Book Title: Dashvaikalik Swadhyaya
Author(s): Vruddhivijay
Publisher: Vruddhivijay

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ || सी० // 11 // जे कण कंचन कामिनी, अबते श्रण जोगवतो रे // त्यागी न कहीए तेहने, जो हैमन सवी जोगवतोरे // सी० // 12 // जोग संयोग जला सही, परिहरे जेह निरीहरे / त्यागी | तेहज नाषीये, तस पद नमु निस दिसरे // सी० // 13 // एम उपदेशने अंकुशे, मयगल परे | | मुनिराजरे // संयम मारगे थिर कर्या, सार्या वंबित काजरे // सी० // 14 // ए बीजा अध्यय- || | नमां, गुरु हितसीख पयासे रे // लानविजय कविरायनो, वृद्धिविजय एम नाषेरे ॥सी // 15 // इति // 2 // // पंच महाव्रत सुद्धापाले ए देशी // श्राधाकर्मी श्राहार न लीजे, निशि जोजन नवि क-|| रीए॥ राजपिमने शय्यातरनो पिंक वळी परिहरिए के // 1 // मुनिवर ए मारग अनुसरियें, जीम है नवजळ निधि तरोए // ए आंकणी // साहामो थाण्यो थाहार न लीजे, नित पिंक नवी आद-| करीये शी श्वा एम पूछी थापे, तेह न अंगी करीयें के // मु॥२॥ कंदमूल फळ बीज प्रमुख | वळी, लवणादिक सचित्त // वरजे तिम वळी नवि राखीजे, तेह संनिधि निमित्त के // मु० // 3 // | उबटणुं पानी परिहरिये, स्नान कदा नवि करीये // गंध विलेपन नवि आचरीये, अंग कुसुम WAVARASHTRAKARE Ac Gunnatasun MS Jun Gun Aara u st

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16