी संपुटो में एक समान सूत्रांक होने से अभ्यासको को अपने पठन-पाठन, खोज-संशोधन आदिमें सूत्र-पाठ मिलाने तथा अर्थ या वृत्ति देखने की बहोत सुविधा रहती है | ये किताबे 8.75 x 5.75 की साईझ में print हुई है। भये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है ।
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Folder - 08
On Line आगममंजूषा
२] आधारो
आगम मजूषा Net कुल किताबें - 53 भाषा- प्राकृत कुल पृष्ठ 1521|
पुनः संकलन एवं नुनकता मुनि दीपरत्नसागरmmunnal
इस आठवें फोल्डर में हमने 53 प्रकाशनों को सम्मिलित किया है, पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने करीब 70 साल पहले मार्बल एवं तामपत्र पर इस आगममंजूषा को अंकित और 20x30 के पेपर पर भी print करवाया था, वही आगममंजुषा को हमने किंचित् परिमार्जित करके, प्रत स्वरूपमें तबदील करके लेंडस्केप A-4 साईझ में Net Publication रूप से आपके सामने प्रस्तुत किया है | आप इसे इंटरनेट पर 'jainelibrary.org' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' |
'आगममञ्जूषा' मूल-रूपसे तो ये 1370 सलंग पृष्ठोमे print हुइ थी, मगर उसमें ४५ मूल-आगम, 2 वैकल्पिक-आगम, कल्पसूत्र, 5 आगम कि नियुक्तियाँ शामिल थी, हमारे Net Publications में हमने इसका थोड़ा उपयोगिता मूल्य बढ़ाकर ५३ स्वतंत्र कृति के रूप में अलग-अलग पुस्तक तैयार करके सीधे ही Online (Free to air) रखे हैं।
प्रत्येक किताब के साथ प्रस्तावनारूप पृष्ठ और स्वतंत्र Title जोड़कर, पूज्यश्री संपादित साहित्य जो अब तक आरस पत्थर, तामपत्र या 20x30 के बड़े कागझ पे था, उसे आप A-4 की और प्रताकार साईझ में छोटी-छोटी किताब स्वरुप से पा शके, इस तरह पुन: संपादित किया है |
इस DVD में उसी आगम-शाश्त्रो को स्वतंत्र ५३ पुस्तक रूप में रखा है । ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है।
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
सचूणिक-आगम-सुत्ताणि
Folder - 09 आगम चूर्णि साहित्य कुल किताबें 79 भाषा- प्राकृत कुल पृष्ठ 2667
आवश्य नितिः गि
इस नववे फोल्डर में हमने 9 प्रकाशनों को सम्मिलित किया है जिस में आचार, सूत्रकृत, आवश्यक, दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, नन्दी और अनुयोगद्वार ये सात आगमो की चूर्णियो को नव प्रतोमें प्रिन्ट करवाया था |
पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि, भाष्य, नियुक्ति आदि भी संपादित किए है | हमने सोचा की वो प्रत/पोथीयुग था, अब पुस्तक-युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रूपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर Net publication के रूप में रख दे|
फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्रकार का क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, उद्देश, सूत्र/गाथा, नियुक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो, अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए | बाद में मल्टीकलर में वो सब मेटर net पे रख दिया | आप इसे इंटरनेट पर '' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री'। ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है ।
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नमो नमो निम्मलदसणस्स
आगम-संबंधी-साहित्य
प्रत्यकबुद्धभाषितानि 'ऋषिभापिनसूत्राणि' मूलं
Folder - 10 आगम संबंधी साहित्य
कुलकिताबें - 9 भाषा- प्राकृत, संस्कृत कुलपृष्ठ 1000 इस दशवे फोल्डर में हमने 9 प्रकाशनों को सम्मिलित किया है जिस में आगमिय सुक्तावली, ऋषिभाषित, अंगसूत्र--उपांग-प्रकीर्णकसूत्र--नन्दी आदि सूत्र एवं गाथादि अनुक्रम, अंग-उपांग-प्रकीर्णक-नन्दी आदि सूत्रो का विषयानुक्रम को नव प्रतोमें प्रिन्ट करवाया था |
पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि, भाष्य, नियुक्ति आदि भी संपादित किए है | हमने सोचा की वो प्रत/पोथीयुग था, अब पुस्तक-युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रूपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर Net publication के रूप में रख दे |
फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्रकार का क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, उद्देश, सूत्र/गाथा, नियुक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो, अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए | बाद में मल्टीकलर में वो सब मेटर net पे रख दिया | आप इसे इंटरनेट पर '' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' | ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है |
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आगमसहकोसो-१
Folder - 11 आगम-कोसो Pint कुल किताबें +5 भाषा- प्रा०सं०गु० कुल पृष्ठ 2392
आगम-कहा-कोसो आगम-नाम-कोसो
मुनि दीपरलमायर
इस सोलहवे फोल्डर में 5 मुद्रित प्रकाशन है → [1-4] आगम सद्कोसो, जिसे 'A Referential Word Dictionary of 45 Aagam' कह शकते है, [5] आगम नामकोसो, जिसे हम 'A Referential Noun Dictionary of 45 Aagam' कह शकते है | 'आगमसद्दकोसो' में 46,000 आगम-शब्द, उन का संस्कृत-रूपांतर और वृत्ति या चूर्णी के आधार पर किए गए उन शब्दों के गुजराती अर्थ दिए है, साथ में उनके 3,75,000 आगम-संदर्भ-स्थल भी आप को मिलेंगे | चार भागों में और 2300 से ज्यादा पृष्ठो में 'अ' से 'ह' पर्यंत शब्दों को डिक्शनरी रूप से मुद्रित करवाए है |
आप को कोई भी अर्धमागधी आगम-शब्द मूल 45 आगमो में खोजना हो तो प्रस्तावित शब्द का मूल आगमो में जहां-जहां प्रयोग हुआ हो उन सभी स्थानों का आगम संदर्भ साथ में देने का हमने संनिष्ट प्रयास किया है, आप इस डिक्शनरी में सरलता से देख उन शब्दों को देख शके इस तरह मैंने कम्पोझ भी किया है | आज तक जितने भी आगम-कोस (Aagam-Dictionary) बने उन में ये एक ही एसा कोस है जिस में शब्दों के साथ-साथ आगम एवं आगम सूत्र-क्रम को भी 'अकारादि' क्रम में संकलित किया हो ।
आगम-कोस संबंधी पांचवा प्रकाशन है 'आगम नाम कोसो', जो मूल-आगम, नियुक्ति, भाष्य, चूर्णी, बत्ति में आनेवाले सभी कथानक और मुख्य नामो की एक डिक्शनरी है | यह मुख्यरूप से मनुष्यों के संज्ञावाची नाम का कोश है, फिर भी ईस कोश में बड़ी और महत्त्वपूर्ण कथाओं की एक छोटी डिक्शनरी भी है । बृहद् रूप से नामों की डिक्शनरी है, साथसाथ आगमों के दृष्टांतो की छोटी सूचि भी है।
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नसीपणे निता
मागम प्रशानुयोग-3
Folder - 12
मारा कुल किताबें - 6
थानुयोग Print भाषा- गुजराती कुल पृष्ठ 2172
મુનિ દીપ૨refસાગર
इस बारहवे फोल्डर में हमारे 6 प्रकाशनों को सम्मिलित किया है | ये PrintPublication है, 'आगम कथानुयोग' नामसे मैंने 6 किताबो का संपट बनाया है, इसमें कथानुयोग नामक अनुयोग की मुख्यता है, मूल-आगम, नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि और वृत्ति में प्राप्त सभी कथानको को इकट्ठा करके, उन सब कथाओ को अलग-अलग विभागो में रख दिया, फिर उनका योग्य संकलन करके गुजराती | अनुवाद कर दिया और 6 किताबो में print करवा दिया | इस में है:--
तीर्थकर, चक्रवर्ती, वासुदेव, बलदेवादि उत्तम-पुरुषो के कथानक; गणधर, प्रत्येकबुद्ध, निह्नव, श्रमण, श्रमणी, और गोशालक के कथानक;
श्रावक, श्राविका, अन्यतिर्थिक, देव, देवी, प्राणी वगेरैह के कथानक तथा प्रकीर्ण कथानको एवं छोटे छोटे दृष्टांतों का समावेश हुआ है | 2 इस तरह सभी कथानकों को दस विभागोमें विभाजित किया है । प्रत्येक कथा के अंतमें ऊस कथा के सभी आगम-संदर्भ लिखे है, जिससे आप उन कथाओं के मूल स्रोत देख शकते है | छढे भाग के अंतमे मैंने प्रत्येक कथा का अ-कारादि क्रम भी लिख दिया है, जिससे कोई भी कथा आसानी से मिल शके |
भगवंत महावीर के शासनकाल में सिर्फ एक 'ज्ञाताधर्मकथा' नामक आगम में साढ़े तीन करोड़ कथाए थी, लेकिन आज 45 आगमो के मूलसूत्र, नियुक्ति, भाष्य, चूर्णी, वृत्ति इन पांचो को मिलाकर भी मै सिर्फ 852 कथाए और 187 दृष्टांत ढुंढ पाया हूँ | इसे मैने 8.75 x 5.75 की साईझ में print करवाया है |
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
मा निम्मरमा
આગમવિષય-દર્શત
मति
Folder - 13 मासम-विषय-६शन/मनुभPrint+Net
कुल किताबें -2 भाषा- गुजराती कुल पृष्ठ 726 | इस तेरहवे फोल्डर में हमारा छोटा सा लेकिन महत्त्वपूर्ण प्रकाशन है, इस में 2 किताबें है, 'आगम-विषय-दर्शन' जो Printed है, और 'आगम-विषय-अनुक्रम' जो Net पर पब्लिश की गई है । दोनों किताबो में विषयवस्तु एक-समान है, फर्क ये है की 'आगम विषय दर्शन' A-5 अर्थात् 8.75 x 5.75 की साईझ में मुद्रित करवाई है और आगम विषय अनुक्रम A-4 साईझ में, मल्टीकलर में नई कम्पोझ की हुई है
इस कृति में मैंने 45 आगमो की विषद् रूप से अनुक्रमणिका बनाई है, इसमें प्रत्येक आगम के प्रत्येक सूत्र या गाथा के विषयो को उसी आगमो के सूत्र-क्रमांकन अनुसार सुस्पष्ट और पृथक्-पृथक् रूप से दिया है, जिस से कोई भी अभ्यासक अपने मनपसंद या आवश्यक अथवा अपने संशोधन या लेखन के अनुरूप विषय को सरलता से पसंद कर शकता है| 'आगम-विषय-दर्शन' के आरभ में मैंने मूलआगम, गुजराती अनुवाद और आगम सटीक के पृष्ठांक भी दे दिए है, जिस से अभ्यासको को अपने इच्छित विषय खोजने में विषय अनुक्रम के साथ पृष्ठ भी मिल जाएगा |
। यहाँ प्रस्तुत विषय-अनुक्रम की भाषा भले ही गुजराती है, मगर आप इस पुस्तक की मदद से हमारे गुजराती, हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत या इंग्लिश अर्थात् हमारे मूल एवं टीका स्वरूप ४५-आगमो के सभी प्रकार के आगम प्रकाशनों में प्रवेश करके आप अपने मनपसंद विषय ढुंढ शकते है और आप के आवश्यक विषय की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । क्यों कि मेरे सभी प्रकाशनों में मैंने एकसमान सूत्र-क्रमांकन किया है |
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
Folder - 14 आगमसूत्राणि सटीकं 2 (प्रताकार)Net कुल किताबें 79 भाषा-प्राकृत, संस्कृत कुल पृष्ठ 2561 |
इस चौदहवे फोल्डर में हमने 9 प्रकाशनों को सम्मिलित किया है जिस में भगवती, आवश्यक, नन्दी और अनुयोगद्वार ये चार आगमो की वृत्तियो को आठ प्रतोमें प्रिन्ट करवाया है और नववीं प्रत कल्पसूत्र सुबोधिका वृत्ति की है |
पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि, भाष्य, नियुक्ति आदि भी संपादित किए है | हमने सोचा की वो प्रत/पोथीयुग था, अब पुस्तक-युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रुपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर Net publication के रूप में रख दे|
फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्रकार का क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, उद्देश, सूत्र/गाथा, नियुक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो, अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए | बाद में मल्टीकलर में वो सब मेटर net पे रख दिया | आप इसे इंटरनेट पर '' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' | ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है |
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Folder - 15
आयारो मूलं एवं वृत्तिः आगमसूत्राणि सटीकं 1 ( प्रताकार ) Net
कुल किताबें →51 भाषा - प्राकृत, संस्कृत कुल पृष्ठ 17992
queen o
कर्य
मनि दीपरत्नसागर (MDOME PD)
नमो नमो निम्मलदंसणस्स
इस पन्नरसवे फोल्डर में हमने 51 प्रकाशनों को सम्मिलित किया है जिस में 45 आगम, 2 वैकल्पिकआगम, 3 पयन्नाओ की टीका और कल्प ( बारसा सूत्र है
पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि भाष्य, निर्युक्ति आदि भी संपादित किए है । हमने सोचा की वो प्रत/पोथीयुग था, अब पुस्तक - युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक रूपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर Net publication के रूप रख दे |
फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्रकार का क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, उद्देश, सूत्र/गाथा, निर्युक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो, अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए । बाद में मल्टीकलर में वो सब मेटर net पे रख दिया | आप इसे इंटरनेट पर '' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' |
ये एक net-publication है जिसे कोई भी फ्री डाउनलोड कर शकता है ।
मुनि दीपरत्नसागर
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नमो नमो निम्मलदसणस्स
Folder - 16 सवृत्तिक आगम सूत्राणि 1 कुल किताबें -40 भाषा-प्राकृत, संस्कृत कुल पृष्ठ 18460 |
इस सोलहवे फोल्डर में हमने 40 प्रिन्टेड प्रकाशनों को सामिल किया है जिस में 45 आगम, 2 वैकल्पिकआगम, 3 पयन्नाओ की टीका और कल्प(बारसा)सूत्र है
पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि, भाष्य, नियुक्ति आदि संपादित किए है | हमने सोचा की वो प्रत/पोथी-युग था, अब पुस्तक-युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रूपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर प्रिंटिंग और Net publication दोनों प्रकार से रख दे|
फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्रकार का क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, उद्देश, सूत्र/गाथा, नियुक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो, अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए | वो सब मेटर प्रिन्टेड एवं इंटरनेट दोनों रूप से प्रकाशित कर दिए | आप इंटरनेट पर '' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' |
ये प्रिन्टेड एवं इंटरनेट दोनों तरह से उपलब्ध है, इंटरनेट से कोई भी इसे फ्री डाउनलोड कर के भी प्राप्त कर शकता है।
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
सचूर्णिक आगम-शुत्ताणि
Folder - 17 सचूर्णिक आगम सूत्ताणि
कुल किताबें 7 8 भाषा-प्राकृत, संस्कृत कुल पृष्ठ 2760 इस सत्तरहवे फोल्डर में हमने 8 प्रिन्टेड प्रकाशनों को सामिल किया है जिसमें हमने आचार, सूत्रकृत, आवश्यक, दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, नन्दी और अनुयोगद्वार ये सात आगमो की चूर्णियो को आठ पुस्तकोंमें प्रिन्ट करवाया है।
पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि, भाष्य, नियुक्ति आदि संपादित किए है | हमने सोचा की वो प्रत/पोथी-युग था, अब पुस्तक-युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रूपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर प्रिंटिंग और Net publication दोनों प्रकार से रख दे|
फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्रकार का क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, | उद्देश, सूत्र/गाथा, नियुक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो, अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए | वो सब मेटर प्रिन्टेड एवं इंटरनेट दोनों रूप से प्रकाशित कर दिए | आप इंटरनेट पर '' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' |
ॐ ये प्रिन्टेड एवं इंटरनेट दोनों तरह से उपलब्ध है, इंटरनेट से कोई भी इसे फ्री डाउनलोड कर के भी प्राप्त कर शकता है |
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
सवृत्तिक-आगम-सूत्राणि-२
आगम-०५ 'भगवती वृत्ति:
HTROHIT
Folder - 18 - सवृत्तिक आगम सूत्राणि- 2
किताबें 7 8 भाषा-प्राकृत, संस्कृत कुल पृष्ठ 2656 इस अट्ठारहवे फोल्डर में हमने 8 प्रिन्टेड प्रकाशनों को सामिल किया है जिस में हमने भगवती, आवश्यक, नन्दी और अनुयोगद्वार ये चार आगमो की वृत्तियो को सात प्रतोमें प्रिन्ट करवाया है और आठवीं प्रत कल्पसूत्र सुबोधिका वृत्ति की है | म पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चर्णि, भाष्य, निर्यक्ति आदि संपादित किए है । हमने सोचा की वो प्रत/पोथी-युग था, अब पुस्तक-युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रूपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर प्रिंटिंग और Net publication दोनों प्रकार से रख दे।
फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्रकार का क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो श्रुतस्कंध, अध्ययन, उद्देश, सूत्र/गाथा, नियुक्ति आदि उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो, अध्ययनादि की सूचना हो या मुद्रणदोष हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए | वो सब मेटर प्रिन्टेड एवं इंटरनेट दोनों रूप से प्रकाशित कर दिए | आप इंटरनेट पर '' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री'।
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साहित
का परिचय
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
आगम-संबंधी-साहित्य
मागीय सूक्तावलि-बादिः
Folder - 19 आगमीय साहित्य विशेष
कुलकिताबें 7 4 भाषा-प्राकृत, संस्कृत कुलपृष्ठ 1048 | इस अट्ठारहवे फोल्डर में हमने 8 प्रिन्टेड प्रकाशनों को सामिल किया है जिस में आगमिय सुक्तावली, ऋषिभाषित, अंगसूत्र-उपांग-प्रकीर्णकसूत्र--नन्दी आदि सूत्र एवं गाथादि अनुक्रम, अंग-उपांग-प्रकीर्णक-नन्दी आदि सूत्रो का विषयानुक्रम को हमने चार प्रतोमें प्रिन्ट करवाया है।
पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, चूर्णि, भाष्य, नियुक्ति आदि संपादित किए है | हमने सोचा की वो प्रत/पोथी-युग था, अब पुस्तक-युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रूपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर प्रिंटिंग और Net publication दोनों प्रकार से रख दे|
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वाचा सूत्रणा
well
नमो नमो निम्मलदंसणस्स
Folder - 20 तत्त्वात्यास साहित्यprint कुल किताबें 113 कुल पृष्ठ 2089 भाषा- गुजराती, हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत, इंग्लिश
ધગમ સૂત્ર
અભિનવ ટીકા
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Hinde-tal મનિદીપરત્નસાગર
तत्त्वार्थसूत्र प्रबोधटीका अध्याय-1, तत्त्वार्थाधिगमसूत्र अभिनवटीका अध्याय 1-10, तत्त्वार्थसूत्रना आगम-आधार-स्थानो, [13] तत्त्वार्थसूत्र के 84 प्रकाशनों का संपुट |
[1] तत्त्वार्थसूत्र प्रबोधटीका:- इस किताब में सिर्फ अध्याय-1 का दशांगी विवरण है
[2] तत्त्वार्थाधिगमसूत्र अभिनवटीका:- इसमें प्रत्येक अध्याय की अलग-अलग किताब बनाकर 10 पुस्तकों में 10 अध्याय print किए है | इन दश भागोंमें तत्त्वार्थसूत्र का अति विस्तृत विवेचन है, जिसमें सूत्र-हेतु, मूलसूत्र, सूत्र-पृथक्, सूत्रार्थ, शब्दज्ञान, अनुवृत्ति, अभिनवटीका, सूत्र-संदर्भ, सूत्र-पद्य, सूत्र-निष्कर्ष; ये दश विभाग है
प्रत्येक अध्याय के अंतमें सूत्र-क्रम, अ-कारादि-क्रम, श्वेतांबर-दिगंबर पाठभेदादि परिशिष्ठ है और दशवें अध्याय के अंतमें शब्दसूची और विषयसूची दिए है।
[3] तत्त्वार्थसूत्रना आगमआधारस्थानो' संशोधन कक्षा की इस किताब में तत्त्वार्थ के सभी सूत्रका मूल-आगम संदर्भपाठ और संदर्भस्थल निर्देश है, श्वेतांबर-दिगंबर पाठभेद तालिका है | इसकी मदद से तत्त्वार्थसूत्र के किसी भी सूत्र का आगमपाठ खोज शकते है
'तत्त्वार्थसूत्र के 84 प्रकाशनों का संपुट' ये 13 पेज की एक पुस्तिका है | जिसमें हमारी बनाई हुई 'तत्त्वार्थसूत्र' संबंधी DVD का परिचय है, फिर भी अगर कोई इस पुस्तिका को संदर्भ समझ कर उपयोग करे तो की मदद से 72 बुक्स और 12 Articles को पढ़ शकते है | इस DVD में गुजराती, हिन्दी इंग्लिश, संस्कृत और अन्य-भाषामें श्वेतांबर, दिगंबर और अन्यकर्तृक कृतियाँ है, जिसमें मूलतत्त्वार्थसूत्र, सूत्र का अर्थ, सूत्र पर किया गया विवेचन, सूत्र के संबंधमें हुए अन्य सर्जन प्राप्त होते है | इस डीवीडी में हमने तत्त्वार्थ सूत्र के 84 प्रकाशनो के 27930 पेजका संकलन किया है | समग्र विश्व में ऐसा और कोई संकलन नहीं मिलेगा |
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પ્રતિક્રમણસૂત્ર निकिने
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
Folder
21
| सूत्र - अभ्यास साहित्य Printed
कुलकिताबें →5 भाषा- गु०प्रा०सं० कुलपृष्ठ 1428
—
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જૈન એડ્યુકેશનલ સર્ટીફિકેટ કોર્સ
इस इक्कीसवे फोल्डर में पाँच किताबे हैं । प्रतिक्रमण सूत्र अभिनव विवेचन भाग १ से ४, चार किताबें + जैन एड्युकेशनल सर्टिफिकेट कोर्स- १ किताब ।
[१-४] प्रतिक्रमण सूत्र अभिनव विवेचन ये चार किताबों को मिलाकर हमने दो प्रतिक्रमण सूत्र का विवेचन लिखा है । अभिनवविवेचन में मैंने आगम और पूर्वाचार्य रचित ग्रंथो का सहारा लेकर, मूलसूत्र के महत्त्वपूर्ण शब्द, प्रत्येक वाक्य अथवा गाथाओं के प्रत्येक चरण का अति विस्तृत विवेचन किया है, इसमे अनेक संदर्भ साहित्य और आगमो के साक्षी-पाठ दे दिए है ।
यहाँ हमने सप्तांग विवरण किया है
के
। (१) सूत्र का विषय, (२) दो प्रतिक्रमण सूत्रों मूल पाठ, (३) सूत्र का अर्थ, (४) सूत्र में आए हुए शब्दों का ज्ञान, (५) १०० से ज्यादा संदर्भ ग्रन्थों का आधार लेकर किया गया विवेचन, (६) विशेष कथन एवं (७) सूत्रनोंध | इसके अलावा अंत में हमने दो प्रतिक्रमण के गुजराती, संस्कृत, प्राकृत शब्दों की एक सूचि, उनके सूत्रक्रम एवं स्थान निर्देश के साथ तैयार करके दिये हैं । इसकी लेखन प्रद्धत्ति अति आधुनिक शिक्षण प्रणालि को सामने रखकर स्वीकृत की गई हैं । जिस से प्रतिक्रमण सूत्रों के प्रत्येक शब्द का पूरा एवं विशद् बोध प्राप्त हो सकता है।
[५] जैन एड्युकेशनल सर्टीफिकेट कोर्स- यह धार्मिक अभ्यास एवं उसकी Exam के लिए तैयार किया गया पुस्तक है । इस में हमने ६ श्रेणी तैयार की है । यह छह धोरण पूर्ण करनेवालों को पंच प्रतिक्रमण सूत्र का, सामायिक-वंदन - चैत्यवंदन-प्रतिक्रमणस्नात्र पढ़ाना, पौषध लेना- पारना, पडिलेहण-देववंदन इत्यादि सभी विधियों का, २४ तीर्थंकरों के २० बोल, उपयोगी स्तुति-चैत्यवंदन - स्तवन- थोय के जोड़े सज्झाय का, छोटीछोटी ३० कथाओं का, किंचित् जैन भूगोल का, १८० प्रश्नों में धर्म-बोध एवं सूत्र संबंधी प्रश्नों का इत्यादि बहोत सारा ज्ञान प्राप्त होता है, फिर भी सिर्फ १७० पृष्ठों में ये समाविष्ट हैं ।
નિ દીપરત્નસાગર
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
अभिनय हेम' लघुप्रजिया-२
મુનિ દીપરતનસાગર
Folder - 22 व्याकरण साहित्य print
कुल किताबें +5 भाषा- संस्कृत, गुजराती कुल पृष्ठ 1048 | इस बाईसवे फोल्डर में व्याकरण संबंधी पाँच ग्रंथो को स्थान दिया है, जिस में चार ग्रंथों का एक संपूट अभिनव'हेम'लघुप्रक्रिया के नाम से है और पाँचवा पुस्तक 'कृदंतमाला' नाम से मुद्रित हुआ है । जो की क्राउन 4 अर्थात् 7.5x10 की साईझ में लेटर-प्रेस में कम्पोझ करवा के print करवाया है |
[1-4] अभिनव'हेम'लघुप्रक्रिया, महोपाध्याय विनयविजयजी कृत् 'लघुप्रक्रिया' पर सिद्धहेम-शब्दानुशासन तथा उससे संबंधित बृहत् वृत्ति, बृहत् न्यास, हैमप्रकाश महाव्याकरणम्, लिंगानुशासन, मध्यमवृत्ति-अवचूरी, न्यायसंग्रह आदि अनेक संदर्भग्रंथो से तैयार किया हुआ 1000 से ज्यादा पेज का ये ग्रन्थ है, गुजराती भाषा के माध्यम से 'हेम'-संस्कृत व्याकरण (हैम-लघुप्रक्रिया) का सघन अभ्यास हो शके इस | तरह मैंने इस ग्रन्थ का सर्जन किया है |
- इस ग्रन्थ की विशेषता यह है → प्रत्येक सूत्रो को सात विभागो में विभाजित करके रखे है, जैसे की सूत्र, सूत्र-अर्थ, वृत्ति, वृत्यर्थ, अनुवृत्ति, विवेचन आदि है | साथ में मैंने अकारादि-सूत्रक्रम, सिद्धहेम-सूत्रक्रम, सन्दर्भ साहित्य, शब्द-रूपमाला, धातु-रूपमाला आदि प्रचुर प्रमाणमें परिशिष्ठ भी दिए है | संस्कृत व्याकरण का स्वयं अभ्यास करने के लिए ये उत्तम प्रकाशन है।
व्याकरण संबंधी हमारा पांचवा प्रकाशन है 'कृदंतमाला', जिसमें हमने 125 धातु (क्रियापदो) के 23 प्रकारो से होनेवाले कृदंतो का एक कोष्टक बनाके दिया है | दो 'संस्कृत-बुक' तक अथवा 'हैम-लघुप्रक्रिया' के अभ्यास में आते हुए सभी धातुओं के कृदंतो के तैयार रूप यहाँ प्राप्त होते है |
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ચર ફિટિરા પ્રાસાદર
નવપદ-શ્રીપાલો
Folder - 23 व्याण्यान साहित्य print | कुल किताबें +4 भाषा- गुजराती कुल पृष्ठ 1218
मुनिशान
મુળિ દીપરાગ
इस तेईसवें फोल्डर में व्याख्यान विषयक चार ग्रंथ पाए जाते हैं, ये चारो मुद्रित प्रकाशन है, [1-3] मलिनGuशप्रासाE, [4] नवपE-श्रीपाल | ये चारो | किताबे 8.75 x 5.75 की साईझ में मुद्रित करवाई है।
'अभिनव उपदेश प्रासाद' स्वतंत्र व्याख्यानमाला है, हमने तीन विभागों में इस व्याख्यान श्रेणी का प्रकाशन करवाया है, 'मन्नह जिणाणं' नामक सज्झाय में | निर्दिष्ट श्रावक के 36 कर्तव्यो को समझाने के लिए हमने 108 व्याख्यानों की एक शृंखला का सर्जन किया है, जिसमें प्रत्येक व्याख्यान का आरंभ एक श्लोक से होता है | सभी व्याख्यानों में जैनेतर प्रसंग, कर्तव्य की तात्त्विक समझ, जैन कथा/दृष्टांत, कर्तव्य के अनुरूप स्तवनादि की पंक्ति इत्यादि की सुंदर संकलना की गई है । प्रत्येक व्याख्यान Fix 10-10 पृष्ठों में विभाजित है । आज तक इस प्रकार से कोई भी व्याख्यान शृंखला प्रकाशित नहीं हुई।
जिन साधु-साध्वी का क्षयोपशम मंद हो या किसी कारण से वे शास्त्रीय व्याख्यान देने में असमर्थ हो, तो उनके लिए ये व्याखान- संग्रह पूरा चातुर्मास बिताने के लिए एक बड़ा तोहफा है |
चौथा व्याख्यान-प्रकाशन 'नवपद श्रीपाल' है, इस का सर्जन शाश्वती ओळी के व्याख्यान के लिए हुआ था, जिस में हमने पूरा श्रीपाल चारित्र और अरिहंतादि नव- पदो का अलग-अलग विवेचन किया है अर्थात् कथा और तत्त्व का संकलन करके नव व्याख्यानों की एक शृंखला बनाई है, जो ओळीजी की आराधना के प्रवचन एवं नवपदों को समझने के साथ-साथ पूरे श्रीपाल चरित्र का सार जानने में उपयोगी है।
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વિતવાગતુતિ સંચય
Folder - 24
नमत साहित्य Printed शत्रुजय भक्ति
कुल किताबें +9 भाषा- गुहि०सं० कुलपृष्ठ 1196
મુનિ દીપનસાગર
ईस चोबीसवे फोल्डरमें 9 प्रिंटेड किताबे है, 5 गुजरातीमें, 4 हिन्दी में [1] गुजराती में [1] येत्यवान भास, [2] वित२ स्तुति, [3] शJ४य माति, [4] सिद्धायल नो साथी, [5] येत्य परिपाटी और [2] हिन्दी में [1-3] चैत्यवंदन संबंधी 3, [4] शत्रुजय भक्ति |
* यहाँ चैत्यवंदन की किताबो में 779 चैत्यवंदनो का संग्रह है, जिस में पर्वदिन तथा पर्वतिथि के चैत्यवंदन है, चोवीस जिन की चौविसी है, जिसमे दो संस्कृत चौविसी भी है, विविध तीर्थोमें बोल शके ऐसे तथा तीर्थंकरसंबंधी विविध बोलयुक्त चैत्यवंदन भी है | गुजराती में एक ही किताब में ये संग्रह है, हिन्दी में इनके लिए 3 किताबे है चैत्यवंदनपर्वमाला. चै चौविसी, चै तीर्थ-जिन विशेष |
वीतराग स्तुति में (900 गुजराती+251संस्कृत) 1151 भाववाही स्तुतियाँ है | जिसमे 24 तीर्थकर के सामने बोल शके ऐसी 10-10 स्तुतियाँ एवं विविध तीर्थोमें बोलने लायक स्तुतियाँ भी है, दुष्कृतगर्दा और शुभभावना की स्तुतियाँ भी है, ऐसी अनेक विविधता है |
'शत्रुजय-भक्ति में शत्रुजय की यात्रा के वक्त तलेटी, शांतिनाथ, रायणपगला, पुंडरीक स्वामी, आदीश्वरदादा और घेटीपगला के सामने उन स्थानों के अनुरूप ऐसी स्तुतियाँ, चैत्यवंदन, स्तवन, थोयका ये सबसे पहला संग्रह था | साथमे ऊन स्थानो की फोटो भी है।
सिद्धायसनो साथी' किताबमें 'शत्रुजयभक्ति' तो पूरी सामील कर ही दी है, साथमें 'सिद्धाचल की भावयात्रा' और 'सिद्धाचल' के उपरोक्त छह स्थानों के अनुरूप दुसरे स्तवन भी जोड़ दिए है |
'चैत्यपरिपाटी' पुस्तिका में पालडी, अमदावाद के 42 चैत्यो की यात्रा है, जिस में आप को मीलेगी प्रत्येक जिनालय में बोलने के लिए अलग-अलग 3-3 स्तुतियाँ, ताँकि प्रत्येक जिनालयमें सब साथ मिलकर परमात्मभक्ति कर शके |
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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
Folder - 25
यो कमो शिमला
III IILLી wift મા III IT!
Suntalilia
वि
દીક્ષા-યોગાદિ વિધિ
साहित्य Printed
Printed
भूमिका कुलकिताबें 4 भाषा-गुज०,सं०,प्रा० कुलपृष्ठ 2961
इस पच्चीसवें फोल्डर में हमने 'विधि साहित्य' को रक्खा है, जिस में हमारी तिन किताबे है, जो गुजराती+[संस्कृत और प्राकृत] भाषा में है।
[1] Elel-योull al:- इस किताब में दीक्षाविधि, आवश्यकादि योगविधि, संपूर्ण बड़ी-दीक्षाविधि, पद-प्रदानविधि इत्यादि विधियों का संग्रह है | यह विधि को हमने इस तरह संकलित किया है कि विधि करवानेवाले कोई भी पूज्यश्री किताब के पेज आगेपीछे किए बिना ही Direct विधि करवा सकते ऐसा ये विशिष्ट प्रकाशन है
ये किताब मैंने A-5 अर्थात् 8.75 x 5.75 की साईझ में मुद्रित करवाई है | [2] म माराधना al:- (यो साधु + श्राव आराधना ala)
[3] साधु-साध्वी धर्म विधि:- ये किताब पंचांग जैसे छोटे कद में print करवाई है, साथ रखनी सरल है, साधु-साध्वी के काळधर्म के वक्त साधु तथा श्रावको को करनेकी विधि का स्पष्ट विभाजन है और अगर कोई पालखी बनाना चाहे तो पालखी की फोटो भी अंतमें रख दिया है |
ये किताब मैंने 5.75 x 4.25 की साईझ में मुद्रित करवाई है। [4] वि. संह- १:- इस किताब में दीक्षा-योगादि विधि तो संकलित है ही, इसके अलावा कालिकयोग-विधि, काळग्रहण-विधि, पदप्रदान-विधि, पाटली-विधि, सज्झाय-विधि, तीर्थमाळ विधि आदि अनेक विधिओ को सरलता से कर शके और करवा शके ऐसी स्पष्ट प्रस्तुती के साथ बनी हुई ये किताब है | तदुपरांत व्रतोच्चारणादि उपयोगी बातों का समावेश हुआ है। ये किताब मैंने A-5 अर्थात् 8.75 x 5.75 की साईझ में मुद्रित करवाई है।
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સમાધિ
नमो नमो निम्मलदंसणस्स
Folder - 26 साराधना साहित्य Printed कुल किताबें +3 भाषा- गुजराती कुलपृष्ठ 434
શ્રાવક અંતિમ આરાઘe
મુનિદીપરતનસાગર
'आराधना साहित्य' इस छव्विसवे फोल्डर में हमारी तिन किताबे गुजराती में है
[1] समाधिम२९:- अंत समय और भावि-गति सुधारने के लिए मरण के वक्त चित्त समाधि बनी रहे ऐसी आराधना विधि, आराधना सूत्रो, आराधना पद्यो, पूर्व ऋषि-मुनिओ द्वारा की गई अंतिम आराधना, वगेरैह सात अलग-अलग विभागों में विभाजित ऐसा 350 पृष्ठोका दळदार पुस्तक, जो बारबार पठनीय है।
'पुन्यप्रकाश न स्तवन' जिस में अतिचार-आलोचना, व्रत-ग्रहण, जीव-खामणा आदि दश अधिकार का वर्णन आता है उसको इस किताब में संक्षिप्तमें और विस्तारमें दोनों प्रकार से स्थान दिया गया है, इस का पठन करते हुए कोई भी व्यक्ति अपने आप अंत समय सुधारने की आराधना अच्छी तरह कर शकता है।
ये किताब मैंने A-5 अर्थात् 8.75 x 5.75 की साईझ में मुद्रित करवाई है।
[2] साधु-साध्वी प्रतिमा साराधना:- साधु-साध्वी को अंतिम समय सुधारने के | लिए नित्य करने योग्य ऐसी ये आराधना है, मूल प्राकृत और संस्कृतमें ग्रंथस्थ विधि को मैंने सरल गुजराती में प्रस्तुत किया है, इस छोटी किताब का कद पंचाग जैसा होने से साथ रखना आसान है |
[3] श्रावs iतिम माराधना:- श्रावक-श्राविका को अंतिम समय सुधारने के लिए नित्य करने योग्य ऐसी ये आराधना है, मूल प्राकृत और संस्कृत में ग्रंथस्थ विधि को मैंने सरल गुजराती में प्रस्तुत किया है, इस छोटी किताब का कद पंचाग जैसा होने से साथ रखना आसान है |
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Page #35
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Online
नमाजपरियार
नमो नमो निम्मलदंसणस्स
Folder - 27 परियय साहित्य Printed | कुल किताबें +4 भाषा- गुजराती,हिन्दी कुलपृष्ठ 220
'परिचय साहित्य' इस सत्ताईसवे फोल्डरमें हमारी चार किताबे गुजराती में है
[1] म संक्षिप्त परियय:- ईस किताबमें हमने ४५ आगमो का अति संक्षिप्त परिचय करवाया है, एक तरफ़ यन्त्रमे आगमपुरुष का चित्र है और दुसरी तरफ़ उसी आगम का परिचयात्मक निरुपण है, आगम पुरुष का परीचय भी हमने यहां दे दिया है | 96 पृष्ठो में और ४ कलरमे ओफ़सेट परिणत किया हुआ ये एक बहोत सुन्दर पुस्तक है ।
-[2] साहित्य-यात्रा ८२ 1 थी 31 नो परियय :- प्रस्तुत पुस्तकमें मेरी आज तक की साहित्ययात्रा के प्रिन्टेड तथा इंटरनेट प्रकाशनों के 31 फोल्डरोमें रहे हुए ५८५ पुस्तकों का ट्रंक परिचय है | जिसमे पुस्तक का चित्र, संपूट का नाम, पुस्तक का कद, पुस्तक की भाषा, पुस्तको की संख्या और पुस्तक का विषय लिखा है।
[3] दीपरत्नसागर की 585 कृतियो की साहित्ययात्रा_word_2017:- इस पुस्तकमें मेरी साहित्य-यात्रा का वर्ष-अनुसार एवं भाषा-अनुसार टेबल बनाया है तथा | 1,03,130 पृष्ठोमें रहे हुए मेरे 585 पुस्तको का संक्षिप्त परिचय है ।
[4] परत्नसारनी 585 साहित्य इतियो_Excl_2017:- इस पुस्तकमें मेरी साहित्य-यात्रा के 1,03,130 पृष्ठोमें रहे हुए मेरे 585 पुस्तको की पूरी लिस्ट है, जो अलग-अलग विषयानुसार बनाए गए 31 फोल्डरोमें विभाजित कर के रक्खी है और ३२वा एक एक्स्ट्रा फोल्डर है जिसमे मेरे लिए लिखे गए 5 आर्टिकल्स की सूची है।
ये चारो किताब A-4 अर्थात् 8.5 x 11.0 इंच की साईझमें प्रकाशित करवाई है जो net पर तो उपलब्ध है ही, प्रिन्टेड रूप से भी ये किताब प्राप्त हो शकती है
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नमो नमो निम्मलदसणस्स
Aast
*चव पश्यिय
Folder - 28 तीर्थ २ संक्षिप्त र्शन net कुल किताबें 7 24 भाषा- गुजराती कुलपृष्ठ- 432
મુનિશ્રી દીપરત્નસાગર
M.Com, M.Ed., Ph.D.भान्हावी
इस अट्ठाईसवें फोल्डरमें चोवीस तिर्थंकरो के विषयमे १८५ विगतो की जानकारी दी गयी है, जिसे 'तीर्थंकर-बोल-संग्रह' भी कहे शकते है| ये २४ किताबे 8.5 x 11.0 की साईझ में प्रकाशित कर के इंटरनेट पर रक्खी है |
हमने इस फोल्डर का नाम 'तीर्थंकर संक्षिप्त दर्शन' रक्खा है, क्यों की प्रत्येक तीर्थंकर संबंधी अलग-अलग १८५ वस्तुओ का यहाँ संग्रह किया गया है | जैसे की:तीर्थंकरका क्रम, नाम, कल्याणक तिथि, राशि, नक्षत्र, काल आदि, भवसंख्या , पूर्व भव, पूर्वोत्तरभवस्थान, तीर्थकरनामकर्मबांध के कारण, १४ स्वप्न, माता-पितादि के नाम, ५६ दिक्कुमारी का आगमन एवं कार्य, ६४ इंद्र द्वारा अभिषेक एवं कार्य, लंछन, गोत्र, वंश, शरीरलक्षण, संघयण, संस्थान, गण, योनी, रूप, वर्ण, बळ, उंचाई, आहार, विवाह, भगवंत के नाम का सामान्य एवं विशेष अर्थ, दीक्षा आदि का तप, दीक्षाका तप-शिबिका-सहवर्ती-वन-वृक्ष इत्यादि अनेक विगतो को शामिल किया है।
तीर्थंकर विषयक ये सभी माहिती एकत्रित करने के लिए हमने प्रवचन सारोद्धार, सप्ततिशतस्थानक, समवायआगमसूत्र, तिर्थोद्गालिकप्रकीर्णकसूत्र, आवश्यक-नियुक्ति, आवश्यक-वृत्ति, त्रिषष्ठिशलाका पुरुषचरित्र, चउपन्नमहापुरुसचरियं आगम कथानयोग आदि शास्त्र/ग्रंथो का संदर्भ चुना है | तिर्थंकरो के विषयमे कहीं कहीं पाठान्तर भी देखने को मिले, जिसकी नोंध कोई कोई स्थान पर हमने की है जैसे की अजितनाथ के गणधरो की संख्या सप्ततिशतस्थानकमे ९५ बताई है, जब की समवाय-सूत्रमे ये संख्या ९० बताई है, भगवंत मल्लिनाथ के दीक्षादिन, केवलज्ञानदिन, केवलज्ञानसमय के विषयमे पाठान्तर तो आगममे भी देखे गए है।
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नमो नमो निम्मलदसणस्स
गयो गयो विश्वासमा
Folder – 29 ५४न साहित्य Printed कुल किताबें - 2 भाषा- गुजराती कुलपृष्ठ- 104
શ્રી પાર્શ્વપાવતી મહાપૂજન વિધિ
AMERAamstt.શનિ દૈારાસાગર
इस उन्तिसवे फोल्डर में पूजन की दो मुद्रित किताबें रक्खी हुई है -
[1] ४५ माराम महापूनविधि, इस किताबमें दो दिन चलते हुए ऐसे 45 आगम महापूजन की विधि, श्री रूपविजयजी रचित 45 आगम पूजा, आगमो की जलपूजा, गंधपूजा आदि अष्टप्रकारी पूजा के लिए बनाये गए नए दोहे, 45 आगम यंत्र इत्यादि की अद्भूत संकलना की हुई है।
विधिकारक की मदद बगैर अपने आप कोई भी व्यक्ति पूजन पढ़ा शके इस तरह ये किताब तैयार की हुई है ।
ये किताब मैंने A-5 अर्थात् 8.75 x 5.75 की साईझ में मुद्रित करवाई है ।
[2] पार्श्व पद्मावती पून विधिपूजन विधि की बहोत पुस्तिकाए प्रकाशित हुई है, हमने भी यहाँ कोई नई विधि को संकलित नहीं की है, यहाँ तो सिर्फ आसानी से पूजन पढाया जा शके और विधिकारक को भी बुलाने की आवश्यकता न रहे इस तरह विधि को प्रस्तुत किया है |
इस किताब में हमने पार्श्व-पद्मावती पूजन विधि की विशिष्ट संकलना की है, जलपूजा, गंधपूजा, आदि सभी पूजन के श्लोक, श्लोकार्थ, आवश्यक पूजन-सामग्री आदि अलग-अलग पेज पर मुद्रित करवाए है, प्रत्येक पूजन की सामग्री का लिस्ट भी अलग से लिख दिया है, पार्श्वनाथ की स्तुतियाँ, पद्मावती स्तोत्र और अंतमें शान्तिकलश के लिए बड़ीशांति भी छाप दी है । ये किताब मैंने A-5 अर्थात् 8.75 x 5.75 की साईझ में मुद्रित करवाई है ।
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नमो नमो निम्मलदसणस्स
જિનમંદિર- કિધાશ્રથ અહિ
Gि-2-52-री
Etle A
alatkar
ही
मनिला
Folder - 30 શ્રાવકના બાર વ્રત)
साहित्य Printed कुलकिताबें, 10 भाषा-गुजराती,हिन्दी कुलपृष्ठ 570 इस तीसवे फोल्डर में हमने 10 किताब रक्खी है | वे इस प्रकार है , 1-योधडिया तथा होनी यमी समयENEL:- इस पुस्तिका में पुरे साल के 365 दिनोंमें प्रत्येक दिनों के 16 चौघडिए तथा 24 होरा के समय की गिनती करके टेबल बनाया है
2-AHEL4LEना हिनदर 6श्रया 52520:- इसमें अमदावाद के जिनालय, उपाश्रय, आयंबिलभवन, ज्ञानभण्डारादि की माहिती है।
3- नवार मंत्र 14-मोधपोथी:- जपसंख्या की नोंध के लिए छोटी डायरी बनाई है, जिसमें प्रत्येक माला का एक ऐसे 9000 खाने है |
4- यात्रि५६ १ ४NMuनी नोधपोथी- जपसंख्याकी नोंधके लिए.
5- श्रावना पारवृत तथा अन्य नियमो:- सरलता से बारहव्रत ले शके ऐसा स्पष्ट विभाजन, जयणा के लिए अलग खाने आदि से यक्त, व्रतग्रहण करनेके लिए सन्दर पस्तिका ।
6- मालिनवनयां:-तिथि, तारीख आदिके साथ नवकारसी से पुरिमड्ढ, कम्बलीकाल, पोरिसी-समय, शाम दो-घडी आदि गिनतीके साथ 1984 में निकाला गया सर्व प्रथम प्रकाशन | 27- मुनि दीपरत्नसागर की साहित्ययात्रा:- 'दीपरत्नसागर की साहित्ययात्रा' में 2013 तक हुए 491 पकाशनो का वर्णन है, वर्ष अनुसार और भाषा अनुसार दीपरत्नसागरजी की साहित्ययात्रा के बढ़ते कदम और 24 फोल्डरमें समाविष्ट 491 किताबो की पूरी सूची है |
8- मुनि दीपरत्नसागरजी की 555 साहित्य कृतियाँ_word 2015:- सन 2015 तक प्रकाशित हुए मेरे 555 प्रकाशनों का परिचय 25 फोल्डरोमें करवाया है तथा वर्ष अनुसार और भाषा अनुसार हुई मेरी साहित्य यात्रा का वर्णन भी है।
9- मुनि दीपरत्नसागरजी कि 555 साहित्य कृतियाँ_Excel_2015:- सन 2015 तक प्रकाशित हुए मेरे 555 प्रकाशनोनी की सम्पूर्ण सूची यहाँ Excel प्रोग्राममें रक्खी है |
10- दीपरत्नसागरजी की साहित्य कतियो के २५ फ़ोल्डर्स का परिचय:- मेरे 555 प्रकाशनों को मैंने जिन 25 फोल्डरोमें विभाजित किया है उन 25 फोल्डरो का यहाँ परिचय कराया है।
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Ο
કારણ કે "તે" સાધુ હતા
ના વ્યાન કરણી
મુનિ દીપરત્નસાગરજી
नमो नमो निम्मलदंसणस्स
Folder
-
31
દીપરત્નસાગરના લઘુશોધનિબંધ
कुल⇒ 5
भाषा-गुजराती कुलपृष्ठ 220
इस इकतीसवे फोल्डरमें मेरे 5 लघुशोधनिबंध गुजराती भाषामे है । वे इस प्रकार → 1- आगमना प्रभर व्याम्याताओ- २८ पृष्ठोमें लिखा हुआ ये लघु शोध निबंध है, जिसमे श्रमणकी व्याख्या, द्वादशांगीका अर्थ और उद्भव, 'आगम' शब्द का अर्थ और उस का वर्तमान स्वरुप, आगमोका व्याख्या- साहित्य और कर्ताओ का परिचय यहाँ करवाया है
2- आगमडालीन ‘श्राव- श्राविडायो'- भवन ने वन- ३६ पृष्ठोमें लिखे हुए इस लघु-शोध-निबंधमें ‘श्रावक', 1. श्रावक और धर्मश्रवण, 2. श्रावक और धर्मश्रद्धा, 3. श्रावक और तत्वजिज्ञासा, 4.श्रावक और चारित्रराग, 5. श्रावक और भगवद् विनय, 6.श्रावक और गौचरीभक्ति, 7.श्रावक और व्रत नियम आदि विषयो को दृष्टांत के साथ बताया है ते
3- (रए| } ते साधु हता- 82 पृष्ठोमें लिखा ये 'लघु व्याख्यान संग्रह' है, इसमें 25 लघु कथाए है, प्रत्येक कथामे एक ही बात केन्द्रमे है, की पूर्वमे या पूर्वावस्थामे एक बार भी साधूत्व का स्वीकार किया हो तो भी उस जीव को कभी भी पुन: चारित्रराग की उत्पत्ति से फिर मार्गप्राप्ति और श्रमणत्व सुलभ होता है ।
4- श्रुत उपासको अने साहित्य सन- 70 पृष्ठोमें लिखा हुआ ये 'लघुशोधनिबंध' है, यहाँ आगमकालीन साहित्य और आगमेत्तर विवेचन साहित्य का सर्जन और उन साहित्य के सर्जक के विषयमे विस्तृत माहिती प्रस्तुत की गई है । निर्युक्ति, चूर्ण आदि आ व्याख्या ग्रन्थ, प्राकृत और संस्कृत साहित्य-युग, विक्रम संवत १००१ से १३९९ तक अलग अलग युगोमे रचित साहत्य, रास-युग, जूनी गुजराती-युग आदि का वर्णन है |
5- आगमना -1- सिर्फ 4 पृष्ठो का शोधपत्र है, जिसमे आगम का अर्थ, द्वादशांगी उद्भव, मातृकापद, इंद्रभूति द्वारा द्वादशांगी- रचना, द्वादशांगी-अनुज्ञा, आगमो के विभाग, द्वादशांगी-विच्छेद आदि तथा एक छोटी कथा और वचनामृत समाविष्ट है | आगमो के 24 संदर्भ यहाँ साक्षिपाठ स्वरूपमे हमने लिख दिए है ।
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नमो नमो निम्मलदसणस्स
આ મુનિ જૈન ધર્મના મોબાઈલ એન્સાઈક્લોપીડિયા છે!
S
a rdanaldatest meena Saamana Island
signgingtune,
Extra Folder 'દીપરત્નસાગર વિશે લખાયેલા
माटाइल्स - 5 भाषा-गुजराती
इस Extra अथवा बत्तीसवे फोल्डरमें मेरे लिए अन्य विद्वानों द्वारा गुजराती भाषामे लिखे हुए 5 आर्टिकल्स है, जिसमे तीन आर्टिकल बड़े मेगेझीनमें और दो आर्टिकल्स अतिप्रसिद्ध गजराती वर्तमानपत्रमें प्रगट हए थे | वे इस प्रकार है
1- જૈનધર્મના મોબાઈલ એન્સાયક્લોપેડિયા-મુનિ દીપરત્નસાગર
तारीख 15/03/2010 "चित्रलेखा' मेगेझीनमें कवर स्टोरी के रुपमे ये आर्टिकल प्रगट हुआ | श्री पार्थिव वोराने मुनि दीपरत्नसागर का साडे तीन घंटे का इन्टरव्यू ले कर ये आर्टिकल तैयार किया था, दो फोटोग्राफ्स के साथ तीन पेजमें छपा था -
2. પ્રાચીન જૈનમુનિઓની ઉજળી પરંપરાનું તેજસ્વી અનુસંધાન દીપરત્નસાગર महा२।०४'- 'प्रबुद्धजीवन' नामक गुजराती मेगेझीनमें ये आर्टिकल ऑक्टोबर 2009 में प्रसिद्ध हुआ | सौराष्ट्र यूनिवर्सिटी के गुजराती के प्रोफ़ेसर डॉ. बिपिन आशरने पांच पेजमें तैयार किया, जिसमे मुनि श्री के पूर्वाश्रम अभ्याससे लेकर, साधू होने के बाद किये हुए साहित्य सर्जन-लेखन-अनुवाद आदि विगत एवं उन के मुनि-जीवन की कहानी शब्दांकित की है |
3- एy छतi Lथु' भुमि परत्नसा२- 'गुजरातसमाचार' नामक अखबारमें मुनीन्द्र उपनाम से डॉ.कुमारपाल देसाईने ये आर्टिकल लिखा | दीपरत्नसागर का पूर्वाश्रम, वैराग्यमय कौटुम्बिक विरासत, ज्ञानकार्यो, अनेक जाप इत्यादि वैविधसज्ज लेख है |
4- हैन ज्ञानसा॥२ ना भो २२ 'मुनिहारत्नसा॥२'- 'सागरनु झवेरात' नाम के मेगझीनमें 'जैन ज्ञान सागरना मोघेरा रत्न' नाम से ये आर्टिकल पूज्य आचार्य श्री हर्षसागरसूरिजीम.सा.ने लिखा, जिसमे दीपरत्नसागर की साहित्य-सर्जन-यात्रा का वर्णन है
5- विश्वमा सौ प्रथम न मानी गुराती अनुवाद- "दिव्यभास्कर' नामक अखबारमें तारीख 5/8/2009 ये आर्टिकल प्रसिद्ध हुआ | गुजराती भाषा और जैन शासन के लिए सब से बड़ी गौरवप्रद घटना के रूपमें ये आर्टिकल लिखा गया था |
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क्रम
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42
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42
मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -1 | साहित्य-कृति का नाम
कुलपृष्ठ
भाषा 001 आगम ०१ आयारो अंगसुत्त ०१ मूलं
130
प्राकृत 002 आगम ०२ सूयगडो अंगसुत्त ०२ मूलं
122
प्राकृत 003 आगम ०३ ठाणं अंगसुत्त ०३ मूलं
170
प्राकृत 004 | आगम ०४ समवाओ अंगसुत्त ०४ मूलं
प्राकृत 005 आगम ०५ विवाहपन्नत्ती अंगसुत्त ०५ मूलं ।
514
प्राकृत 006 आगम ०६ नायाधम्मकहाओ अंगसुत्त ०६ मूलं
182
प्राकृत 007 आगम ०७ उवासगदसाओ अंगसुत्त ०७ मूलं
प्राकृत 008 आगम ०८ अंतगडदसाओ अंगसुत्त ०८ मूलं
प्राकृत 009 आगम ०९ अनुत्तरववाइदसाओ अंगसुत्त ०९ मूलं
प्राकृत 010 आगम १० पण्हावगराणं अंगसुत्त १० मूलं
प्राकृत 011 आगम ११ विवागसूयं अंगसुत्त ११ मूलं
50 प्राकृत 012 आगम १२ उववाइयं उवांगसुत्त ०१ मूलं
50
प्राकृत 013 आगम १३ राइपसेणीयं उवांग
74
प्राकृत 014 आगम १४ जीवाजीवाभिगम उवांगसुत्त ०३ मूलं
162
प्राकृत 015 आगम १५ पन्नवण्णा उवांग
210
प्राकृत 016 आगम १६ सूरपन्नत्ती उवांगसुत्त ०५ मूलं
74
प्राकृत 017 आगम १७ चंदपन्नत्ती उवांगसुत्त ०६ मूलं
74 प्राकृत 018 आगम १८ जम्बूद्वीपपन्नत्ती उवांगसुत्त ०७ मूलं
130
प्राकृत 019 आगम १९ निरयावलीयानम उवांगसुत्त ०८ मूलं
22
प्राकृत 020 आगम २० कप्पवडिंसानम
14
प्राकृत 021 आगम २१ पूप्फियाम् उवांगसुत्त १० मूलं
22
प्राकृत 022 आगम २२ पूप्फचूलियाम् उवांगसुत्त ११ मूलं
प्राकृत 023 आगम २३ वण्हिदसाणं उवांगस मलं
14
प्राकृत 024 आगम २४ चउसरणं पइण्णसत्त
प्राकृत 025 आगम २५ आउरपच्चक्खाण पइण्णसुत्त ०२ मूलं
प्राकृत 026 आगम २६ महापच्चक्खाण पइण्णसुत्त ०३ मूलं
प्राकृत 027 आगम २७ भत्तपरिन्न पइण्णसत्त ०४ मुलं
प्राकृत 028 आगम २८ तंदुलवेयालीयम् पड़ण्णसुत्त ०५ मूलं
प्राकृत 029 आगम २९ संथारग पइण्णसुत्त ०६ मूलं
प्राकृत 030 आगम ३०ए गच्छायारपइण्णसुत्त ०७ए मूलं ।
प्राकृत 031 आगम ३०बी चंदवेज्झयम्पइण्णसुत्त ०७बी मूलं
प्राकृत 032 आगम ३१ गिविज्जा पइण्णसत्त
18
19 मूल
14
14
18
22
22 26
18
20 22
प्राकृत
-
-
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30
38
52
मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -2 क्रम साहित्य-कृति का नाम
| कुलपृष्ठ भाषा 033 आगम ३२ देविंदत्थओ पइण्णसुत्त ०९ मूलं
प्राकृत 034 आगम ३३ए मरणसमाहि पइण्णसत्त मुलं
51
प्राकृत 035 आगम ३३बी विरत्थव चउसरणं पड़ण्णसुत्त १०बी मूलं 15 प्राकृत 036 आगम ३४ निसिह छेयसुत्त ०१ मूलं.
90
प्राकृत 037 आगम ३५ बृहत्कप्पो छेयसुत्त ०२ मूलं
26
प्राकृत 038 आगम ३६ ववहार छेयसुत्त ०३ मूलं
प्राकृत 039 आगम ३७ दसासूयक्खंध छेयसुत्त ०४ मुलं
34
प्राकृत 040 आगम ३८ए जीयकप्पो छेयसुत्त ०५ए मूलं
21
प्राकृत 041 आगम ३८बी पंचकप्पभाष छेयसत्त ०५बी मलं
164
प्राकृत 042 आगम ३९ महानिसिह छेयसुत्त ०६ मूलं
154
प्राकृत 043 आगम ४० आवस्सयं मूलसुत्त ०१ मूलं
22
प्राकृत 044 आगम ४१ए पिंडनिज्जुत्ती मूलसुत्त ०२ए मूलं
78
प्राकृत 045 आगम ४१बी ओहनिज्जुत्ती मूलसुत्त ०२बी मूलं
प्राकृत 046 आगम ४२ दसवेयालीयं मूलसुत्त ०३ मूलं
46
प्राकृत 047 आगम ४३ उत्तराज्झयणम् मूलसुत्त ०४ मूलं
114
प्राकृत 048 आगम ४४ नंदिसूयं चूलिकासुत्त ०१ मूलं
34
प्राकृत 049 आगम ४५ अनुओगदारं चूलिकासुत्त ०२ मूलं
74
प्राकृत 050 आगम ०१ आयारो पढमं अंगसुत्तं मूलं
103
प्राकृत 051 आगम ०२ सूयगडो बीइअं अंगसत्तं मला
प्राकृत 052 आगम ०३ ठाणं तइअं अंग
141
प्राकृत 053 आगम ०४ समवाओ चउत्थं
81
प्राकृत 054 आगम ०५ भगवई पंचमं अंगसत्तं मूलं
565
प्राकृत 055 आगम ०६ नायाधम्मकहाओ षष
159
प्राकृत 056 आगम ०७ उवासगदसाओ सत्तम अंगसत्तं मूलं
34
प्राकृत 057 आगम ०८ अंतगडद्दसाओ अहम अंगसुत्तं मूलं
प्राकृत 058 आगम ०९ अनुत्तरोववाइदसाओ नवम अंगसुत्तं मूलं
10
प्राकृत 059 आगम १० पण्हावागरणं दसमं अंगसुत्तं मूलं
35
प्राकृत 060 आगम ११ विवागसूयं एक्कारसमं अंगसुत्तं मूलं
42
प्राकृत 061 आगम १२ उववाइयं पढम उवंगसुत्तं मूलं
38
प्राकृत 062 आगम १३ रायपसेणियं बिडअं
62
प्राकृत 063 आगम १४ जीवाजीवाभिगम तइयं
152
प्राकृत 064 आगम १५ पन्नवणा चउत्थं उवंगसत्तं मूलं
202
प्राकृत
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मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -3 क्रम साहित्य-कृति का नाम
कुलपृष्ठ
भाषा 065 आगम १६ सूरपन्नत्ति पंचमं उवंगसुत्तं मूलं
प्राकृत 066 | आगम १७ चंदपन्नत्ति छठें उवंगसुत्तं मूलं
प्राकृत 067 आगम १८ जंबुदीवपन्नत्ति सत्तम उवंगसुत्तं मूलं
122
प्राकृत 068 आगम १९ निरयावलियाणं अहम उवंगसुत्तं मूलं
15
प्राकृत 069 आगम २० कप्पवडिंसियाणं नवम
प्राकृत 070 आगम २१ पुप्फियाणं दसमं उवंगसुत्तं मूलं
15
प्राकृत 071/ आगम २२ पूप्फचूलियाणं एक्कारसमं उवंगसुत्तं मूलं
प्राकृत 072 आगम २३ वण्हिदसाणं बारसमं उवंगसुत्तं मूलं
प्राकृत 073 आगम २४ चउसरणं पढमं पइण्णयं मूलं
प्राकृत 074 आगम २५ आउरपच्चक्खाणं बिइयं पइण्णयं मलं
7
प्राकृत 075 आगम २६ महापच्चक्खाणं तइयं पइण्णयं मलं
प्राकृत 076 | आगम २७ भत्तपरिन्ना चउत्थं पइण्णयं मलं
___13
प्राकृत 077 आगम २८ तंदुलवेयालीयम् पंचमं पइण्णयं मूलं
17
प्राकृत 078 आगम २९ संथारगं छटुं पइण्णयं मूलं
10
प्राकृत 079 आगम ३० गच्छायारो सत्तमं पड़ण्णय मूलं
प्राकृत 080 आगम ३१ गणिविज्जा अट्ठमं पइण्णयं मूलं
प्राकृत 081 आगम ३२ देविंदत्थओ नवमं पइण्णयं मलं
प्राकृत 082 आगम ३३ मरणसमाहिं दसमं पइण्णयं मूलं
प्राकृत 083 आगम ३४ निसीहं पढमं
85
प्राकृत 084 आगम ३५ बृहत्कप्पो बिइयं छेयसुत्तं मूलं
19
प्राकृत 085 आगम ३६ ववहारो तइयं छेयसुत्तं मूलं
प्राकृत 086 आगम ३७ दसासुयक्खधं चउत्थं छेयसुत्तं मूलं
प्राकृत 087 आगम ३८ जीयकप्पो पंचमं छेयसुत्तं मूलं
प्राकृत 088 आगम ३९ महानिसीहं छठें छेयसुत्तं मूलं
153
प्राकृत 089 आगम ४० आवस्सयं पढममं मूलसूत्तं मूलं
12
प्राकृत 090 आगम ४१ पिंडनिज्जुत्ति बीइअं मूलसूत्तं मूलं
प्राकृत 091 आगम ४२ दसवेयालियं तइअंमलस
39
प्राकृत 092 आगम ४३ उत्तरज्झयणं चउत्थं मूलसूत्तं मूलं
112
प्राकृत 093 आगम ४४ नंदिसूयं पढमा चूलिया मूलं
26
प्राकृत 094 आगम ४५ अनुओगदाराइं बिइया चूलिया मूलं
68
प्राकृत 095 मही५ ०१ मायारी पुराती अनुवाद
122
ગુજરાતી 096 આગમદીપ ૦૨ સુયગડો ગુજરાતી અનુવાદ
116 ગુજરાતી
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ગુજરાતી
મુનિ વીપરત્નસાગર શી 585 સાહિત્ય-તૃતિય ૌ મૂવિ ( પૃષ્ઠ- 1.03,130) -4 क्रम साहित्य-कृति का नाम
| कुलपृष्ठ भाषा 097 આગમદીપ ૦૩ ઠાણે ગુજરાતી અનુવાદ
171
ગુજરાતી 098 આગમદીપ ૦૪ સમવાઓ ગુજરાતી અનુવાદ
92 ગુજરાતી [099 આગમદીપ ૦૫ ભગવઈ ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 100 આગમદીપ ૦૬ નાયધમકહાઓ ગુજરાતી અનુવાદ
181. ગુજરાતી 101 આગમદીપ ૦૭ ઉવાસગદસાઓ ગુજરાતી અનુવાદ 102 આગમદીપ ૦૮ અંતગડદસાઓ ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 103 આગમદીપ ૦૯ અનુત્તરવવાઈદસાઓ ગુજરાતી અનુવાદી
ગુજરાતી 104 આગમદીપ ૧૦ પપ્પાવગરાણમ ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 105 આગમદીપ ૧૧ વિવાગસૂયમ ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 106 આગમદીપ ૧૨ ઉવવાઇયમ ગુજરાતી અનુવાદ
52
ગુજરાતી 107 આગમદીપ ૧૩ રાઈપસેટીયમ ગુજરાતી અનુવાદ
64
ગુજરાતી 108 આગમદીપ ૧૪ જીવાજીવાભિગમ ગુજરાતી અનુવાદ
187
ગુજરાતી 109 આગમદીપ ૧૫ પન્નવણા ગુજરાતી અનુવાદ
244 ગુજરાતી 110 આગમદીપ ૧૬ સૂરપન્નત્તિ ગુજરાતી અનુવાદ
102 ગુજરાતી 111 આગમદીપ ૧૭ ચંદપન્નત્તિ ગુજરાતી અનુવાદ
12 ગુજરાતી | 112 આગમદીપ ૧૮ જમ્બુદ્વીપપન્નત્તિ ગુજરાતી અનુવાદ
178. ગુજરાતી 113 આગમદીપ ૧૯ નિરયાવલીયાણું ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 114 આગમદીપ ૨૦ કપૂવડિંસિયાણું ગુજરાતી અનુવાદ
14 |
ગુજરાતી 115 આગમદીપ ૨૧ પુષ્ક્રિયાણમ ગુજરાતી અનુવાદ
27. ગુજરાતી 116 આગમદીપ ૨૨ પૃષ્ફયૂલિયાણું ગુજરાતી અનુવાદ
14 | ગુજરાતી 117 આગમદીપ ૨૩ વચ્છેિદસાણં ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 118 આગમદીપ ૨૪ ચઉસરણે ગુજરાતી અનુવાદ
16. 119 આગમદીપ ૨૫ આઉરપચ્ચખાણે ગુજરાતી અનુવાદ
17. ગુજરાતી 120 આગમદીપ ૨૬ મહાપચ્ચખ્ખાણું ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 121 આગમદીપ ૨૭ ભરપરિણા ગુજરાતી અનુવાદ
22
ગુજરાતી 122 આગમદીપ ૨૮ તંદુવેયાલીયં ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 123 આગમદીપ ૨૯ સંથારગ ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 124 આગમદીપ ૩૦ એ ગચ્છાયારો ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 125 આગમદીપ ૩૦ બી ચંદાવેન્ઝયું ગુજરાતી અનુવાદ
23 ગુજરાતી 126 આગમદીપ ૩૧ ગણિવિજ્જા ગુજરાતી અનુવાદ
15 | ગુજરાતી 127 આગમદીપ ૩૨ દેવીંદWઓ ગુજરાતી અનુવાદ કરી 24 ગુજરાતી 128 આગમદીપ ૩૩ બી વીરત્થઓ ગુજરાતી અનુવાદ
14 | ગુજરાતી
27.
ગુજરાતી
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मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -5 क्रम साहित्य-कृति का नाम
| कुलपृष्ठ भाषा 129 मही4 3४ निसाहिं राती अनुवाद 130 આગમદીપ ૩૫ બૃહત્કપ્પો ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી [131 આગમદીપ ૩૭ દસાસૂયખંધું ગુજરાતી અનુવાદ
41 ગુજરાતી | 132 આગમદીપ ૩૮ એ જિયકપ્પો ગુજરાતી અનુવાદ
21
ગુજરાતી 133 આગમદીપ ૩૯ મહાનિસીહીં ગુજરાતી અનુવાદ
181 ગુજરાતી 134 मागमहीप ४० मावस्सयं सती अनुवाद
25
ગુજરાતી 135 આગમદીપ ૪૧ એ ઓહનિન્જરિ ગુજરાતી અનુવાદ
63 ગુજરાતી 136 આગમદીપ ૪૧ બી પિડનિન્જરિ ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી | 137 मारामही५ ४२ ६सयालियं गुती अनुवाद
50 ગુજરાતી 138 मही५४3 6त्तरमय ४२राती मनुवाह
103
ગુજરાતી 139 આગમદીપ ૪૪ નંદીસૂક્ત ગુજરાતી અનુવાદ
38
ગુજરાતી 140 આગમદીપ ૪૫ અનુગદાર ગુજરાતી અનુવાદ
103 ગુજરાતી 141 આગમદીપ ૩૭ દસાસુયખંધું ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 142 आगम सूत्र ०१ आचारांग हिन्दी अनुवाद
150
हिन्दी 143 आगम सूत्र ०२ सूत्रकृतांग हिन्दी अनुवाद
122 हिन्दी 144 आगम सूत्र ०३ स्थानांग हिन्दी अनुवाद
179
हिन्दी 145 आगम सूत्र ०४ समवायांग हिन्दी अनुवाद
110
हिन्दी 146 आगम सूत्र ०५ भगवई हिन्दी अनुवाद
621
हिन्दी 147 आगम सूत्र ०६ ज्ञाताधर्मकथा हिन्दी अनुवाद
205
हिन्दी 148 आगम सत्र ०७ उपासकदशांग हिन्दी अनवाद
45
हिन्दी 149 आगम सूत्र ०८ अन्तकृद्दशांग हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 150 आगम सूत्र ०९ अनुत्तरोपपातिकदशांग हिन्दी अनुवाद
23 151 आगम सूत्र १० प्रश्नव्याकरण हिन्दी अनुवाद
71
हिन्दी 152 आगम सूत्र ११ विपाकश्रुत हिन्दी अनुवाद
64
हिन्दी 153 आगम सत्र १२ औपपातिक हिन्दी अनवाद
हिन्दी 154 आगम सूत्र १३ राजप्रश्नीय हिन्दी अनवाद
82
हिन्दी 155 आगम सूत्र १४ जीवाजीवाभिगम हिन्दी अनुवाद
167 हिन्दी आगम सूत्र १५ प्रज्ञापना हिन्दी अनुवाद
221 हिन्दी 157 आगम सूत्र १६ सूर्यप्रज्ञप्ति हिन्दी अनुवाद
62 हिन्दी 158 आगम सूत्र १७ चन्द्रप्रज्ञप्ति हिन्दी अनुवाद
64
हिन्दी 159 आगम सूत्र १८ जम्बूदवीपप्रज्ञप्ति हिन्दी अनुवाद
131
हिन्दी 160 आगम सूत्र १९ निरयावलिका हिन्दी अनुवाद
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मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -6 क्रम साहित्य-कृति का नाम
| कुलपृष्ठ भाषा 161 आगम सूत्र २० कल्पवतंसिका हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 162 आगम सूत्र २१ पूष्पिका हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 163 आगम सूत्र २२ पूष्पचूलिका हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 164 आगम सूत्र २३ वण्हीदशा हिन्दी अनुवाद
21
हिन्दी 165 आगम सूत्र २४ चतुशरण हिन्दी अनुवाद
21
हिन्दी 166 आगम सूत्र २५ आतुरप्रत्याख्यान हिन्दी अनुवाद
22
हिन्दी 167 आगम सूत्र २६ महाप्रत्याख्यान हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 168 आगम सूत्र २७ भक्तपरिज्ञा हिन्दी अनुवाद
28
हिन्दी 169 आगम सूत्र २८ तन्दुलवैचारिक हिन्दी अनुवाद
हिन्दी | 170 आगम सूत्र २९ संस्तारक हिन्दी अनुवाद
26
हिन्दी 171 आगम सुत्र ३० ए गच्छाचार हिन्दी अनवाद
26
हिन्दी 172 आगम सूत्र ३० बी चन्द्रवेदयक हिन्दी अनुवाद
28
हिन्दी 173 आगम सूत्र ३१ गणिविद्या हिन्दी अनुवाद
20
हिन्दी 174 आगम सूत्र ३२ देवेन्द्रस्तव हिन्दी अनुवाद
30
हिन्दी 175 आगम सूत्र ३३ वीरस्तव हिन्दी अनुवाद
19 176 आगम सूत्र ३४ निशीथ सूत्र हिन्दी अनुवाद
हिन्दी आगम सूत्र ३५ बृहत् कल्प हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 178 आगम सूत्र ३६ व्यवहार हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 179 आगम सूत्र ३७ दशाश्रुतस्कन्ध हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 180 आगम सूत्र ३८ जीतकल्प हिन्दी अनुवाद
25
हिन्दी 181 आगम सूत्र ३९ महानिशीथ हिन्दी अनुवाद ।
182
हिन्दी | 182 आगम सूत्र ४० आवश्यक हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 183 आगम सूत्र ४१ ए ओघनियुक्ति हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 184 आगम सूत्र ४१ बी पिण्डनिर्यक्ति हिन्दी अनुवाद
77 185 आगम सूत्र ४२ दशवैकालिक हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 186 आगम सूत्र ४३ उत्तराध्ययन हिन्दी अनुवाद
113
हिन्दी 187 आगम सूत्र ४४ नन्दि हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 188 आगम सूत्र ४५ अनुयोगद्वार हिन्दी अनुवाद
हिन्दी 189 Agam 08 Ang 08 Antkruddasha Sutra English Translato
English 190 Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatikdasha Sutra English Tr. 22
English 191 Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra English Translation
English 192 Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra English Translat. 25 English
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मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -7 क्रम साहित्य-कृति का नाम
कुलपृष्ठ भाषा 193 Agam 20 Upang 09 Kalpvatansika Sutra English Tran,
English 194 Agam 21 Upang 10 Pushpika Sutra English Translation 28
English 195 Agam 22 Upang 11 Pushpchulika Sutra English Tran .
English 196 Agam 23 Upang 12 Vrushnidasa Sutra English Tran. 10
English 197 Agam 30 Prakirnak 01 Gachchhachar Sutra English Tro |
English | 198 Agam 33 Prakirnak 10 Veerstava Sutra English Trans . 8
English 199 Agam 44 Chulika 01 Nandi Sutra English Translation 153
English | 200 आगम सूत्र सटीक ०१ आचार अंगसूत्र ०१
468 संस्कृत, प्राकृत 201 आगम सूत्र सटीक ०२ सूत्रकृत अंगसूत्र ०२
484 संस्कृत, प्राकृत 202 आगम सूत्र सटीक ०३ स्थान अंगसूत्र ०३
596 संस्कृत, प्राकृत 203 आगम सूत्र सटीक ०४ समवाय अंगसूत्र ०४
204 संस्कृत, प्राकृत 204 आगम सूत्र सटीक ०५ भगवती अंगसूत्र ०५
1096 संस्कृत, प्राकृत 205 आगम सूत्र सटीक ०६ ज्ञाताधर्मकथा अंगसूत्र ०६
संस्कृत, प्राकृत 206 आगम सूत्र सटीक ०७ उपासकदशा अंगसूत्र ०७
संस्कृत, प्राकृत 207 आगम सूत्र सटीक ०८ अन्तकृद्दशा अंगसूत्र ०८
संस्कृत, प्राकृत 208 आगम सूत्र सटीक ०९ अनुत्तरोपपातिकदशा अंगसूत्र ०९
संस्कृत, प्राकृत 209 आगम सुत्र सटीक १० प्रश्नव्याकरण अंगसत्र १०
192 संस्कत. प्राकत 210 आगम सूत्र सटीक ११ विपाकश्रुत अंगसूत्र ११ ।
संस्कृत, प्राकृत 211 आगम सूत्र सटीक १२ औपपातिक उपांगसूत्र ०१
150 संस्कृत, प्राकृत 212 आगम सूत्र सटीक १३ राजप्रश्निय उपांगसूत्र ०२
184 संस्कृत, प्राकृत 213 आगम सूत्र सटीक १४ जीवाजीवाभिगम उपांगसत्र ०३
532 संस्कृत, प्राकृत 214 आगम सूत्र सटीक १५ प्रज्ञापना उपांगसूत्र ०४
664 संस्कृत, प्राकृत 215 आगम सूत्र सटीक १६ सर्यप्रज्ञप्ति उपांगसत्र ०५
संस्कृत, प्राकृत 216 आगम सूत्र सटीक १७ चन्द्रप्रज्ञप्ति उपांगसूत्र ०६
28 संस्कृत, प्राकृत 217 आगम सूत्र सटीक १८ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति उपांगसूत्र ०७
564 संस्कृत, प्राकृत 218 आगम सूत्र सटीक १९ निरयावलिका उपांगसूत्र ०८
46 संस्कृत, प्राकृत 219 आगम सूत्र सटीक २० कल्पवतंसिका उपांगसूत्र ०९
संस्कृत, प्राकृत | 220 आगम सूत्र सटीक २१ पुष्पिका उपांगसूत्र १०
44 संस्कृत, प्राकृत 221 आगम सूत्र सटीक २२ पुष्पचूलिका उपांगसूत्र ११
संस्कृत, प्राकृत | 222 आगम सूत्र सटीक २३ वृष्णिदशा उपांगसूत्र १२
29 संस्कृत, प्राकृत 223 आगम सूत्र सटीक २४ चतुशरण पइण्णसूत्र ०१
संस्कृत, प्राकृत 224 आगम सूत्र सटीक २५ आतुरप्रत्याख्यान पइण्णसूत्र ०२ । 38 संस्कृत, प्राकृत
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मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -8 साहित्य-कृति का नाम
कुलपृष्ठ भाषा 225 आगम सूत्र सटीक २६ महाप्रत्याख्यान पइण्णसूत्र ०३
संस्कृत, प्राकृत 226 आगम सूत्र सटीक २७ भक्तपरिज्ञा पइण्णसूत्र ०४
45 संस्कृत, प्राकृत 227 आगम सूत्र सटीक २८ तंदलवैचारिक पइण्णसूत्र ०५
88 संस्कृत, प्राकृत 228 आगम सूत्र सटीक २९ संस्तारक पइण्णसूत्र ०६
38 संस्कृत, प्राकृत 229 आगम सूत्र सटीक ३० गच्छाचार पइण्णसूत्र ०७
संस्कृत, प्राकृत 230 आगम सूत्र सटीक ३१ गणिविद्या पइण्णसूत्र ०८
35 संस्कृत, प्राकृत 231 आगम सूत्र सटीक ३२ देवेन्द्रस्तव पइण्णसूत्र ०९
60 संस्कृत, प्राकृत 232 आगम सूत्र सटीक ३३ मरणसमाधि पइण्णसूत्र १०
103 संस्कृत, प्राकृत 233 आगम सूत्र सटीक ३४ निशीथ छेदसूत्र ०१ -
1372 संस्कृत, प्राकृत | 234 आगम सूत्र सटीक ३५ बृहतकल्प छेदसूत्र ०२
1500 सस्कृत, प्राकृत 235 आगम सूत्र सटीक ३६ व्यवहार छेदसूत्र ०३
1046 संस्कृत, प्राकृत 236 आगम सूत्र सटीक ३७ दशाश्रुतस्कन्ध छेदसूत्र ०४
110
संस्कृत, प्राकृत 237 आगम सूत्र सटीक ३८ जितकल्प छेदसूत्र ०५
56 संस्कृत, प्राकृत 238 आगम सूत्र सटीक ३९ महानिशीथ छेदसत्र ०६
संस्कृत, प्राकृत 239 आगम सूत्र सटीक ४० आवश्यक मूलसूत्र ०१
808 संस्कृत, प्राकृत 240 आगम सूत्र सटीक ४१ए ओघनियुक्ति मूलसूत्र 2ए
256 संस्कृत, प्राकृत 241 आगम सूत्र सटीक ४१बी पिण्डनियुक्ति मूलसूत्र 2बी
202 संस्कृत, प्राकृत 242 आगम सत्र सटीक ४२ दशवैकालिक मलसत्र ०३
284 संस्कृत, प्राकृत 243 आगम सूत्र सटीक ४३ उत्तराध्ययन मलसूत्र ०४
संस्कृत, प्राकृत 244 आगम सूत्र सटीक ४४ नन्दि चूलिकासूत्र ०१
265 संस्कृत, प्राकृत 245 आगम सूत्र सटीक ४५ अनुयोगद्वार चूलिकासूत्र ०२
257 संस्कृत, प्राकृत 246 | આગમ ૦૧ આચારાંગ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
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ગુજરાતી 247 આગમ ૦૨ સુત્રકૃતાંગ સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
484 ગુજરાતી 248 माराम 03 स्थानां सूत्र सटी गुती अनुवाद
676 ગુજરાતી 249 मागम ०४ समवायांग सूत्र सटी गुती सनुवाद
242 ગુજરાતી 250 | આગમ ૦૫ ભગવતી સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
1138 ગુજરાતી | આગમ ૦૬ જ્ઞાતાધર્મકથાગ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 252 આગમ ૦૭ ઉપાસકદશાંગ સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
72 ગુજરાતી 253 આગમ ૦૮ અંતકૃદ્દશાંગ સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ 254 माराम 06 अनुत्तरीत सूत्र सटी गुती अनुवाद 20
ગુજરાતી 255 આગમ ૧૦ પ્રશ્નવ્યાકરણાંગ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ થી 162 ગુજરાતી 256 | આગમ ૧૧ વિપાક સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
92
ગુજરાતી
704
251 साल
290
38
ગુજરાતી
000000000000000000000000000000000000000000000
5000000000000000000000000
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36
52.
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44
| મુનિ કીપરત્નસાગર # 585 સાહિત્ય-તિ ફ્રી સૂવિ ( પૃષ્ઠ- 1.03,130) -9 क्रम साहित्य-कृति का नाम
૬ પૃષ્ઠ |
भाषा (257 આગમ ૧૨ ઔપપાતિક સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ , 128 | ગુજરાતી 258 આગમ ૧૩ રાઇપસેણીય સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
166
ગુજરાતી 259 આગમ ૧૪ જીવાજીવાભિગમ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ 486
ગુજરાતી 260 આગમ ૧૫ પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
660
ગુજરાતી 261 આગમ ૧૬ સૂર્યપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
446 ગુજરાતી 262 આગમ ૧૭ ચંદ્રપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 263 આગમ ૧૮ જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ ' 628 ગુજરાતી 264 | આગમ ૧૯ નિરયાવલિકા સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 265 આગમ ૨૦ કલ્પવતંસિકા સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
36 |
ગુજરાતી 266 આગમ ૨૧ પુષ્પિકા સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
50 || ગુજરાતી 267 આગમ ૨૨ પુષ્પચૂલિકા સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 268 | આગમ ૨૩ વૃષ્ણિદશા સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
38 ગુજરાતી 269 આગમ ૨૪ ચતુશરણ સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
40 ગુજરાતી 270 આગમ ૨૫ આતુરપ્રત્યાખ્યાન આચારાંગ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી
ગુજરાતી 271 આગમ ૨૬ મહાપ્રત્યાખ્યાન સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 272 આગમ ૨૭ ભક્તપરિજ્ઞા સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
40 | ગુજરાતી 273 આગમ ૨૮ તંદુલવૈચારિક સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 274 | આગમ ૨૯ સંસ્તારક સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
48 |
ગુજરાતી 275 આગમ ૩૦ એ ગચ્છાચાર સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 276 | આગમ ૩૦ બી ચંદ્રવેધ્યક સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
48 || ગુજરાતી 277 આગમ ૩૧ ગણિવિદ્યા સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
" 40 ગુજરાતી 278 | આગમ ૩૨ દેવેન્દ્રસ્તવ સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
54 |
ગુજરાતી 279 આગમ 33 બી વીરસ્તવ સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 280 આગમ ૩૪ નિશીથ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
87 | ગુજરાતી 281 આગમ ૩૫ બૃહત્ કલ્પ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ | 27 ગુજરાતી 282 આગમ ૩૬ વ્યવહાર સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 283 આગમ ૩૭ દશાશ્રુતસ્કન્ધ સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
| ગુજરાતી 284 | આગમ ૩૮ એ જિતકલ્પ સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
ગુજરાતી 285 આગમ ૩૯ મહાનિશીથ સુત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
210 ગુજરાતી | 286 આગમ ૪૦ આવશયક મૂલ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
932 ગુજરાતી 287 આગમ ૪૧ એ ઓઘનિર્યુક્તિ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ 76 ગુજરાતી (288 આગમ ૪૧ બી પિણ્ડનિર્યુક્તિ સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ 184 ગુજરાતી
40
|
84
14
.
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|
68.
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मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -10
क्रम
साहित्य-कृति का नाम
289 આગમ ૪૨ દશવૈકાલિક સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
290 આગમ ૪૩ ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ 291 આગમ ૪૪ નંદી સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ
292 આગમ ૪૫ અનુયોગદ્વાર સૂત્ર સટીક ગુજરાતી અનુવાદ 293 કલ્પ સૂત્ર મૂલ ગુજરાતી અનુવાદ
294 आगम मंजूषा 01 अंगसुत्तम मूल 01 आयारो 295 आगम मंजूषा 02 अंगसुत्तम मूल 02 सूयगडो 296 | आगम मंजूषा 03 अंगसुत्तम मूल 03 ठाणं 297 आगम मंजूषा 04 अंगसुत्तम मूल 04 समवाओ 298 मंजूषा 05 अंगसुत्तम मूल 05 भगवई 299 आगम मंजूषा 06 अंगसुत्तम मूल 06 नाम 300 आम मंजूषा 07 अंगसुत्तम मूल 07 उवासगादाओ 301 आगम मंजूषा 08 अंगसुत्तम मूल 08 अंतगडदसाओ 302 | आगम मंजूषा 09 अंगसुत्तम मूल 09 अनुत्तरोववाइयदसाओ 303 आगम मंजूषा 10 अंगसुत्तम मूल 10 पहावरणं 304 | आगम मंजूषा 11 अंगसुत्तम मूल 11 विवागसूर्य 305 आगम मंजूषा 12 उवांगसुत्तम मूल 01 उववाइअं 306 आगम मंजूषा 13 उवांगसुत्तम मूल 02 रायप्पसेणियं 307 आगम मंजूषा 14 उवांगसुत्तम मूल 03 जीवाजीवाभिगमं 308 | आगम मंजूषा 15 उवांगसुत्तम मूल 04 पन्नवणा 309 आगम मंजूषा 16 उवांगसुत्तम मूल 05 सूरपन्नत्ति 310 आगम मंजूषा 17 उवांगसुत्तम मूल 06 चंद 311 आगम मंजूषा 18 उवांगसुत्तम मूल 07 जम्बुद्दीन 312 आम मंजूषा 19 उवांगसुत्तम मूल 08 निरयावलियाणं 313 आगम मंजूषा 20 उवांगसुत्तम मूल 09 कप्पवडिंसिया 314 आगम मंजूषा 21 उवांगसुत्तम मूल 10 पुप्फियाणं 315 आगम मंजूषा 22 उवांगगसुत्तम मूल 11 पुप्फलिया 316 | आगम मंजूषा 23 उवांगसुत्तम मूल 12 वहिदा 317 आगम मंजूषा 24 पइन्नगसुत्तम मूल 01 चउसरणं 318 मंजूषा 25 पइन्नगसुत्तम मूल 02 आउरपच्चक्खाणं 319 आगम मंजूषा 26 पइन्नगसुत्तम मूल 03 महापच्चक्खाणं 320 आगम मंजूषा 27 पइन्नगसुत्तम मूल 04 भत्तपरिणा
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कुलपृष्ठ
240
680
भाषा
ગુજરાતી
ગુજરાતી
224 ગુજરાતી
ગુજરાતી
272
208
38
39
62
30
248
85
19
15
6
22
21
19
33
107
38
26
60
9
3
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4
5
4
4
6
6
प्राकृ
प्राकृत
प्राकृ
प्राकृत
प्राकृ
प्राकृ
प्राकृ
कृ
प्राकृत
प्राकृत
प्राकृत
कृ
प्राकृत
प्राकृ
प्राकृ
प्राकृ
प्राकृत
कृ
प्राकृत
प्राकृत
प्राकृत
कृ
प्राकृत
प्राकृत
प्राकृ
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कुलपृष्ठ
11
14
मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -11 क्रम साहित्य-कृति का नाम
भाषा 321 आगम मंजूषा 28 पइन्नगसुत्तम मुल 05 तंदलवेयालियं
10 प्राकृत 322 आगम मंजूषा 29 पइन्नगसुत्तम मूल 06 संस्तारकं
प्राकृत 323 आगम मंजूषा 30 पइन्नगसुत्तम मूल 07 गच्छायारो
प्राकृत 324 आगम मंजूषा 31 पइन्नगसूत्तम मल 08 गणिविज्जा
प्राकृत 325 आगम मंजूषा 32 पइन्नगसुत्तम मूल 09 देविंदत्थओ
प्राकृत 326 आगम मंजूषा 33 पइन्नगसुत्तम मूल 10 मरणसमाहि
16
प्राकृत 327 आगम मंजूषा 34 छेयसुत्तम मूल 01 निसीहं
15
प्राकृत 328 आगम मंजूषा 35 छेयसुत्तम मूल 02 बृहत्कप्पो
प्राकृत 329 आगम मंजूषा 36 छेयसुत्तम मूल 03 ववहारो
14
प्राकृत 330 आगम मंजूषा 37 छेयसुत्तम मूल 04 दसासूयक्खंधो
प्राकत 331 आगम मंजूषा 38 ए छेयसुत्तम मूल 05 ए जीयकप्पो
प्राकृत 332 आगम मंजूषा 38 बी छेयसुत्तम मूल 05 बी पंचकप्प भासं 53
प्राकृत 333 आगम मजूषा 39 छेयसत्तम मल 06 महानिसीह
63
प्राकृत 334 आगम मंजूषा 40 मूलसुत्तम मूल 01 आवस्सयं निज्जुत्तिसहियं 47
प्राकृत 335 आगम मंजूषा 41 ए मूलसुत्तम मूल 02 ए ओहनिज्जुत्ति
25
प्राकृत 336 आगम मंजूषा 41 बी मूलसुत्तम मूल 02 बी पिंडनिज्जुत्ति
18
प्राकृत 337 आगम मंजूषा 42 मूलसुत्तम मूल 03 दसवेयालियं..
प्राकृत 338 आगम मंजूषा 43 मूलसुत्तम मूल 04 उत्तरज्झयणं
31
प्राकृत 339 आगम मंजूषा 44 चूलिकासुत्तम मूल 01 नंदीसूर्य
प्राकृत 340 आगम मंजूषा 45 चूलिकासुत्तम मूलं 02 अनुओगदारं
32
प्राकृत 341 आगम मंजूषा मूल कप्पसूर्य
22
प्राकृत 342 आगम मंजूषा एन 01 आयारो निज्जुत्ति
10
प्राकृत 343 आगम मंजूषा एन 02 सूयगडो निज्जत्ति ।
7
प्राकृत 344 आगम मंजूषा एन 37 दसासूयक्खंधं निज्जुत्ति
प्राकृत 345 आगम मंजूषा एन 42 दसवेयालिय निज्जुत्ति
प्राकृत 346 आगम मंजूषा एन 43 उत्तरज्झयणं निज्जत्ति
14
प्राकृत 347 आगम ०१ आचार चूर्णि:
प्राकृत 348 आगम ०२ सूत्रकृत चूर्णि:
472 प्राकृत 349 आगम 40 आवश्यक चूर्णि :01
310 प्राकृत 350 आगम 40 आवश्यक चर्णि:02
320
प्राकृत 351 आगम 40 आवश्यक चूर्णि :03
332
प्राकृत 352 आगम 42 दशवैकालिक चूर्णि:
387 प्राकृत
15
13
388
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कुलपृष्ठ
भाषा
70
79
17
मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -12 | क्रम
साहित्य-कृति का नाम 353 आगम 43 उत्तराध्ययनानि चूर्णि:
291
प्राकृत 354 आगम 43 नन्दिसूत्र चूर्णि:
प्राकृत 355 आगम 43 अनुयोगद्वार सूत्र चूर्णि:
197
प्राकृत 356 आगमीय सुक्तावली आदी
83 । प्राकृत, संस्कृत 357 ऋषीभाषित सूत्राणी
67
प्राकृत 358 अंग सूत्र गाथादी अकारादि क्रम
148
प्राकृत 359 उपांग प्रकिर्णक सूत्र गाथादि अकारादि क्रम
प्राकृत 360 नन्दि आदि सूत्र गाथादि अकारादि क्रम
197
प्राकृत 361 अंग-सूत्र विषयानुक्रम
179
संस्कृत | 362 उपांग सूत्र विषयानुक्रम
107
संस्कृत 363 प्रकिर्णक सूत्र विषयानुक्रम
संस्कृत 364 नन्दि आदि सप्त सूत्र विषयानुक्रम
123
संस्कृत 365 आगमसद्दकोसो भाग १
546 प्राकृत, संस्कृत, राती 366 आगमसद्दकोसो भाग २
562
प्राकृत, संस्कृत, गुती 367 आगमसद्दकोसो भाग ३
546
प्राकृत, संस्कृत, गुती 368 आगमसद्दकोसो भाग ४
530
प्राकृत, संस्कृत, गुराता 369 आगम कहा कोसो एवं आगम नाम कोसो
208 प्राकृत, संस्कृत, १४राती 370 मागम थानुयोग गुराती मा ०१
386
ગુજરાતી 371 माराम थानुयोग ४२राती मा०२
370
ગુજરાતી 372 माराम थानुयोग गुसती HDL03
434
ગુજરાતી 373 माराम थानुयोग १४रातीमा ०४
386
ગુજરાતી 374 मागम थानुयोग४सती मा04
322
ગુજરાતી 375 आम थानुयोग शुसती HILOS
ગુજરાતી 376 मागम विषयहर्शन
382
| ગુજરાતી 377 माराम विषय अनुभ
344
ગુજરાતી 378 आगम 05 भगवती दानशेखरीय वृत्ति अंग सूत्र 5 भाग | 312 संस्कृत, प्राकृत 379 आगम 05 भगवती दानशेखरीय वृत्ति अंग सूत्र 5 भाग 305 संस्कृत, प्राकृत 380 आगम 40 आवश्यक मलयगिरि वृत्ति मूल सूत्र 1 भाग 307 संस्कृत, प्राकृत 381 आगम 40 आवश्यक मलयगिरि वृत्ति मूल सूत्र 1 भाग 325 संस्कृत, प्राकृत 382 आगम 40 आवश्यक मलयगिरि वृत्ति मूल सूत्र 1 भाग |
316
संस्कृत, प्राकृत 383 आगम 40 आवश्यक मलयगिरि वृत्ति मूल सूत्र 1 भाग | 327 संस्कृत, प्राकृत 384 आगम 44 नन्दिसूत्र हारिभद्रिय वृत्ति
124 संस्कृत, प्राकृत
274
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कुलपृष्ठ
389 आगम
मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -13 | क्रम साहित्य-कृति का नाम
भाषा 385 आगम 45 अनुयोगद्वार हारिभद्रिय वृत्ति
133 संस्कृत, प्राकृत 386 कल्पसूत्र सुबोधिका वृत्ति
412 संस्कृत, प्राकृत 387 आगम ०१ आचार मूलम् एवं वृत्ति:
8714 संस्कृत, प्राकृत 388 आगम ०२ सूत्रकृत मूलम् एवं वृत्ति:
860 संस्कृत, प्राकृत आगम ०३ स्थान मूलम् एवं वृत्ति:
1059 संस्कृत, प्राकृत 390 आगम ०४ समवाय मूलम् एवं वृत्ति:
324
संस्कृत, प्राकृत 391 आगम ०५ भगवती मलम एवं वृत्ति:
1967 संस्कृत, प्राकृत 392 आगम ०६ ज्ञाताधर्मकथा मलम एवं वत्ति:
512 संस्कृत, प्राकृत 393 आगम ०७ उपासकदशा मूलम् एवं वृत्ति:
113 संस्कृत, प्राकृत | 394 आगम ०८ अन्तकृद्दशा मूलम् एवं वृत्ति:
69 संस्कृत, प्राकृत 395 आगम ०९ अनुत्तरोपपातिकदशा मूलम् एवं वृत्ति:
21 संस्कृत, प्राकृत 396 आगम १० प्रश्नव्याकरणम् मूलम् एवं वृत्ति:
335 सस्कृत, प्राकृत 397 आगम ११ विपाकश्रुत मूलम् एवं वृत्ति:
132 संस्कृत, प्राकृत 398 आगम १२ औपपातिक मलम एवं वत्ति:
244 संस्कृत, प्राकृत 399 आगम १३ राजप्रश्नीय मूलम् एवं वृत्ति:
304 संस्कृत, प्राकृत 400 आगम १४ जीवाजीवाभिगम मलम एवं वत्ति:
938 संस्कृत, प्राकृत 401 आगम १५ प्रज्ञापना मलम एवं वत्ति:
1227 सस्कृत, प्राकृत 402 आगम १६ सूर्यप्रज्ञप्ति मूलम् एवं वृत्ति:
600
संस्कृत, प्राकृत 403 आगम १७ चंद्रप्रज्ञप्ति मूलम् एवं वृत्ति:
602 संस्कृत, प्राकृत 404 आगम १८ जम्बुद्वीप प्रज्ञप्ति मूलम् एवं वृत्ति:
1097 संस्कृत, प्राकृत 405 आगम १९ निरयावलिका मूलम् एवं वृत्ति:
संस्कृत, प्राकृत 406 आगम २० कल्पवतंसिका मूलम् एवं वृत्ति:
संस्कृत, प्राकृत 407 आगम २१ पुष्पिका मूलम् एवं वृत्ति: ।
संस्कृत, प्राकृत 408 आगम २२ पुष्पचूलिका मूलम् एवं वृत्ति:
संस्कृत, प्राकृत 409 आगम २३ वृष्णिदशा मूलम् एवं वृत्ति:
13 सस्कृत, प्राकृत 410 आगम २४ चतुशरण मूलम् एवं वृत्ति:
14 संस्कृत, प्राकृत 411 आगम २५ आतुरप्रत्याख्यान मूलम् एवं छाया
संस्कृत, प्राकृत 412 आगम २६ महाप्रत्याख्यान मूलम् एवं छाया
24 संस्कृत, प्राकृत 413 आगम २७ भक्तपरिज्ञा मलम एवं छाया
सस्कृत, प्राकृत 414 आगम २८ तन्दुलवैचारिक मूलम् एवं छाया
संस्कृत, प्राकृत 415 आगम २९ संस्तारक मूलम् एवं छाया
21 संस्कृत, प्राकृत 416 आगम ३० गच्छाचार मुलम् एवं छाया
24 संस्कृत, प्राकृत
2
9
36
17
29
49
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14
423 आगम २७
56
मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -14 क्रम साहित्य-कृति का नाम
कुलपृष्ठ भाषा 417 आगम ३१ गणिविद्या मूलम् एवं छाया ।
16 संस्कृत, प्राकृत 418 आगम ३२ देवेन्द्रस्तव मूलम् एवं छाया
46 संस्कृत, प्राकृत 419 आगम ३३ मरणसमाधि मलम एवं छाया
98 संस्कृत, प्राकृत 420 आगम ३४ निशिथ मूलम् एव
18 प्राकृत 421 आगम ३५ बृहत कल्प मलम एव
प्राकृत 422 | आगम ३६ व्यवहार मूलम् एव
17 प्राकृत आगम ३७ दशा श्रुतस्कंध मूलम् एव
17 प्राकृत 424 आगम ३८ ए जितकल्प मूलम एवं भाष्य
59
प्राकृत 425 आगम ३८ बी पंचकल्प भाष्य एव
प्राकृत 426 आगम ३९ महानिशिथ मलम् एव
66 संस्कृत, प्राकृत 427 आगम ४० आवश्यक मलम एवं वत्ति
1736 संस्कृत, प्राकृत 428 आगम ४१ १ ओघनियुक्ति मलम एवं वृत्ति
459 संस्कृत, प्राकृत 429 आगम ४१ २ पिंडनिर्यक्ति मलम एवं वत्ति
364 संस्कृत, प्राकृत 430 आगम ४२ दशवैकालिक मूलम् एवं वृत्ति
577 संस्कृत, प्राकृत 431 आगम ४३ उत्तराध्ययनानि मूलम् एवं वृत्ति
1428 संस्कृत, प्राकृत 432 आगम ४४ नंदिसूत्र मूलम् एवं वृत्ति
514 संस्कृत, प्राकृत 433 आगम ४५ अनुयोगद्वार मूलम् एवं वृत्ति
547. संस्कृत, प्राकृत 434 कल्प बारसा सूत्र
145 प्राकृत 435 आगम २४ चतुशरण मूलम् एवं वृत्ति
संस्कृत, प्राकृत 436 आगम २८ तंदुलवैचारिक मूलम् एवं वृत्ति
117 संस्कृत, प्राकृत 437 आगम ३० गच्छाचार मूलम् एवं वृत्ति
91 संस्कृत, प्राकृत 438 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 01 आचार मूल एवं वृत्ति: 314 संस्कृत, प्राकृत 439 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 02 आचार मूल एवं वृत्ति: 586 संस्कृत, प्राकृत 440 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 03 सूत्रकृत मूल एवं वृत्ति: 498 संस्कृत, प्राकृत 441 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 04 सूत्रकृत मूल एवं वृत्ति: 392 सस्कृत, प्राकृत 442 सवृत्तिक आगम सत्ताणि 1 भाग 05 स्थान मूल एवं वृत्ति: 594 संस्कृत, प्राकृत 443 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 06 स्थान मूल एवं वृत्ति: 494 संस्कृत, प्राकृत 444 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 07 समवाय मूल एवं वृत्ति: 338 संस्कृत, प्राकृत 445 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 12 ज्ञाताधर्मकथा मूल एवं 522 संस्कृत, प्राकृत 446 सवृत्तिक आगम सत्ताणि 1 भाग 13 उपासकदशादि ४ आगमाः
संस्कृत, प्राकृत 447 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 14 विपाकश्रुत, औपपातिक । 384 संस्कृत, प्राकृत 448 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 08 भगवती मूल एवं वृत्ति: 592 संस्कृत, प्राकृत
FA5
538
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DOODLE
मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -15 | क्रम साहित्य-कृति का नाम
कुलपृष्ठ भाषा 449 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 09 भगवती मूल एवं वृत्ति: 1552 संस्कृत, प्राकृत 450 सवृत्तिक आगम सत्ताणि 1 भाग 10 भगवती मूल एवं वृत्ति: । 514 संस्कृत, प्राकृत | 451 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 11 भगवती मूल एवं वृत्ति: 384 संस्कृत, प्राकृत 452 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 15 राजप्रश्नीय मूल एवं वृत्ति: 314 संस्कृत, प्राकृत
सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 16 जीवाजीवाभिगम मूल एवं 480 संस्कृत, प्राकृत 454 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 17 जीवाजीवाभिगम मूल एवं 488 | संस्कृत, प्राकृत 455 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 18 प्रज्ञापना मूल एवं वृत्ति: । 426 संस्कृत, प्राकृत 456 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 19 प्रज्ञापना मूल एवं वृत्ति: 514 संस्कृत, प्राकृत 457 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 20 प्रज्ञापना मूल एवं वृत्ति: 336 संस्कृत, प्राकृत 458 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 21 सूर्यप्रज्ञप्ति मूल एवं वृत्ति: 610 संस्कृत, प्राकृत 459 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 22 चन्द्रप्रज्ञप्ति मूल एवं 614 संस्कृत, प्राकृत 460 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 23 जम्बुद्वीपप्रज्ञप्ति मूल एवं | संस्कृत, प्राकृत 461 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 24 जम्बुद्वीपप्रज्ञप्ति मूल एवं 426 संस्कृत, प्राकृत 462 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 25 जम्बुद्वीपप्रज्ञप्ति मूल एवं 344 संस्कृत, प्राकृत 463 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 26 निरयावलिकादि:+9-प्रकीर्णक 312 | संस्कृत, प्राकृत 464 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 27 मरणसमाधि प्र० + ६-छेदसूत्र 330 प्राकृत 465 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 28 आवश्यक मूल एवं वृत्ति: 466 संस्कृत, प्राकृत 466 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 29 आवश्यक मूल एवं वृत्ति: 442 संस्कृत, प्राकृत 467 सवृत्तिक आगम सत्ताणि 1 भाग 30 आवश्यक मूल एवं वृत्ति: 464 सस्कृत, प्राकृत 468 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 31 आवश्यक मूल एवं वृत्ति: 426 संस्कृत, प्राकृत 469 सवृत्तिक आगम सत्ताणि 1 भाग 32 ओघनियुक्ति मूल एवं वृत्ति 472 संस्कृत, प्राकृत 470 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 33 पिंडनियुक्ति मूल एवं वृत्ति 376 संस्कृत, प्राकृत 471 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 34 दशवैकालिक मूल एवं वृत्ति 590 संस्कृत, प्राकृत 472 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 35 उत्तराध्ययन मूल एवं वृत्ति 522 संस्कृत, प्राकृत 473 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 36 उत्तराध्ययन मूल एवं वृत्ति 482 संस्कृत, प्राकृत 474 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 37 उत्तराध्ययन मूल एवं वृत्ति |
466
| संस्कृत, प्राकृत 475 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 38 नन्दिसूत्र मूल एवं वृत्ति: 528 संस्कृत, प्राकृत 476 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 39 अनुयोगद्वार मूल एवं वृत्ति | 560 | संस्कृत, प्राकृत 477 सवृत्तिक आगम सुत्ताणि 1 भाग 40 कल्पसूत्र मूलं+चतुःशरणादि 3 394 संस्कृत, प्राकृत 478 सचूर्णिक आगमसुत्ताणि 01 आचार चूर्णि आगम :1
400 प्राकृत 479 सचूर्णिक आगमसुत्ताणि 01 सूत्रकृत चूर्णि आगम :
24
488 प्राकृत 480 सचूर्णिक आगमसुत्ताणि 04 आवश्यक 1 नियुक्ति व चूर्णि आगम40 | 320 प्राकृत
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क्रम
5400
मुनि दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियों की सूचि (कुल पृष्ठ- 1.03,130) -16 साहित्य-कृति का नाम
कुलपृष्ठ भाषा 481 सचर्णिक आगमसत्ताणि 05 आवश्यक 2 निर्यक्ति व चर्णि आगम40328 प्राकृत 482 सचूर्णिक आगमसुत्ताणि 06 आवश्यक 3 नियुक्ति व चूर्णि आगम40 344 प्राकृत 483 सचूर्णिक आगमसुत्ताणि 06 दशवैकालिक नियुक्ति व चूर्णि आगम 42
प्राकृत 484 सचूर्णिक आगमसुत्ताणि 07 उत्तराध्ययन नियुक्ति व चूर्णि आगम 43
304
प्राकृत | 485 सचूर्णिक आगमसुत्ताणि 08 नन्दि व अनुयोगद्वारचूर्णि आगम-44,45 176 प्राकृत 486 सवृत्तिक आगमसूत्राणि 2 भगवती मूल एवं वृत्ति: आगम 5 भाग 1 320 संस्कृत, प्राकृत 487 सवृत्तिक आगमसूत्राणि 2 भगवती मूल एवं वृत्ति: आगम 5 भाग 2 320 संस्कृत, प्राकृत 488 सवृत्तिक आगमसूत्राणि 2 आवश्यक निर्वृक्ति एवं वृत्ति: आगम 40/1 320 संस्कृत, प्राकृत 489 सवृत्तिक आगमसूत्राणि 2 आवश्यक निर्दृक्ति एवं वृत्ति: आगम 40/2 336 संस्कृत, प्राकृत 490 सवृत्तिक आगमसूत्राणि 2 आवश्यक निर्दृक्ति एवं वृत्ति: आगम 40/3 328 संस्कृत, प्राकृत 491 सवृत्तिक आगमसूत्राणि 2 आवश्यक नियूक्ति एवं वृत्ति: आगम 40/4 336 संस्कृत, प्राकृत 492 सवृत्तिक आगमसूत्राणि 2 नन्दी व अनुयोगद्वार वृत्ति: आगम-44,45 | 272 | संस्कृत, प्राकृत 493 सवृत्तिक आगमसूत्राणि 2 कल्पसूत्रम् मूलं व वृत्ति:
424 प्राकृत 494 आगम संबंधी साहित्य 01 आगमीय सुक्तावलि आदि
96 सस्कृत, प्राकृत 495 आगम संबंधी साहित्य 02 प्रत्येकबुद्ध भाषितानी ऋषिभाषितसूत्राणि
80
प्राकृत 496 आगम संबंधी साहित्य 03 आगम सत्र-गाथादि अकारादि
432 संस्कृत 497 आगम संबंधी साहित्य 04 आगम सूत्र लघु बृहत् विषयानुक्रम
440 संस्कृत 498 तत्वार्थ सूत्र प्रबोधटी अध्याय ०१
संस्कृत, 499 તત્ત્વાર્થાધિગમ સૂત્ર અભિનવ ટીકા અધ્યાય ૦૧
174 500 તત્ત્વાર્થાધિગમ સૂત્ર અભિનવ ટીકા અધ્યાય ૦૨
194
संस्कृत, 501 तत्त्वार्थाधिगम सूत्र मलिनवटा अध्याय 03
170 संस्कृत, 502 તત્વાર્થાધિગમ સૂત્ર અભિનવ ટીકા અધ્યાય ૦૪
186
संस्कृत, 503 તત્ત્વાર્થાધિગમ સુત્ર અભિનવ ટીકા અધ્યાય ૦૫
संस्कृत, 504 | તત્વાર્થાધિગમ સુત્ર અભિનવ ટીકા અધ્યાય ૦૬
178 संस्कृत, 505 તત્વાર્થાધિગમ સૂત્ર અભિનવ ટીકા અધ્યાય ૦૭
170 506 તત્ત્વાર્થાધિગમ સૂત્ર અભિનવ ટીકા અધ્યાય ૦૮
154 संस्कृत, 507 તત્વાર્થાધિગમ સુત્ર અભિનવ ટીકા અધ્યાય ૦૯
संस्कृत, 508 તત્વાર્થાધિગમ સુત્ર અભિનવ ટીકા અધ્યાય ૧૦
संस्कृत, 509 તત્ત્વાર્થ સૂત્રના આગમ આધાર સ્થાનો
118 सं०,प्रा०,४४० 510 तत्त्वार्थ सूत्र के ८४ प्रकाशनों संबंधी डीवीडी की माहिती
13 संप्रा०हि०EY 511 પંડીત વિરવિજયજી જૈન એજ્યુકેશનલ સર્ટીફીકેટ કોર્સ
174j४०,सं०,प्रा० 512 प्रतिभए।सूत्र लिनव विवेयन सारा १
321 J४०,सं०,प्रा०
254
संस्कृत,
194
संस्कृत,
202
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મુનિ દ્વીપરત્નસાગર # 585 સાહિત્ય-તૃતિય વરી સૂવિ ( क्रम
साहित्य-कृति का नाम 513 પ્રતિક્રમણ સૂત્ર અભિનવ વિવેચન ભાગ ૨ 514 પ્રતિક્રમણસુત્ર અભિનવ વિવેચન ભાગ ૩ 515 પ્રતિક્રમણસુત્ર અભિનવ વિવેચન ભાગ ૪ 516 અભિનવ હેમ લઘુ પ્રક્રિયા ભાગ ૦૧ 517 અભિનવ હેમ લઘુ પ્રક્રિયા ભાગ ૦૨ 518 અભિનવ હેમ લઘુ પ્રક્રિયા ભાગ ૦૩ 519 અભિનવ હેમ લઘુ પ્રક્રિયા ભાગ ૦૪
/ 520 વન્તીલા. 521 અભિનવ ઉપદેશ પ્રાસાદ વ્યાખ્યાનો ભાગ ૦૧ 522 અભિનવ ઉપદેશ પ્રાસાદ વ્યાખ્યાનો ભાગ ૦૨ 523 અભિનવ ઉપદેશ પ્રાસાદ વ્યાખ્યાનો ભાગ ૦૩ 524 અભિનવ ઉપદેશ પ્રાસાદ વ્યાખ્યાનો ભાગ ૦૪ 525 વિતરાગ સ્તુતિ સન્નય ૧૧૫૧ સ્તુતિ 526] સિદ્ધાચલનો સાથી ભાવયાત્રા સહિત 527 શત્રુંજય ભક્તિ 528 ચૈત્ય પરિપાટી 529 શનય ભક્તિ 530 | ચૈત્યવંદન માળા 531 ચૈત્યવન્દન સંગ્રહતી નિન વિશેષ 532 ચૈત્યવત્વન પર્વમાના 533 ચૈત્યવન્દન વોવિસી 534 દીક્ષા યોગાદિ વિધિ 535 વિધિ સંગ્રહ 536 અંતિમ આરાધના વિધિ 537 સાધુ સાધ્વી કાળધર્મ વિધિ 538 સમાધિમરણ 539 સાધુ સાધ્વી અંતિમ આરાધના વિધિ 540 શ્રાવક અંતિમ આરાધના 541 આગમ સંક્ષિપ્ત પરિચય 542 સાહિત્યયાત્રા પુન્ડર 1 સે 31 1 રાય 543 ટીપ૨ત્નસાગર # 585 સાહિત્ય-તિયાં_word_2017 544 દીપરત્નસાગરની 585 સાહિત્ય કૃતિયો Excel 2017
પૃષ્ઠ- 1.03,130) -17 | कुलपृष्ठ
भाषा 322 ગુજ0,સં૦,૦ 305. ગુજ0,સં૦,૦ 306. ગુજ0,સં૦,૦ 256
સંત,ગુજ૦ 200 સંત,ગુજ૦ 310
સત,ગુજ૦ 254 સંસ્કૃત,ગુજ
संस्कृत 364 ગુજરાતી 402 ગુજરાતી 354 ગુજરાતી
ગુજરાતી | ગુજરાતી,સંસ્કૃત 102
| ગુજરાતી 50 | ગુજરાતી 56. ગુજરાતી
हिन्दी 362 ગુજરાતી 146 हिन्दी 98 हिन्दी 110 हिन्दी 86. ગુજરાતી 154 ગુજરાતી
ગુજરાતી 16 ગુજરાતી 366 ગુજરાતી
ગુજરાતી 50 ગુજરાતી 96. ગુજરાતી 36
हिन्दी
हिन्दी 40 | ગુજરાતી
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50
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18
48.
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મુનિ દ્વીપરત્નસાગર વી 585 સાહિત્ય-તૃતિયોં કી સૂચિ (કુલ પૃષ્ઠ- 1.03,130) -18
साहित्य-कृति का नाम
क्रम
545 ભગવંત ઋષભ પરિચય
546 ભગવંત અજિતપરિચય
547
ભગવંત સંભવ પરિચય
548
ભગવંત અભિનંદન પરિચય
549
ભગવંત સુમતિ પરિચય
550
ભગવંત પદ્મપ્રભ પરિચય
551
552
553
554
555
556
557
558
559
560
ભગવંત શાંતિ પરિચય
561
ભગવંત કુંથુ પરિચય
562
ભગવંત અર પરિચય
563
ભગવંત મલ્લિ પરિચય
564 ભગવંત મુનિસુવ્રત પરિચય
565 ભગવંત નમિ પરિચય
566 ભગવંત નેમિ પરિચય 567
ભગવંત પાર્શ્વ પરિચય
568
ભગવંત વર્ધમાન પરિચય
569 પિસ્તાલીસ આગમ પૂજા વિધિ 570 પાર્શ્વ પદ્માવતી મહાપૂજન વિધિ
571 | ચોઘડિયા તથા હોરાની કાયમી સમય દર્શિકા
572 અમદાવાદના જિનમંદિર ઉપાશ્ર આદિ ડિરેક્ટરી
573 ચારિત્ર પદના ૧ કરોડ જાપની નોંધપોથિ
ભગવંત સુપાર્શ્વ પરિચય
ભગવંત ચંદ્રપ્રભ પરિચય
ભગવંત સુવિધિ પરિચય
ભગવંત શીતલ પરિચય
ભગવંત શ્રેયાંસ પરિચય
ભગવંત વાસુપૂજ્ય પરિચય
ભગવંત વિમલ પરિચય
ભગવંત અનંત પરિચય
ભગવંત ધર્મ પરિચય
574 નવકાર મહામંત્ર જાપની નોંધપોથી 575 શ્રાવકના બાર વ્રત તથા અન્ય નિયમો 576 અભિનવ જૈન પંચાંગ
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कुलपृष्ठ
18
भाषा
ગુજરાતી
18
ગુજરાતી
18 ગુજરાતી
18
ગુજરાતી
18
ગુજરાતી
18
ગુજરાતી
18 ગુજરાતી
18
18
18
18
18
18
18
18
18
18
ગુજરાતી
ગુજરાતી
ગુજરાતી
ગુજરાતી
ગુજરાતી
ગુજરાતી
ગુજરાતી
ગુજરાતી
ગુજરાતી
ગુજરાતી
18
ગુજરાતી
18 ગુજરાતી
18
ગુજરાતી
18 | ગુજરાતી
18
ગુજરાતી
18
ગુજરાતી
18
ગુજરાતી
68
ગુજરાતી
36
ગુજરાતી
66 | ગુજરાતી
128
ગુજરાતી
110
ગુજરાતી
102
ગુજરાતી
16 ગુજરાતી
36
ગુજરાતી
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મુનિ દ્વીપરત્નસાગર વી 585 સાહિત્ય-તૃતિયોં કી સૂચિ (ન પૃષ્ઠ- 1.03,130) -19
क्रम
साहित्य-कृति का नाम
कुलपृष्ठ
भाषा
577 મુનિ દ્વીપરત્નસાગરની ી સાહિત્ય_યાત્રા_2013
18
हिन्दी
578 મુનિ ટ્રીપરત્નસાનરની વિજ 9 સાહિત્ય તૃતિયાઁ_Word_2015
40
हिन्दी
579 મુનિ દ્વીપરત્નસાગરની જિ બુલ સાહિત્ય કૃતિયાઁ_Exel_2015
28
ह
26
हिन्दी
580 दीपरत्नसागरजी की साहित्य-कृतियों के 25 फ़ोल्डर्स का परिचय 581 આગમના પ્રખર વ્યાખ્યાતાઓ
28 ગુજરાતી
582 આગમકાલીન શ્રાવક-શ્રાવિકા_જીવન અને કવન
36
ગુજરાતી
583 કારણ કે તે સાધુ હતા
0 82 ગુજરાતી
584 શ્રુત ઉપાસકો અને સાહિત્ય સર્જન
70
ગુજરાતી
585 આગમ-યાત્રા
4
ગુજરાતી
મુનિ દીપરત્નસાગરના આગમ સાહિત્ય સંબંધી 500 પ્રકાશનો
તથા અન્ય સાહિત્યિક 85 પ્રકાશનોની માહિતી પૂર્ણ થઈ. 500 Yesloll 94,011 Ulal + 85 Yzaslal 9,119 Ulal કુલ પુસ્તકો 585, કુલ 1,03,130 પાનાનું સાહિત્ય પ્રકાશન
મુનિ દીપરત્નસાગર વિશે અન્ય લેખક દ્વારા લખાયેલા મહત્વના 5 આર્ટીકલ્સ “જૈન ધર્મના મોબાઇલ એન્સાયક્લોપેડિયા” દીપરત્નસાગર ચિત્રલેખા શ્રી પાર્થિવ વોરા
પ્રાચીન મુનિઓની ઉજળી પરંપરાનું તેજસ્વી અનુસંધાન જાણ્યું છતાં અજાણ્યું ‘દીપરત્નસાગર મહારાજ’
જૈન જ્ઞાનસાગરના મોંઘેરા રત્ન ‘મુનિ દીપરત્નસાગરજી’ વિશ્વમાં સૌ પ્રથમ જૈન આગમનો ગુજરાતી અનુવાદ
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પ્રબુદ્ધજીવન ડો. બીપીન આશર ગુજરાતસમાચાર ડો. કુમારપાળ દેસાઈ સાગરનુંઝવેરાત આ હર્ષસાગરસૂરિજી પ્રો વિજય આશર
દિવ્યભાસ્કર
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________________ . / RRE ... R EET ल BRRIERRRRRRRRRRRI . नमो नमो निम्मलदंसणस्स दीपरत्नसागर की 585 साहित्य-कृतियाँ के ___ 31 फोल्डर्स का परिचय समाप्त आगम दिवाकर मुनि दीपरत्नसागर [M.Com., M.Ed., Ph.D., श्रुतमहर्षि संपर्क 'जैन देरासर, “पार्श्वविहार" फ़ोरेस्ट रेस्ट हाउस के सामने, / Post: ठेबा [361120], Dis. जामनगर [गुजरात] / Mobile: +91-982596739 Email: Jainmunideepratnasagar@gmail.com FREEMERREEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEERUT LEE .. E .. SE E EEEEEEEE . 5 5 S 5 S 5 5 5. RERNETTE NEEEEEERE . . Page 60 of 60