Book Title: Dashvaikalik Swadhyaya
Author(s): Vruddhivijay
Publisher: Vruddhivijay
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________________ दश वै || वेलारे // बक्काय विराहण टाळो रे, चित्त चोखे चारित्र पाळोरे // 1 // पुढवी पाषाण न जेदोरे, स्वाध्या कालिक || फळ फुल पत्रादि न बेदोरे // बोज कुंपळ वन मत फरसोर, विजणें वाय म करसोरे // 2 // वळी ||6|| अग्नि म नेटशो लारे, पीजो पाणी ननुं सदा // मत वावरो काचुं पाणी रे, एहवी वीतरा गनी वाणोरे // 3 // हिम धूवर वम उबरनारे. फल कुंशुन्या कीमी नगरां रे // नील फूल हरी| 3 अंकूरा रे, इंफाल ए आये पूरारे // 4 // स्नेहादिक नेदे जाणी रे, मत हणजो रे सूक्ष्म प्राणी रे | // पमिलेही सवि वारजोरे, उपकरणे प्रमाद म करजोरे // 5 // जयणाए मगलां जरजो रे, वाटे * चालंतां वात म करजोरे // मत ज्योतिष निमित्त प्रकासो रे, निरखो मत नाच तमासो रे॥६॥ |8 6 दीडै अणदीढं करजो रे, पाप वयण न श्रवणे धरजोरे // अणसूजतो आहार त्यजजोरे, राते || | सन्निध सवि वरजोरे // 7 // बावीस परिसह सहेजो रे, देहदुःखे फळ सदहजोरे // अणपामे | कृपण म कहेजोरे, तपश्रुतनो मद म वहिजोरे, // 7 // स्तुति गाते समता ग्रहजो रे, देश काळ ||* || जोस्ने रहेजो रे // गृहस्थ\ जाति सगा रे, मत काढजो मुनिवर कांरे // ए // न रमामो गृह- // 5 // RSSISAR**%A4%A8 Jun Gun Aaradhak DIHAc.Gunratnasuri M.S.

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