Book Title: Dashvaikalik Swadhyaya
Author(s): Vruddhivijay
Publisher: Vruddhivijay

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Page 4
________________ दा . * य. ** स्वाध्य नवि धरीये के // मु०॥४॥ ग्रहीन नाजन नवि वावरिये, पहेरिये नवि बाजरण // बाया कारण कालिक छत्र न धरिये, धरीये न वानह चरण के // मु०॥ 5 // दातण न करे दरपण न धरे, देखे नवि || निज रूप // तेल चोपमी न कांकसी कीज, दीजे न वस्त्रे धूप के // मु० // 6 // मांची पलंगे नवि || | बेसीजे, कीजे न विजणे वाय // गृहस्थ गेह नवि बेसीजे, विण कारण समुदाय के // मु॥७॥ | वमन विरेचन रोग चिकित्सा, अग्नि थाम्न न किजे // सोगटां सेत्रंज प्रमुख जे क्रीमा, ते पण | * सवि वर जिजेके // मु॥ 7 // पांचे इंद्रिय निज वश श्राणी, पंचाश्रव पचखी जे // पंच समिति || त्रण गुप्ती धरीने, काय रक्षा कीजे के // मु०॥ ए // उनाले आतापना लीजे, शीत शीयाले सहीये // शांत दांत थइ परिसह सहीये, थोर वरसाले रहीये // मु०॥ 10 // श्म दुःकर करणी | बहु करतां, धरतां नाव उदासो // करम खपावी केश हुआ, शीव रमणीस्यूं विलासी के // मु. X // 11 // दशवकालिक त्रीजे अध्ययनें, नाख्यो एह याचार // लाजविजय गुरु चरण पसाये, || वृद्धिविजय जयकार के // मु० // 15 // इति // 3 // // 2 // सुण सुण प्राणी रे वाणी जिन तणी, ए देशो // स्वामी सुधर्मा रे कहे जंबुप्रते, सुण सुण तुं **REAL P AC.Gunratnasuri.M.S. Gun Aaradha

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