Book Title: Dashvaikalik Swadhyaya Author(s): Vruddhivijay Publisher: Vruddhivijay View full book textPage 6
________________ || करम बंध कहीये नवि हुये, कहे जिन जगदाधार // स्वा० // 1 // जीव अजीवनेरे पहेला अोलखी, ||| कालिका | जिम जयणा तस होय // ज्ञान विना नवि जीवदया पळे, टळे नवी आरंज कोय // स्वा० // 11 // स्वाध्या || जाणपणाथीरे संवर संपजे, संवरे करम खपेय // करम यथीरे केवळ उपजे, केवळे मुगति लहेश 4-5 // स्वा० // 15 // दशवैकालिक चोथा अध्ययनमां, अर्थ प्रकाश्योरे एह // श्री गुरु लाजविजय || | पद सेवतां, वृषिविजय लहे तेह // स्वा० // 13 // इति // 4 // वीर वखाणी राणी चेलणाजी // ए देशो // सुकता आहारनो खप करोजी, साधुजी संयम | संजाल // संयम शुरू करवा नणोजी, एषणा कुषण टाल // सु० // 1 // प्रथम सज्जाय पोरसी & करीजी, अणुसर) वळी उपयोग // पात्र पमिलेहण याचरोजी, आदरी गुरु अणुयोग // सु० // है ॥गर धुवर वरसादनीजी, जीव विराहण टाल // पग पग शरिया शोधतांजी, हरिकायादिक जाल // सु० // 3 // गेह गणिका तणां परिहरोजी, जीहां गये चलचित्त होय // हिंसक कूल पण तिम तजोजी, पाप तिहां परतत जोय // सु० // 4 // निज हाथे बार उघामीने जी, पेसिये नवि || घर मांहि // बाल पशु जिनुक प्रमुखनेजी, संघटि जइयें न प्राहि // सु० // 5 // जल फल जलण X c.Gunratnasuri M.S. Jun Gun AaradhakPage Navigation
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